अमरनाथ यात्रा दर्शन एवं जनश्रुति

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अमरनाथ के लिए एक जनश्रुति प्रचलित है कि इसी गुफा में माता पार्वती को भगवान शिव ने अमरकथा सुनाई थी, जिसे सुनकर सद्योजात शुक-शिशु शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गये थे। गुफा में आज भी श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई दे जाता है, जिन्हें श्रद्धालु अमर पक्षी बताते हैं। वे भी अमरकथा सुनकर अमर हुए हैं। ऐसी मान्यता भी है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों को जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव पार्वती अपने प्रत्यक्ष दर्शनों से निहाल करके उस प्राणी को मुक्ति प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि भगवान शिव ने अद्र्धागिनी पार्वती को इस गुफा में एक ऐसी कथा सुनाई थी, जिसमें अमरनाथ की यात्रा और उसके मार्ग में आने वाले अनेक स्थलों का वर्णन था। यह कथा कालांतर में अमरकथा नाम से विख्यात हुई।

कुछ विद्वानों का मत है कि भगवान शंकर जब पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे, तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा, अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा था। ये तमाम स्थल अब भी अमरनाथ यात्रा में आते हैं। अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाध में एक मुसलमान गडरिए को चला था। आज भी चौथाई चढ़ावा उस मुसलमान गडरिए के वंशजों को मिलता है। आश्चर्य की बात यह है कि अमरनाथ गुफा एक नहीं है। अमरावती नदी के पथ पर आगे बढ़ते समय और भी कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं। वे सभी बर्फ से ढकी हैं।

अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। यह कश्मीर राज्य के श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 134 सहस्त्रमीटर दूर समुद्रतल से 13,600 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊँची है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।

अमरनाथ श्रद्धालुओं का पहला जत्था यहां कड़ी सुरक्षा के बीच रविवार को रवाना हो गया। अब तक देश भर से करीब डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने 46 दिन चलने वाली इस यात्रा के लिए पंजीकरण कराया है। यह यात्रा अनंतनाग जिले के 36 किलोमीटर लंबे पारंपरिक पहलगाम मार्ग और गांदेरबल जिले के 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से होती है। यहां से निकले श्रद्धालु शाम तक श्रीनगर पहुंचेंगे और सोमवार को बाबा बर्फानी के दर्शन कर पाएंगे।


अमरनाथ पहुंचने का मार्ग

सड़क मार्ग- अमरनाथ गुफा का पर्वतीय और दुर्गम स्थान पर है। यहां देश के दूसरे हिस्सों से सीधे सड़क की सुविधा नहीं है। सड़क के रास्ते अमरनाथ पहुंचने के लिए पहले जम्मू तक जाना होगा फिर जम्मू से श्रीनगर तक का सफर करना होगा। श्रीनगर से आप पहलगाम या बालटाल पहुंच सकते हैं। इन दो स्थानों से ही पवित्र यात्रा की शुरुआत होती है। श्रीनगर से पहलगाम करीब 92 किलोमीटर और बालटाल करीब 93 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा आप बस या टैक्सी सेवाओ के जरिए भी पहलगाम पहुंच सकते हैं। दिल्ली से नियमित तौर पर बस सेवा अमरनाथ तक उपलब्ध रहती है। इसके अलावा दिल्ली से अमरनाथ 631 किलोमीटर और बेंगलुरु से 2370 किलोमीटर दूर है।

हवाई मार्ग- पहलगाम से अमरनाथ की पैदल चढ़ाई शुरु होती है और पहलगाम से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट श्रीनगर में है जो करीब 90 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा जम्मू एयरपोर्ट भी दूसरा विकल्प है जो करीब 263 किलोमीटर दूर है। श्रीनगर ओर जम्मू एयरपोर्ट देश के लगभग सभी बड़े शहरों से जुड़े हुए हैं। दिल्ली से श्रीनगर के बीच फ्लाइट करीब 1.35 मिनट का समय लेती है वहीं मुंबई से श्रीनगर फ्लाइट करीब 3 घंटे और बेंगलुरू से 4.40 घंटे लगते हैं। श्रीनगर से आप टैक्सी या बस के द्वारा पहलगाम जा सकते हैं। जम्मू से सड़क मार्ग से पहलगाम पहुंचने में करीब 12-15 घंटे लगते हैं। श्रीनगर से आप बस के द्वारा पहलगाम तक जा सकते हैं जिसमें करीब 2.40 घंटे लगते हैं। इसके अलावा आप टैक्सी से भी पहलगाम पहुंच सकते हैं इसमें करीब 2 घंटे लगते हैं।

रेल मार्ग- पहलगाम से सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन उधमपुर है जो करीब 217 किलोमीटर दूर है। लेकिन जम्मू रेलवे स्टेशन, उधमपुर की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह से पूरे देश से जुड़ा है। जम्मू रेलवे स्टेशन का नाम जम्मू तवी है यहां से देश के करीब सभी बड़े शहरों के लिए ट्रेन चलती है।

अमरनाथ यात्रा रूट
पहलगाम या बालटाल तक आप किसी भी वाहन से पहुंच सकते हैं लेकिन इससे आगे का सफर आपको पैदल ही करना होगा। पहलगाम और बालटाल से ही अमरनाथ की पवित्र गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते निकलते हैं। ये दोनो ही स्थान श्रीनगर से अच्छी तरह जुड़े हैं इसलिए अधिकतर श्रद्धालु श्रीनगर से ही अपनी यात्री की शुरुआत करते हैं। पहलगाम से अमरनाथ की पवित्र गुफा की दूरी करीब 48 किलोमीटर और बालटाल से 14 किलोमीटर है।

बालटाल रूट- अमरनाथ गुफा तक बालटाल से कम समय में पहुंच सकते हैं। यह छोटा रूट है। बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी करीब 14 किलोमीटर है लेकिन यह रास्ता काफी कठिन और सीधी चढ़ाई वाला है इसलिए इस रूट से ज्यादा बुजुर्ग और बीमार नहीं जाते हैं।

पहलगाम रूट- पहलगाम रूट अमरनाथ यात्रा का सबसे पुराना और ऐतिहासिक रूट है। इस रूट से गुफा तक पहुंचने में करीब 3 दिन लगते हैं। लेकिन यह ज्यादा कठिन नहीं है। पहलगाम से पहला पड़ाव चंदनवाड़ी का आता है जो पहलगाम बेस कैंप से करीब 16 किलोमीटर दूर है यहां तक रास्ता लगभग सपाट होता है इसके बाद चढ़ाई शुरू होती है। इससे अगला स्टॉप 3 किलोमीटर आगे पिस्सू टॉप है। तीसरा पड़ाव शेषनाग है जो पिस्सू टॉप से करीब 9 किलोमीटर दूर है। शेषनाग के बाद अगला पड़ाव पंचतरणी का आता है जो शेषनाग से 14 किलोमीटर दूर है। पंचतरणी से पवित्र गुफा केवल 6 किलोमीटर दूर रह जाती है।