क्या ट्रंप भारत विरोधी हो गए हैं..?

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क्या ट्रंप भारत विरोधी हो गए हैं..?
क्या ट्रंप भारत विरोधी हो गए हैं..?

डोनाल्ड ट्रंप ने कई ऐसे बयान दिए जिनसे ऐसी नौबत पैदा हुई। डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी, वक्त-वक्त पर एक-दूसरे को गाढ़े मित्र बताते रहे हैं। इन बयानों ने दोनों की दोस्ती को कठघरे में खड़ा कर दिया है।

राजेश कुमार पासी
राजेश कुमार पासी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह सवाल हर भारतीय के मन में उठ रहा है कि क्या ट्रंप भारत विरोधी हो गए हैं। यह सवाल सोशल मीडिया में मोदी विरोध में भी चलाया जा रहा है कि मोदी सरकार की असफल विदेश नीति के कारण अमेरिका पाकिस्तान के समर्थन में चला गया है। सरकार इस पर ज्यादा बोल नहीं सकती क्योंकि अमेरिका के साथ भारत के रिश्ते ऐसे हैं कि सिर्फ राष्ट्रपति के कारण उन्हें खराब नहीं किया जा सकता। पिछले कुछ सालों में भारत और अमेरिका एक दूसरे के बहुत नजदीक आ गए हैं क्योंकि वैश्विक राजनीति में दोनों के हित जुड़ते जा रहे हैं। जब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था तब अमेरिका पूरी तरह से भारत के समर्थन में खड़ा दिखाई दे रहा था। पाकिस्तान में स्थित आतंकी ठिकानों पर भारतीय सेना के हमले के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान आया था कि ये भारत-पाकिस्तान का आपसी मामला है, उन्हें आपस में निपटने दो। जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस तबाह कर दिये और भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध-विराम हो गया तो अचानक ट्रंप बदल गए। उन्होंने दोनों देशों के बीच हुए युद्ध-विराम का भी श्रेय लेने की कोशिश की। भारत के इनकार के बावजूद डोनाल्ड ट्रम्प भारत और पाकिस्तान के बीच समझौता कराने का बयान देते रहे। क्या ट्रंप भारत विरोधी हो गए हैं..?

इसके अलावा उन्होंने पाकिस्तान को मिलने वाली अंतर्राष्ट्रीय मदद रूकवाने की कोशिश नहीं की बल्कि खुद भी मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के एतराज के बावजूद पाकिस्तान को अरबों डॉलर का लोन मिलने वाला है। अमेरिका ने अपने आर्मी डे परेड में पाकिस्तानी सेना के फील्ड मार्शल असीम मुनीर को शामिल होने का न्योता भेजा है। वास्तव में इस समय अमेरिकी ही डोनाल्ड ट्रंप से परेशान हैं। वो कब क्या करेंगे कोई नहीं जानता. वो अमेरिका को अपनी कंपनी की तरह चला रहे हैं और हर रिश्ते में आर्थिक फायदा-नुकसान देख रहे हैं । वो ये भी नहीं देख पा रहे हैं कि उनकी कार्यप्रणाली के कारण अमेरिका का फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो रहा है। वो खुद को शक्तिशाली दिखाने के चक्कर में अमेरिका को कमजोर करते नजर आ रहे हैं। चीन को झुकाने के लिए उन्होंने उसके ऊपर भारी टैरिफ ठोक दिया लेकिन जब चीन ने उनकी नस दबाई तो उन्होंने चीन के सामने घुटने टेक दिए।

     ट्रंप ने चीन और भारत जैसे देशों को टैरिफ से डराने की कोशिश की लेकिन अभी तक कुछ कर नहीं पाए हैं। उनकी टैरिफ नीति अमेरिकी कंपनियों को पसंद नहीं आ रही है क्योंकि इससे उनका नुकसान हो रहा है। ट्रंप ने रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध रुकवाने की घोषणा की थी लेकिन ये युद्ध रूकने की जगह बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। उनको सत्ता में लाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाने वाले इलन मस्क भी उनसे दूर जा चुके हैं। उनकी छवि एक सनकी नेता  की बनती जा रही है क्योंकि वो अपनी सनक में कुछ भी करते जा रहे हैं । जब ट्रंप सत्ता में आये थे तो भारत में बहुत खुशियां मनाई गई क्योंकि पिछले कार्यकाल को देखते हुए उनका झुकाव भारत की तरफ माना जा रहा था लेकिन उनका यह कार्यकाल भारत विरोधी नजर आ रहा है। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि जब वो सत्ता में आयेंगे तो अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकाल देंगे। उन्होंने भारत के अवैध प्रवासियों को बेड़ियों और हथकड़ियों के साथ सैन्य विमान से वापिस भेजा। देखा जाये तो उन्होंने इसकी कोई परवाह नहीं की कि इससे भारतीयों का अपमान होगा। अवैध प्रवासियों को बाहर निकालना हर देश का अधिकार है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप को भारत-अमेरिका के रिश्तों को देखते हुए भारतीयों का ऐसा अपमान नहीं करना चाहिए था। आज वही अवैध प्रवासियों का मुद्दा उनके लिए गले की हड्डी बन गया है। इस मुद्दे के कारण लॉस एंजेलिस में दंगे भड़क गए हैं जिन पर काबू करना अमेरिका के लिए मुश्किल हो रहा है।

 ट्रंप अभी भी अमेरिका को महान बनाने के नाम पर अवैध प्रवासियों के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। यह मुहिम तो भारत भी चला रहा है लेकिन ऐसा हल्ला यहां नहीं मच रहा है और न ही प्रधानमंत्री मोदी ट्रंप जैसा शोर मचा रहे हैं। अपने समर्थकों को खुश करने के चक्कर में डोनाल्ड ट्रंप अपने अभियान का प्रचार करते रहते हैं। इस मुहिम के विरोध में लॉस एंजिल्स में अवैध प्रवासी और उनके समर्थकों ने ये मुहिम चलाने वाले इमिग्रेशन एंड कस्टम्स इंफोर्समेंट के खिलाफ हिंसक संघर्ष शुरू कर दिया है। इसमें अजीब बात यह है कि ट्रंप न केवल अवैध प्रवासी भारतीयों बल्कि वैध प्रवासी भारतीयों को भी निशाना बना रहे हैं। इसकी वजह यह है कि भारतीय अमेरिकी नागरिक अपनी बुद्धि और मेहनत के बल पर अमेरिकियों पर भारी पड़ते हैं। डोनाल्ड ट्रंप यह देखने को तैयार नहीं है कि ज्यादातर अवैध प्रवासी भारतीय अमेरिका में वैध तरीके से गए थे लेकिन अमेरिकी सरकार ने उन्हें नागरिकता नहीं दी। 

                डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाक मुद्दे पर न केवल युद्ध-विराम का श्रेय लेने की कोशिश की बल्कि उन्होंने इस मामले में दोनों देशों को बराबरी पर रख दिया । पाकिस्तान जैसे असफल और आतंकवादी देश की बराबरी भारत के साथ करना डोनाल्ड ट्रंप के भारत विरोधी रवैये प्रदर्शन है। उन्होंने कहा कि मैंने दोनों देशों को अमेरिका के साथ व्यापार का लालच देकर युद्ध-विराम के लिए मनाया है। जिस पाकिस्तान को वो अपने पिछले कार्यकाल में अमेरिका को मूर्ख बनाकर पैसे वसूलने वाला देश बताते थे, अब वही देश उन्हें अमेरिका का सबसे अच्छा दोस्त दिखाई दे रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि उनके बदले रवैये के पीछे उनके अपने निजी व्यापारिक हित छुपे हुए हैं। उनकी पारिवारिक क्रिप्टो कंपनी  और पाकिस्तान क्रिप्टो काउंसिल के बीच एक समझौता हुआ है। सवाल उठता है कि क्या डोनाल्ड ट्रंप सिर्फ अपने निजी हितों के लिए अमेरिकी हितों से समझौता कर रहे हैं। मेरा मानना है कि ऐसा नहीं है क्योंकि पाकिस्तान शुरू से ही अमेरिका का पिठ्ठू देश रहा है और आज भी है। अमेरिका की परेशानी यह है कि पाकिस्तान अब चीन की गोद में चला गया है। अमेरिका नहीं चाहता कि वो पाकिस्तान से इतने रिश्ते बिगाड़ ले कि वो पूरी तरह से चीन के खेमे में चला जाए।

दूसरी वजह यह है कि भारत विरोध में अमेरिका पाकिस्तान से अपनी दोस्ती का प्रदर्शन कर रहा है। पाकिस्तान को भारत ने बहुत बुरी तरह से शिकस्त दी है इसलिए वो अमेरिका के साथ के लिए कुछ भी करने को तैयार है। उसकी आर्थिक हालत सबको पता है और उसे अंतरराष्ट्रीय मदद की बहुत जरूरत है, इसमें अमेरिका उसकी मदद कर रहा है । इसके अलावा पाकिस्तान बलूचों और पश्तूनों का नरसंहार शुरू करने वाला है इसलिए इसे अमेरिका की बहुत जरूरत है ताकि वैश्विक मीडिया और मानवाधिकार संगठनों को चुप रखा जाए। एक बात हमें हमेशा याद रखनी चाहिए कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जो अपनी पैदाइश से ही भारत से दुश्मनी रखता रहा है। अमेरिका शुरू से पाकिस्तान का इस्तेमाल अपनी रणनीतियों के लिए करता रहा है और आज वो पाकिस्तान का इस्तेमाल भारत और चीन के खिलाफ कर रहा है। चीन भी पाकिस्तान का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर रहा है। 

    अमेरिका चीन के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करना चाहता है क्योंकि वो चीन की बढ़ती ताकत से डरा हुआ है। अमेरिका दूसरी तरफ भारत से भी डरा हुआ है और उसे दूसरा चीन नहीं बनने देना चाहता। इसलिए भारत का विरोध सिर्फ ट्रंप की नीति नहीं है बल्कि अमेरिका की विदेश नीति का हिस्सा है। ट्रंप की बात का भरोसा अब कोई नहीं करता क्योंकि वो दो मिनट बाद ही बदल जाते हैं लेकिन अब वो लगातार भारत विरोधी कार्यवाहियां कर रहे हैं । जहां ट्रंप ने चीन के साथ व्यापारिक समझौता करने की घोषणा कर दी है तो दूसरी तरफ भारत को अमेरिकी शर्तों पर समझौता करने की धमकी दी है। ट्रंप साफ कहते हैं कि वो टैरिफ लगाने की धमकी इसलिए देते हैं ताकि प्रभावित देश बातचीत की टेबल पर आ सके। ऐसा लगता है कि वो भारत को भी झुकाकर बातचीत करना चाहते हैं। भारत ऐसा करेगा, ये तो आने वाला वक्त बताएगा। जब ट्रंप अपने ही घर में घिरे हुए हैं तो वो ज्यादा कुछ करने की हालत में दिखाई नहीं दे रहे हैं। ट्रंप के पिछले  सारे  कदम भारत विरोध में दिखाई दे रहे हैं । ऐसा लगता है कि उन्होंने अघोषित रूप से भारत के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है। वो पाकिस्तान को आतंकवादी देश मानने की जगह उसे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोगी देश बता रहे हैं। उन्होंने सार्वजनिक रूप से एप्पल कंपनी के मालिक को भारत से मोबाइल उद्योग अमेरिका वापिस लाने को कहा। उन्होंने भारत में बन रहे एप्पल उत्पादों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। ऐसा उन्होंने इसलिए किया है क्योंकि एप्पल ने उनकी बात मानने से मना कर दिया है। एक बड़ी कंपनी चला रहे ट्रंप यह भी देखने को तैयार नहीं हैं कि एप्पल अगर भारत की जगह अमेरिका में उत्पादन करता है तो उसके प्रोडक्ट इतने मंहगे हो जायेंगे कि कोई अमेरिकी उन्हें नहीं खरीदेगा। कमाल की बात यह है कि ट्रंप ने चीन के खिलाफ ऐसा कुछ नहीं कहा है। मेरा मानना है कि भारत को ट्रंप से सावधान रहने की जरूरत है, वो भारतीय हितों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।  क्या ट्रंप भारत विरोधी हो गए हैं..?