अखिलेश ने वरिष्ठ साहित्यकारों,लेखकों एवं समाजसेवियों का किया सम्मान

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अखिलेश ने वरिष्ठ साहित्यकारों,लेखकों एवं समाजसेवियों का किया सम्मान
अखिलेश ने वरिष्ठ साहित्यकारों,लेखकों एवं समाजसेवियों का किया सम्मान

लखनऊ के डॉ0 राममनोहर लोहिया सभागार में आज हिन्दी दिवस पर वरिष्ठ साहित्यकारों, लेखकों एवं समाजसेवियों का अभिनंदन किया गया। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शाल ओढ़ाकर सभी को सम्मानित किया। इस अवसर पर अखिलेश यादव ने प्रमोद त्यागी की पुस्तक ‘शापित महायोद्धा कर्ण‘ का विमोचन किया। प्रमोद त्यागी मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ अधिवक्ता, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता के साथ लेखन क्षेत्र में भी सक्रिय रहते है। गुनवीर राणा ने अपना गीत संग्रह ‘आंसुओं की सभा‘ श्री यादव को भेंट किया। कार्यक्रम में राजेन्द्र चौधरी पूर्व कैबिनेट मंत्री, श्याम लाल पाल प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदीप यादव विधायक शामिल रहे।

हिन्दी दिवस पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा उदय प्रताप सिंह, प्रो0 अब्दुल बिस्मिल्लाह, वीरेन्द्र यादव, सूर्य कुमार पाण्डेय सहित प्रमोद त्यागी, दीपक कबीर, प्रो0 रमेश दीक्षित, वंदना मिश्रा, हिमांशु शर्मा, नीरज यादव, संजीव जायसवाल, कादिर राणा, अर्चना दीक्षित, राकेश कुमार, मुकेश दर्पण, आयुष यादव, मणेन्द्र मिश्रा, संजीव यादव, संदीप यादव, जयशंकर पाण्डेय आदि को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर हिन्दी के प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रो0 अब्दुल बिस्मिल्लाह, जिनकी पहली कृति ‘झीनी-झीनी बीनी चदरिया‘ कथा साहित्य की मील का पत्थर मानी जाती है, ने कहा कि यह सम्मान साझी संस्कृति के लिए है अतः विशिष्ट है। उन्होंने कहा कि भाषाई साम्प्रायिकता के खिलाफ भी लड़ाई होनी चाहिए। हिन्दू-उर्दू को हिन्दू-मुस्लिम की भाषा बताकर अंग्रेजों ने भ्रम फैलाया बाद में उससे रोटियां सिंकने लगी हैं। उन्होंने कहा हिंदी उर्दू में कोई भेद नहीं है।

पूर्व सांसद एवं कवि उदय प्रताप ने कहा कि अंग्रेजों ने जो भाषाई साम्प्रदायिकता पैदा की थी वह आज भी चल रही है। हिन्दी, उर्दू मिलाकर हिन्दुस्तानी बनाने का समर्थन गांधीजी, मौलाना आजाद ने भी किया था। दुनिया की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी भी है। साहित्यकार प्रसिद्ध आलोचक वीरेन्द्र यादव ने अपने सम्बोधन में कहा कि समाजवादी आंदोलन और हिन्दी का गहरा रिश्ता रहा है। डॉ0 राममनोहर लोहिया ने आजाद भारत में अंग्रेजी के वर्चस्व को हटाने के लिए आंदोलन शुरू किया था। अंग्रेजी की गुलामी आज भी नहीं गई है। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव ने पीडीए का जो नारा दिया है वह डॉ0 राममनोहर लोहिया की वैचारिकी से जुड़ता है। इसलिए दर्शन में बाबा साहब डॉ0 भीम राव अम्बेडकर भी शामिल है। इससे वैकल्पिक राजनीति का रास्ता प्रशस्त होगा। अखिलेश ने वरिष्ठ साहित्यकारों,लेखकों एवं समाजसेवियों का किया सम्मान