रक्त किसी भी लेब में नहीं बनता,दान ही है समाधान

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रक्त किसी भी लेब में नहीं बनता,दान ही है समाधान
रक्त किसी भी लेब में नहीं बनता,दान ही है समाधान

—– विश्व रक्तदाता दिवस – १४ जून —–

राजेश जैन

हम चांद पर बस्तियां बसाने के ख्वाब देख रहे हैं। एआई से दुनिया चला रहे हैं — लेकिन मानव रक्त आज भी इंसान से ही मिलता है। ना कोई लेब इसे बना सकती है, ना कोई मशीन या फैक्ट्री। इसलिए आपके द्वारा किया रक्तदान ही किसी जिंदगी बचा सकता है। बड़ी बात यह है कि जब आप रक्तदान करते हैं, आप सिर्फ रक्त नहीं— किसी को जिंदगी देते हैं। रक्तदान वो सेवा है जिसमें लेने वाले को तो फायदा है ही, देने वाले की सेहत सुधरती और किसी के लिए कुछ करने का आनंद भी मिलता है। रक्त किसी भी लेब में नहीं बनता,दान ही है समाधान

आंकड़े चीखते हैं, लेकिन हम चुप हैं

देश में हर साल 1.5 करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत होती है, लेकिन मिलता है महज एक  करोड़ यूनिट। यानि हर साल 50 लाख यूनिट की कमी। हर दिन 12,000 ज़िंदगियाँ समय पर खून न मिलने से दम तोड़ देती हैं। सोचिए, इनके साथ ही कितने सपने, उमीदें भी मर जाती होंगी।

रक्तदान: एक सामाजिक जिम्मेदारी

रक्तदान एक सामाजिक दायित्व है। यह ऐसा काम है जिससे कोई बच्चा अपनी मां की गोद में लौट सकता है, कोई पिता ऑपरेशन थिएटर से बाहर आ सकता है, कोई नवविवाहित जोड़ा फिर से मिल सकता है…।  हर साल 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस मनाया जाता है— यह दिन सिर्फ ‘थैंक यू’ कहने का नहीं, बल्कि जागरूकता और जिम्मेदारी का प्रतीक है। अगर केवल एक प्रतिशत भारतीय भी साल में एक बार रक्तदान करना शुरू कर दें, तो यह पूरी कमी हमेशा के लिए समाप्त की जा सकती है।

रक्तदान से मिलती बढ़िया सेहत, स्मार्टनेस और होगा फीलगुड

रक्तदान हृदय के लिए हितकारी है। आयरन संतुलन से दिल की बीमारियों का जोखिम कम होता है। इससे शरीर में नई कोशिकाओं का निर्माण होता है, ब्लड सर्कुलेशन और  इम्यून सिस्टम में सुधार आता है। 500 एमएल रक्तदान से लगभग 500 कैलोरी बर्न होती है जो आपको फिट और स्मार्ट बनाती है। रक्तदान तनाव का टॉनिक भी है। इससे आत्म-संतोष मिलता है। चिंता, अवसाद और अकेलापन घटता है।

जानिए क्या है रक्तदान से पहले और बाद की जरूरी बातें

अगर आप कैंसर, एचआईवी, हेपेटाइटिस, ऑटो इम्यून, हाई ब्लड प्रेशर या हृदय रोग  रोग से ग्रसित हैं, आपका हीमोग्लोबिन 12.5 जीएम/डीएल से कम है, हाल में कोई बड़ा ऑपरेशन, इन्फेक्शन हुआ है तो रक्तदन न करें। रक्तदान से पहले हल्का खाना खाएं और भरपूर पानी पीएं, पूरी नींद लें, अगर कोई दवा चल रही है तो डॉक्टर से परामर्श लें। रक्तदान के बाद 10-15 मिनट आराम करें। 24 घंटे भारी व्यायाम से परहेज करें, खूब पानी पीएं और संतुलित भोजन लें। धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।

युवाओं से ज्यादा उम्मीद

कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कौन हैं, कहां से हैं लेकिन आपके 500 एमएल खून में किसी की पूरी जिंदगी छुपी है। तो आइए, इस मुहिम का हिस्सा बनें। 14 जून, विश्व रक्तदाता दिवस पर हम आज हम खुद से वादा करें कि जब भी संभव हो, हम रक्तदान करेंगे। हमें न केवल ब्लड डोनेट करना है, बल्कि दूसरों को जागरूक भी करना है। स्कूल-कॉलेजों से लेकर पंचायत स्तर तक यह अभियान चलाना होगा। खासकर आज के युवाओं के पास पावर है — सोशल मीडिया की, नेटवर्क की, पर्सनल ब्रांड की। जब आप रक्तदान करते हैं, तो आप केवल ब्लड डोनेट नहीं करते — आप एक कल्चर सेट करते हैं। आप स्टोरी में, रील्स में दिखाएं, जन्मदिन पर रक्तदान करें,  अपने कॉलेज या ऑफिस में कैंप ऑर्गनाइज़ करें।

रक्तदान के बारे में भ्रम बनाम सच्चाई

मिथक 1: रक्तदान से कमजोरी आ जाती है।

सच्चाई: थोड़ी थकान सामान्य है, लेकिन रक्त कोशिकाएं 2-3 हफ्तों में वापस बन जाती हैं। कमजोरी का डर बेबुनियाद है।

मिथक 2: महिलाएं रक्तदान नहीं कर सकतीं

सच्चाई: कर सकती हैं, बशर्ते हीमोग्लोबिन 12.5 जीएम/डीएल से अधिक हो।

मिथक 3: टैटू या पियर्सिंग वालों को मना है।

सच्चाई: टैटू या पियर्सिंग के 3 महीने बाद रक्तदान किया जा सकता है।

मिथक 4: साल में एक बार ही रक्तदान किया जा सकता है

सच्चाई: पुरुष हर 3 महीने और महिलाएं हर 4 महीने में रक्तदान कर सकते हैं। रक्त किसी भी लेब में नहीं बनता,दान ही है समाधान