सावित्री बाई फुले के संघर्षपूर्ण जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’

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सावित्री बाई फुले के संघर्षपूर्ण जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’
सावित्री बाई फुले के संघर्षपूर्ण जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’
राजेन्द्र चौधरी
राजेन्द्र चौधरी

लखनऊ के लुलु मॉल स्थित छविगृह में सामाजिक न्याय के अग्रदूत महात्मा ज्योतिबा फुले और शिक्षाविद् श्रीमती सावित्री बाई फुले के संघर्षपूर्ण जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’ का विशेष प्रदर्शन हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ समाजवादी नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी उपस्थित रहे। फर्रुखाबाद लोकसभा से सपा प्रत्याशी डॉ. नवल किशोर शाक्य एवं श्रीमती प्रियंका शाक्य ने पूरे सिनेमा हॉल को बुक कराकर इस आयोजन को संभव बनाया। श्री राजेन्द्र चौधरी ने अपने संबोधन में फुले दंपत्ति के सामाजिक न्याय, शिक्षा प्रसार और पाखंड के खिलाफ संघर्ष को रेखांकित किया और कहा कि समाजवादी पार्टी इस विरासत को आगे बढ़ा रही है। ‘फुले’ फिल्म ने 18वीं शताब्दी में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय व भेदभाव की सच्चाई को उजागर किया। सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख द्वारा स्त्री शिक्षा की नींव रखे जाने को भी फिल्म में मार्मिक रूप से दर्शाया गया है। इस कार्यक्रम में भंते तुषित थेरो (श्रीलंका), भिक्खु राखिता नंद, और कई अन्य गणमान्य अतिथियों के साथ-साथ समाजवादी पार्टी के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी, कार्यकर्ता और समाजसेवी भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। डॉ. शाक्य ने बताया कि फिल्म का प्रदर्शन फर्रुखाबाद जिले के गांव-गांव में भी किया जाएगा ताकि सामाजिक जागरूकता को नई दिशा मिल सके। सावित्री बाई फुले के संघर्षपूर्ण जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’

‘फुले‘ फिल्म में 18वीं शताब्दी में दलित, पिछड़े और महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव तथा उत्पीड़न की सच्चाई को उजागर किया गया है। यह वह दौर था जब दलितों को मनुष्य नहीं समझा जाता था। उन्हें सामान्य मानव जीवन जीना भी सुलभ नहीं था। बच्चियों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था। महिलाएं केवल वंशवृद्धि की मशीन थी। ज्योति फूले और सावित्री बाई फूले ने वंचित शोषित और दलित समाज में ऊंचनीच, भेदभाव के प्रति विरोध चेतना जगाई, अपने हक और सम्मान के लिए मनुवादीतत्वों के सामने निर्भीकता से खड़े होने और समाज में अपना स्थान बनाने के लिए स्वतः प्रयासशील होने पर बल दिया। सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख ये दो नाम हैं स्त्री शिक्षा के क्षेत्र में जिन्हें सर्वप्रथम पहल करने के लिए याद किया जाता है। उन्होंने तमाम विरोध और अपमान जनक स्थितियों का सामना करते हुए भी शिक्षा की ज्योति जगाई और हार नहीं मानी। फिल्म में राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की विसंगतियों और किसानों की बदहाली भी दिखाई गयी है।भंते सर्वश्री तुषित थेरो श्रीलंका, भिक्खु राखिता नंद लखनऊ, भिक्खु कौशल बोधि, भिक्खु चेत सिंह आदि गणमान्य अतिथियों ने भी ‘फुले‘ फिल्म देखी। सावित्री बाई फुले के संघर्षपूर्ण जीवन पर आधारित फिल्म ‘फुले’