सजा के बजाए दोषी को मिलेगा तोहफा..! शाइन सिटी मामले की जांच में हुई थी निलंबन की संस्तुति। मुख्यालय में बांग्लादेशी बंदियों ढाका से फंडिंग वाली फाइल। एटीएस ने की थी एक माह तक मामले की विस्तृत जांच। सजा के बजाए तोहफा..!
लखनऊ। खुदा मेहरबान तो गधा पहलवान। यह कहावत प्रदेश के कारागार विभाग में चरितार्थ होती नजर आ रही है। विभाग में निलंबन और वृहद दंड की संस्तुति होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। दिलचस्प बात यह है कि शासन ऐसे अधिकारी को दंडित करने के बजाए तोहफा देने की तैयारी में है। मामला विभागीय अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही है।
मामला राजधानी की जिला जेल का है। जेल में तैनात पूर्व वरिष्ठ अधीक्षक के लंबे कार्यकाल में घटनाओं और अव्यवस्थाओं की भरमार रही। जेल के गल्ला गोदाम में 35 लाख रुपए की नगद धनराशि की बरामदगी, विदेशी कैदी की गलत रिहाई का, जेल में बांग्लादेशी बंदियों की ढाका से वाया कोलकाता होते हुए फंडिंग, शाइन सिटी की पावर ऑफ अटॉर्नी का रहा हो। प्रदेश के इन बहुचर्चित मामलों में कारागार मुख्यालय ने लखनऊ परिक्षेत्र के तत्कालीन दो डीआईजी से जांच कराई। जांचों में जांच अधिकारी ने इन्हें दोषी ठहराते हुए इनके निलंबन की संस्तुति करते हुए दोषी के खिलाफ कड़ी कार्यवाही करने का निर्देश भी दिया। ढाका से जेल में बंद बांग्लादेशी बंदियों के फंडिंग के मामले की जांच एटीएस ने की। करीब एक माह से अधिक समय तक हुए जांच दोषी ठहराए जाने के बाद भी न तो शासन और न ही कारागार मुख्यालय ने दोषी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है।
सूत्रों का कहना है कि घटनाओं में दोषी पाए गए वरिष्ठ अधीक्षक को शासन अब दंड देने के बजाए प्रमोशन देने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो अवमानना के मामले में उच्चतम न्यायालय से दोषी करार दिए गए पूर्व प्रमुख सचिव कारागार के करीबी कहे जाने वाले वरिष्ठ अधीक्षक ने पहले शाइन सिटी मामले में मिले वृहद दंड (निलंबन) को अल्प दंड में तब्दील करवाया और बाद में मोटी रकम देकर मामले को ही रफदफा करा दिया। इसी प्रकार ढाका से बांग्लादेशी बंदियों की फंडिंग की जांच रिपोर्ट को भी सेटिंग गेटिंग करके कारागार मुख्यालय की फाइलों में दबवा दिया है।
सूत्र बताते है कि वर्तमान समय में कारागार मुख्यालय में वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड वन से वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड टू पद पर प्रोन्नति के ब्रॉड सीट तैयार करने का काम जोर शोर से चल रहा है। औपचारिकताएं पूरी होते ही शासन में कभी भी विभागीय प्रोन्नत कमेटी (डीपीसी) की बैठक बुलाई जा सकती है। प्रोन्नति पाने वाले अधिकारियों की सूची में कई गंभीर घटनाओं में दोषी पाए जाने वाले अधीक्षक का नाम विभागीय अधिकारियों और कर्मियों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
सेंट्रल जेल को बना दिया जिला जेल….!
लखनऊ जेल से स्थानांतरण के बाद सेंट्रल जेल फतेहगढ़ पहुंचे इस अधिकारी ने कमाई के चक्कर में जिला जेल बना दिया है। सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल जेल में बंदियों से मशक्कत, बैठकी, हाता, मुलाहिजा, अवैध मुलाकात का सिलसिला शुरू कर दिया है। ऐसा तब किया जा रहा है जब सेंट्रल जेलों में इसका कोई प्रावधान ही नहीं है। बीते दिनों जेल से रिहा हुए कैदी देवेंद्र सिंह की मानें तो नए मुखिया के आने के बाद से जेल में बंदियों का शोषण चरम पर है। यहां पर पिटाई करके बंदियों से खुलेआम वसूली की जा रही है। यही नहीं फतेहगढ़ में ओपन जेल का निर्माण भी मोटी कमाई का जरिया बन गया है। इस संबंध में जब कानपुर परिक्षेत्र के प्रभारी डीआईजी आरएन पांडेय से सवाल किया गया तो वह भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। सजा के बजाए तोहफा..!