प्रतापगढ़। जिलाधिकारी डा0 नितिन बंसल ने बताया है कि संस्कृति विभाग, उ0प्र0 द्वारा मल्लिका-ए-गजल बेगम अख्तर की स्मृति में दादरा, ठुमरी, गजल विधाओं में ऐसे प्रतिभावान गायक जिसकी आयु 40 वर्ष से कम न हो को ‘‘बेगम अख्तर पुरस्कार’’ से सम्मानित किया जाता है जिसके अन्तर्गत चयनित कलाकार को रूपये 5 लाख की धनराशि, अंगवस्त्रम एवं प्रशस्ति पत्र भेंट स्वरूप प्रदान किया जाता है। बेगम अख्तर पुरस्कार हेतु कलाकार उत्तर प्रदेश का मूल निवासी अथवा उसकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश होना चाहिये। कलाकार को अपनी प्रतिभा की दीर्घ साधना एवं श्रेष्ठ उपलब्धि के भरसक निर्विवाद मानदण्डों के आधार पर राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त होनी चाहिये। यह पुरस्कार कलाकार के गायन के क्षेत्र में सम्पूर्ण उपलब्धियों के आधार पर प्रदान कया जायेगा न कि किसी एक विशिष्ट संरचना के लिये। उन्होने बताया है कि बेगम अख्तर पुरस्कार हेतु पात्र महानुभाव दिनांक 20 जुलाई तक मण्डलायुक्त/जिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से निर्धारित प्रारूप पर नामांकन हेतु आवेदन प्राप्त किये जायेगें। बेगम अख्तर पुरस्कार हेतु आवेदन पत्र का प्रारूप संस्कृति विभाग की वेबसाइट तथा जिला सूचना कार्यालय प्रतापगढ़ से प्राप्त कर सकते है।
Popular Posts
प्रमुख समाचार
पटना- बिहार बाढ़ प्रभावित जिलों की संख्या बढ़कर 11 हुई,राज्य में लगभग 13 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित,अबतक 1.36 लाख लोगों को सुरक्षित निकाला...
Breaking News
डॉक्टर-स्वास्थ्यकर्मी टीबी मरीज को लेंगे गोद-ब्रजेश पाठक
डॉक्टर-स्वास्थ्यकर्मी टीबी मरीज को लेंगे गोद। टीबी मुक्त भारत अभियान में स्वास्थ्य विभाग की पहल, शासनादेश जारी। उपमुख्यमंत्री ने दी जानकारी, अच्छा कार्य करने...
जम्मू-कश्मीर में वोटिंग देख पाकिस्तान उगल रहा जहर
जम्मू-कश्मीर में बंपर वोटिंग को देख क्यों पाकिस्तान भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है..? सोचने वाली बात यह है कि पाकिस्तान बार-बार जम्मू कश्मीर...
लोकतंत्र के हित में एक राष्ट्र-एक चुनाव
चुनाव एक देश एक चुनाव की जगह सुरक्षा की दृष्टि से देश में कई चरणों में कई बार लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव होने लगे जिसने देश पर अनावश्यक खर्च भी बढ़ा दिया।
-डा. भरत मिश्र प्राची
एक राष्ट्र एक चुनाव इस देश के लिये कोई नई पहल नहीं है. आजादी के बाद 1951-52 से लेकर 1967 तक के लोकसभा विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते रहे लेकिन जब से सत्ता के प्रति राजनीति में मोह ज्यादा पनप गया, देश में छोटे - छोटे दल ज्यादा पनप गये जिससे आया राम, गया राम की कहानी शुरू हो गई। सत्ता के लिये कौन किधर चला जायेगा, कब चला जायेगा, किसी को पता नहीं। इस तरह के बदले हालात एवं असुरक्षित माहौल ने देश में लोकतंत्र की तस्वीर ही बदल डाली। विधान सभा, लोकसभा के परिवेश समय से पहले हीं डगमगाने लगे। मघ्यावधि चुनाव की स्थितियां बनने लगी। एक देश एक चुनाव की जगह सुरक्षा की दृष्टि से देश में कई चरणों में कई बार लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव होने लगे जिसने देश पर अनावश्यक खर्च भी बढ़ा दिया।
अब फिर से एक राष्ट्र, एक चुनाव कराये जाने की संवैधानिक बात सामने आ रही है जिसके तहत इस दिशा में देश के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविद के नेतृत्व में गठित समिति की सिफारिश स्वीकार करते हुए वर्तमान केन्द्र सरकार ने वर्ष 2029 में एक राष्ट्र एक चुनाव कराये जाने की पहल शुरू कर दी है। केन्द्र सरकार की यह पहल देश एवं लोकतंत्र के हित में अवश्य है जहां चुनाव पर होने वाले अनावश्यक खर्च रोका जा सकता है पर देश में बदली राजनीतिक पृष्ठ्भूमि जहां लाभतंत्र के साथ - साथ माफिया वर्ग हावी है, इस तरह के परिवेश को कब तक स्थाईत्व प्रदान कर सकेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। इस पहल पर जहां सत्ता पक्ष सकरात्मक नजर आ रहा है, वहीं विपक्ष अपने - अपने तरीके से विरोध जता रहा है। फिर भी इस पहल पर कुछ राजनीतिक, कुछ संवैधानिक अड़चनें अवश्य नजर आ रही है जिसका समाधान सभी को मिलकर तलाशना होगा ।
फिलहाल वर्ष 2025, एवं 2026 में देश के 17 राज्यों के होने वाले विधान सभा चुनाव के कार्यकाल को बढ़ाये जाने की समिति ने सिफारिश की है जहां कुछ राज्यों में केन्द्र की सत्ता पक्ष राजनीतिक दल की सरकार तो कुछ राज्यों में विपक्ष की सरकार सत्ता में है जो एक टेढ़ी खीर है।
जब देश में एक राष्ट्र एक चुनाव के तहत लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव करा लिये जाय तो इस बात की कोई गारंटी नहीं कि देश में मध्यावधि चुनाव की स्थिति न बने, यहीं तर्क विपक्ष की ओर से आ रहा है।
एक राष्ट्र एक चुनाव को सफल बनाने के लिये देश में मध्यावधि चुनाव की स्थिति को टालने के मार्ग तलाशने होगे। इस दिशा में संविधान में एक कानून यह भी परित किया जाना चाहिए जो परिवेश मध्यावधि चुनाव के कारण बनते है, उस पर अकुंश लगाया जाय। बहुमत के आधार पर सरकार गिराने के बजाय अल्पमत की सरकार चलते रहने का कानून बने जिससे आया राम गया राम की कहानी खत्म हो। लोकसभा एवं विधान सभा परिवेश पर आया राम गया राम प्रभावहीन रहेंगे एवं देश में बहुदलीय की जगह राजनीतिक दलों की संख्या सीमित रहे तो एक राष्ट्र एक चुनाव सफल हो सकता है।
भारत को चौकन्ना रहना होगा..!
क्या इससे बदल जाएंगे युद्ध के तरीके-भारत को भी रहना होगा चौकन्ना। युद्ध में अब ऐसी युक्तियों का उपयोग होता...
केजरीवाल का आखिरी दांव क्या रंग दिखायेगा..?
राजेश कुमार पासी
केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा करके राजनीति में बड़ी हलचल पैदा कर दी...