
अयोध्या में खनन माफियाओं का तांडव: तालाबों की बलि, मिट्टी की लूट। अयोध्या में खनन माफियाओं का तांडव
योगेन्द्र यादव
अयोध्या, उत्तर प्रदेश – भव्य राम मंदिर की दिव्यता से जगमगाती अयोध्या में एक दूसरी तस्वीर भी उभर रही है — मिट्टी के काले कारोबार की। तहसील मिल्कीपुर के ग्राम सारी में स्थित सरकारी तालाब, जो कभी जल संरक्षण और गांव की पारिस्थितिकी का अहम हिस्सा था, अब खनन माफियाओं के “मिट्टी महोत्सव” का केंद्र बन चुका है।
बुढ़व बाबा की मजार के सामने स्थित यह तालाब अब अपनी मूल पहचान खो चुका है। इसकी कई फीट गहराई तक खुदाई कर इसे मिट्टी खनन का अड्डा बना दिया गया है। गांव वालों की बार-बार की शिकायतों और स्थानीय पत्रकारों की जीरो ग्राउंड रिपोर्टिंग ने इस अवैध गतिविधि को उजागर कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट की गूंज, लेकिन ज़मीनी हकीकत विपरीत
सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह चुका है कि तालाबों का संरक्षण करें, सौंदर्यीकरण करें, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि खनन माफिया जेसीबी मशीनों से इन प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट कर रहे हैं। परमिट की आड़ में या बिना परमिट के ही, मिट्टी की खुदाई जारी है और हर ट्रॉली के साथ अधिकारी की आंखें बंद रहती हैं।
“विकास” की चादर के नीचे माफिया राज
खनन माफियाओं का तंत्र इतना मजबूत है कि वे कभी ठेकेदार, तो कभी कंपनी के प्रतिनिधि बनकर आते हैं और “विकास के नाम पर विनाश” को अंजाम देते हैं। मानकों की अनदेखी, अधिकारियों की निष्क्रियता, और जनता की विवशता—यह त्रिकोण इस पूरे गोरखधंधे की रीढ़ बन गया है।
अधिकारी चुप, कार्रवाई गायब
गांव के लेखपाल से जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने वही पुराना बयान दोहराया:
“हमें शिकायत मिली, हमने काम रुकवाया, और अधिकारियों को सूचना दे दी है।”
लेकिन यह कार्रवाई कब जमीनी रूप लेगी, यह किसी को नहीं पता।
पत्रकारिता की जवाबदेही, लेकिन प्रशासनिक मौन
स्थानीय पत्रकारों ने पहले भी इस तालाब पर बोर्ड लगवाने की मांग की थी ताकि उसकी पहचान सुरक्षित रह सके, लेकिन वह फाइलें भी विकास की भेंट चढ़ गईं। सवाल यह है कि क्या अब कोई ठोस जांच होगी? क्या यह पता चलेगा कि कितनी मिट्टी, कहां से, किसने निकाली और किस परमिट के तहत?
अयोध्या मर्यादा की नगरी या खनन का अड्डा?
जब राम की नगरी अयोध्या में जल स्रोतों को ही मिट्टी में मिलाया जा रहा है, तो यह केवल पर्यावरण की नहीं, संस्कृति की भी हत्या है। जहां एक ओर राम मंदिर निर्माण से धार्मिक चेतना का उत्थान हो रहा है, वहीं दूसरी ओर जेसीबी से “विकास” का नाम लेकर तालाबों की बलि दी जा रही है।
अब प्रश्न यह है—
मर्यादा की रक्षा कब होगी?
क्या अयोध्या तालाबों और नदियों की कीमत पर चमकेगी?
और क्या खनन माफियाओं की ये खुदाई लीला रुकेगी?
इन सवालों के जवाब भविष्य देगा। लेकिन तब तक तालाब, चुपचाप मिटते रहेंगे—जैसे कहते हों: “हमें बख्श दो, हम तो बस पानी रखने आए थे…!” अयोध्या में खनन माफियाओं का तांडव