वृक्षासन करने के लाभ

127
वृक्षासन करने के लाभ
वृक्षासन करने के लाभ
अनिल शर्मा

वृक्षासन संतुलन बनाने वाला आसन है, जिससे शारीरिक और भावनात्मक दोनों संतुलन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। वृक्षासन पैरों,टखनों,पिंडलियों,घुटनों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इस आसन से एकाग्रता में सुधार होता है। साइटिका की समस्या में इस योग के अभ्यास से राहत मिल सकती है। वृक्षासन के कई औरस्वास्थ्य लाभ हैं। वृक्षासन करने के लाभ

आज बदलते जीवनशैली में लोग कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में, शरीर को स्वस्थ रखने और बीमारियों से बचने के लिए योग एक अच्छा विकल्प साबित हो रहा है। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शांति और संतुलन भी प्रदान करता है। वृक्षासन संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका शाब्दिक अर्थ होता है, वृक्ष यानी कि पेड़ जैसा आसन। इस आसन में योगी का शरीर पेड़ की स्थिति बनाता है और वैसी ही गंभीरता और विशालता को खुद में समाने की कोशिश करता है। वृक्षासन का नियमित अभ्यास आपके शरीर को नई चेतना और ऊर्जा हासिल करने में मदद करता है। आमतौर पर योगासन करने के दौरान आपको आंखें बंद करके ऊर्जा का अनुभव करने की सलाह दी जाती है। लेकिन वृक्षासन के दौरान आपसे आंखें खुली रखने के लिए कहा जाता है। ऐसा इसलिए ताकि आप शरीर का संतुलन करने के साथ ही आसपास की गतिविधियों को देखते हुए खुद को स्थिर बनाए रखने की प्रेरणा हासिल कर सकें। वृक्षासन हठयोग का शुरुआती लेवल का आसन है। इस आसन को करते समय एक टांग पर सिर्फ एक मिनट तक ही खड़े रहने की सलाह दी जाती है। इसके बाद ये आसन दूसरी टांग पर करना चाहिए। हर टांग पर कम से कम 5 बार ये आसन करना चाहिए। वृक्षासन के नियमित अभ्यास से टखने, जांघें, पिंडली, पसलियां मजबूत हो जाती हैं। जबकि ग्रोइन, जांघें, कंधे और छाती पर खिंचाव पड़ता है।

वृक्षासन शरीर को संतुलित करने वाला आसन है। जब आप शरीर का संतुलन बनाते हैं तो,आप दिमाग को फोकस करने के लिए मजबूर करते हैं और जब आप फोकस करते हैं तो आपको ये महसूस होने लगता है कि आप संतुलन बना पा रहे हैं। जब दिमाग इस तथ्य को जान लेता है तो वह शरीर को भी वैसे ही संकेत भेजने लगता है। इसकी वजह से आप धीमी गति से ही सही लेकिन स्ट्रेस और टेंशन की स्थिति में भी बैलेंस बनाने की कला सीख लेते हैं। वृक्षासन के दौरान आप अपने दिमाग और शरीर को भी स्ट्रेचिंग के जरिए स्थिर कर रहे होते हैं। ये आसन आपके जोड़ों और हड्डियों को मजबूत करता है। इसके अलावा ये हिप्स और चेस्ट के हिस्से को फैलाने में भी मदद करता है। ये आपके कंधों के मूवमेंट को फ्री करता है और हाथों को टोन करने में भी मदद करता है।

वृक्षासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाता है। ये शरीर में स्थिरता और संतुलन बनाने में मदद करता है। ये न्यूरो-मस्क्युलर के बीच संबंध को मजबूत और स्वस्थ बनाता है। वृक्षासन पैरों की मसल्स को टोन करता है। ये पैरों के लिगामेंट और टेंडोंस को मजबूत बनाता है। घुटने मजबूत होते हैं और हिप्स के जोड़ ढीले होते हैं। आंखें, भीतरी कान और कंधे भी मजबूत होते हैं। साइटिका के दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। ये फ्लैट फीट की समस्या से भी राहत दिलवाता है। ये आपको स्थिर, लचीला और धैर्यवान बनाता है। वृक्षासन एकाग्रता को बढ़ाता है और मानसिक उलझनों को दूर करता है। ये आसन छाती की चौड़ाई बढ़ाने में भी मदद करता है।

वृक्षासन, योग विज्ञान का बहुत अच्छा आसन है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन रहता है। वृक्षासन न सिर्फ मेटाबॉलिज्म को एक्टिवेट करता है बल्कि आपके दिमाग को स्थिर रखने में भी मदद करता है। और आज की दुनिया में बैलेंस बनाकर रखना ही सबसे जरूरी चीज है। वृक्षासन तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, जिससे मन शांत होता है। वृक्षासन बैलेंस बनाने से जुड़ी इसी खूबी को आपके शरीर में विकसित करने में मदद करता है।वृक्षासन का अभ्यास करने के लिए आपके पैर और क्वा​ड्रीसेप्स इतने मजबूत होने चाहिए कि पूरे शरीर का वजन उठा सकें। लेकिन सबसे पहले आपको अपने मन के डर पर जीत हासिल करनी होगी कि कहीं आप अभ्यास करते हुए गिर न पड़ें। अगर गिर भी जाएं तो गहरी सांस लें और कोशिश के लिए अपनी तारीफ करें और दोबारा अभ्यास करें। वृक्षासन संतुलन और स्थिरता में सुधार करता है,जिससे बॉडी पॉश्चर में सुधार होता है।इस आसन के नियमित अभ्यास से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। यह योगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाता है।नियमित रूप से वृक्षासन का अभ्यास करने से पाचन तंत्र और रक्त संचार को सुधारता है। हृदय की कार्यक्षमता को बढ़ाता है। इससे पेट से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। यह योगासन संतुलन और स्थिरता में सुधार करताहै, जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है।इसके अभ्यास से पैर और हाथों की मांसपेशियों में खिंचाव आता है, जिससे बच्चों की लंबाई बढ़ाने में मदद मिल सकती है।

वृक्षासन कैसे करें…?

वृक्षासन करने के लिए अपने शरीर के बगल में हाथों को रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं। फिर अपने दाहिने घुटने को मोड़ें और दाहिने पैर को अपनी बाईं जांघ पर ऊपर रखें। पैर का तलवा जांघ की जड़ के पास सपाट और मजबूती से रखा जाना चाहिए। सुनिश्चित करें कि आपका बायां पैर सीधा हो। अपना संतुलन बनाए रखें। जब आप अच्छी तरह से संतुलित हो जाएं, तो गहरी सांस लें, अपनी भुजाओं को सिर के ऊपर उठाएं और अपनी हथेलियों को ‘नमस्ते’ मुद्रा (हाथ जोड़ने की स्थिति) में लाएं। दूर स्थित किसी वस्तु को सीधे देखें। स्थिर दृष्टि से संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ सीधी हो। आपका पूरा शरीर तना हुआ होना चाहिए, जैसे कि एक फैला हुआ इलास्टिक बैंड। लंबी गहरी साँसें लेते रहें। प्रत्येक साँस छोड़ने के साथ,शरीर को अधिक से अधिक आराम दें। बस अपने शरीर और साँस के साथ रहें और अपने चेहरे पर एक सौम्य मुस्कान रखें। धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए, धीरे-धीरे अपने हाथों को बगल से नीचे लाएँ। आप धीरे से दायाँ पैर भी छोड़ सकते हैं। सीधे खड़े हो जाएँ जैसा कि आपने आसन की शुरुआत में किया था। इस आसन को बाएँ पैर को ज़मीन से ऊपर उठाकर दाएँ पैर की जाँघ पर रखकर दोहराएँ। वृक्षासन करने के लाभ