पर्यावरण बचाने के साथ संवारे अपना भविष्य

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पर्यावरण बचाने के साथ संवारे अपना भविष्य
पर्यावरण बचाने के साथ संवारे अपना भविष्य

विजय गर्ग 

जिस तरह से जनसंख्या तेजी से बढ़ती जा रही है, उसी तेजी से जंगलों में पेड़ों की कटाई भी की जा रही है। इसका नतीजा पर्यावरण प्रदूषण में बढ़ोतरी के रूप में देखने को मिल रहा है। प्रदूषण के कारण स्कूलों और दफ्तरों के बंद होने, आउटडोर स्पोट्र्स और एक्टिविटी पर रोक, निर्माण कार्यों और भारी वाहनों के संचालन पर प्रतिबंध लगाने जैसी चीजें अब आम होने लगी हैं। इसी के चलते ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ रही है। पर्यावरण बचाने के साथ संवारे अपना भविष्य

अर्थव्यवस्था को नुकसान से बचाते हुए प्रदूषण के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए पर्यावरण संरक्षण विशेषज्ञों की मांग दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है। एक रपट के मुताबिक, प्रदूषण के कारण भारत को सालाना नौ हजार अरब रुपए का नुकसान होता है जो देश की जीडीपी का लगभग 3.5 फीसद है। हालांकि देश में यूजी स्तर पर कम संस्थानों में कोर्स उपलब्ध होने के कारण थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन बेहतर नौकरी के लिए ऊंची डिग्री जरूरी होती है।

विशेषज्ञों के कई विकल्प:-

पर्यावरण विज्ञान का संबंध पर्यावरण को प्रभावित करने वाले कारकों और जीवित प्राणियों की पर्यावरण पर निर्भरता से है। इसमें पर्यावरण परिवर्तन, जैव विविधता, अलग-अलग तरह के प्रदूषण और पर्यावरण पर इनके प्रभाव आदि के बारे में बताया जाता है। इसका क्षेत्र काफी व्यापक है और इसे अलग-अलग शाखाओं में बांटा गया है। पर्यावरण रसायन विज्ञान वातावरण में स्रोतों, प्रतिक्रियाओं, परिवहन, प्रभाव, और रसायनों की चेतावनी और इन पर मानव और जैविक गतिविधियों के प्रभाव को परिभाषित करने का अध्ययन है। जियो साइंस पृथ्वी की संरचनाओं और वायुमंडलीय विज्ञान पृथ्वी के वायुमंडल और इसकी विभिन्न आंतरिक कार्यशील भौतिक प्रक्रियाओं का अध्ययन है। पर्यावरण सूक्ष्म जीव विज्ञान स्थलीय, वायु, जलीय, समुद्री और अलौकिक वातावरण में सूक्ष्मजीवों के कार्य, संरचना और अंतःक्रिया का अध्ययन है। जबकि परिवेशीय आंकलन पर्यावरणीय मूल्यांकन को एक परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों की तीव्रता और महत्व का मूल्यांकन करने की प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जाता है। 

जरूरी योग्यता:-

भौतिकी, रसायन और बायोलाजी के साथ बारहवीं कर चुके छात्र पर्यावरण विज्ञान के स्नातक डिग्री कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं, लेकिन यूजी कोर्स देश के कुछ संस्थानों में ही मौजूद हैं। अधिकतर संस्थानों में प्रवेश जेईई या संस्थान द्वारा आयोजित परीक्षा के जरिए मिलता है। एमएससी कोर्स में प्रवेश के लिए साइंस स्ट्रीम में ग्रेजुएशन कर चुके छात्र आवेदन कर सकते हैं। कई सरकारी और निजी संस्थानों से इसका पीजी डिप्लोमा कोर्स भी किया जा सकता है।

बेहतर करिअर के लिए उच्च डिग्री जरूरी:-

पर्यावरण विज्ञान रिसर्च आधारित स्ट्रीम है और इसमें बेहतर करिअर के लिए उच्च डिग्री जरूरी मानी जाती है। मास्टर डिग्री या पीएचडी कर चुके छात्रों के लिए नौकरी के अवसर ज्यादा होते हैं। उन्हें ज्यादा पैकेज मिलता है और करियर में आगे बढ़ने की संभावनाएं भी ज्यादा होती हैं।

वेतन:-

यूजी कोर्स करने के बाद निजी क्षेत्र में एंट्री लेवल पर छात्रों का शुरुआती पैकेज दो से तीन लाख रुपए सालाना तक होता है। मास्टर डिग्री ले चुके छात्रों को तीन से चार लाख रुपए सालाना पैकेज पर नियुक्त किया जाता है। शीर्ष संस्थानों से कोर्स करने वाले छात्रों को पांच से छह लाख रुपए सालाना तक का पैकेज मिल सकता है। पर्यावरण बचाने के साथ संवारे अपना भविष्य