नदियों में जलस्तर बढ़ने से प्रभावित क्षेत्रों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं, वरिष्ठ अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में लगातार कैम्प करते रहें। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0/पी0ए0सी0 तथा आपदा प्रबंधन की टीमें 24×7 एक्टिव मोड में रहें। प्रदेश के किसी भी जनपद में अवैध टैक्सी स्टैंड, बस स्टैंड/रिक्शा स्टैंड संचालित न हों। ऐसे स्टैंड अवैध वसूली को बढ़ावा देते हैं। जहां कहीं भी ऐसी गतिविधियां संचालित हो रही हों, उन्हें तत्काल बंद कराया जाए। प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में बेहतर सुविधाओं के लिए ठोस प्रयास किये जायें। पीपीपी मोड पर अस्पताल, मॉल, मंडी आदि का विकास किया जाए। सड़कों के सुदृढ़ीकरण की दिशा में और बेहतर काम किये जाने की जरूरत है।
यमुना, चंबल नदियों में जलस्तर बढ़ने से प्रदेश के 18 जनपदों में आम जन के प्रभावित होने की सूचना है। गंगा और बेतवा के जलस्तर में भी बढ़ोतरी हुई है। यद्यपि अब सभी जगह जलस्तर में कमी आ रही है। प्रयागराज, वाराणसी, बलिया, इटावा, औरैया, कानपुर देहात, हमीरपुर, मिर्जापुर, बलिया आदि जनपदों की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाए। प्रभावित क्षेत्रों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं। वरिष्ठ अधिकारी प्रभावित क्षेत्रों में लगातार कैम्प करते रहें।
मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एन0डी0आर0एफ0, एस0डी0आर0एफ0/पी0ए0सी0 तथा आपदा प्रबंधन की टीमें 24×7 एक्टिव मोड में रहें। आपदा प्रबंधन मित्र, सिविल डिफेंस के स्वयंसेवकों की आवश्यकतानुसार सहायता ली जाए। जिलाधिकारी गण द्वारा नौकाओं, राहत सामग्री आदि का प्रबंध भी सुनिश्चित कर लिया जाए। प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों में देर न हो। प्रभावित परिवारों को हर जरूरी मदद तत्काल उपलब्ध कराई जाए। जहां जलभराव की स्थिति बने, वहां पशुओं को अन्यत्र सुरक्षित स्थल पर शिफ्ट कराया जाए। इन स्थलों पर पशु चारे की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। एंटी स्नेक वेनम की भी कमी नहीं होनी चाहिए। मंडलीय भ्रमण के लिए जा रहे मंत्री समूह को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की जानकारी दी जाए। मंत्रीगण द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का भी भ्रमण किया जाए।