महाभारत के संजय बने डीआईजी कारागार..!

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5 लाख मिलने के बाद परोस दी पूड़ी सब्जी..!
5 लाख मिलने के बाद परोस दी पूड़ी सब्जी..!

महाभारत के संजय बने डीआईजी कारागार..! लखनऊ में बैठकर हो रही मेरठ, बरेली और गोरखपुर परिक्षेत्र के जेलों की निगरानी। एक-एक आईपीएस के पास दो-दो जेल परिक्षेत्र की जिम्मेदारी। महाभारत के संजय बने डीआईजी कारागार..!

राकेश यादव

लखनऊ। प्रदेश कारागार विभाग के आईपीएस डीआईजी महाभारत के संजय बन गए है। यह बात सुनने और पढ़ने में भले ही अटपटी लगे लेकिन सच है। विभाग के दो डीआईजी जेल मुख्यालय में बैठकर मेरठ और बरेली परिक्षेत्र की करीब दो दर्जन जेलों की निगरानी कर रहे है। ऐसा तब है जब दोनों परिक्षेत्र में डीआईजी कार्यालय बने हुए हैं। शासन ने कारागार विभाग में डीआईजी की संख्या कम होने की वजह से शासन ने जेल विभाग में चार आईपीएस हेमंत कुटियाल, राजेश श्रीवास्तव, सुभाष शाक्य और कुंतल किशोर को बतौर डीआईजी जेल तैनात किया गया है। इसमें दो आईपीएस अधिकारियों को जेल परिक्षेत्र व मुख्यालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है।सूत्रों के मुताबिक जेल मुख्यालय में तैनात आईपीएस सुभाष शाक्य मुख्यालय के साथ मेरठ परिक्षेत्र की मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, देवबंद और बागपत आठ जेलों की जिम्मेदारी संभाल रहे है। इसी प्रकार कुंतल किशोर बरेली परिक्षेत्र की सेंट्रल जेल बरेली, जिला जेल बरेली, बंदायु, शाहजहांपुर, पीलीभीत, मुरादाबाद, रामपुर और बिजनौर जेल की निगरानी कर रहे है।


यही नहीं डीआईजी जेल मुख्यालय अरविंद कुमार सिंह लखनऊ परिक्षेत्र की आदर्श कारागार, जिला जेल लखनऊ, सीतापुर, रायबरेली, लखीमपुर, हरदोई के साथ गोरखपुर परिक्षेत्र की जिला जेल गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, बलिया और मऊ जेल की लखनऊ में बैठकर निगरानी कर रहे है। इसी प्रकार प्रोन्नत आईपीएस राजेश श्रीवास्तव पुलिस के साथ प्रयागराज और वाराणसी जेल परिक्षेत्र की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। आईपीएस हेमंत कुटियाल को अयोध्या परिक्षेत्र का प्रभार सौंपा गया है। सूत्रों का कहना है कि जेल विभाग की कार्यप्रणाली काफी जटिल है। विभागीय डीआईजी जिस काम को आसानी से निपटा लेते है, उन कार्यों को करने में आईपीएस अधिकारियों को काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। इस संबंध में जब महानिदेशक/ प्रमुख सचिव कारागार राजेश कुमार सिंह से बात करने का प्रयास किया गया तो उनके निजी सचिव विनय सिंह ने उनके व्यस्त होने की बात कहते हुए बात कराने से मना कर दिया।

किसी भी मद का सरेंडर नहीं होना चाहिए बजट-प्रमुख सचिव

वित्तीय वर्ष समाप्त होने में अब चंद दिन ही शेष बचे हुए है। बजट को लेकर प्रमुख सचिव/ महानिदेशक कारागार राजेश कुमार सिंह इनदिनों लगातार जेल मुख्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे है। सूत्र बताते है कि आए दिन हो रही इन बैठकों में अधिकारियों को साफ हिदायते दी गई है कि निर्माण, आधुनिकीकरण, नजारत के आवंटित बजट को किसी भी स्थित में सरेंडर नहीं किया जाए। उन्होंने आधुनिकीकरण अनुभाग के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि बजट सरेंडर करने के बजाए उसका इस्तेमाल होना चाहिए। इस संबंध में जब डीआईजी जेल मुख्यालय अरविंद कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने बैठक होने की बात तो स्वीकार की लेकिन और कुछ भी बताने से साफ इंकार कर दिया। महाभारत के संजय बने डीआईजी कारागार..!