
गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर के महंत दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार में आयोजित 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि योग भारत की ऋषि परंपरा का ऐसा प्रसाद है, जो शरीर ही नहीं, मस्तिष्क और आत्मा को भी स्वस्थ करता है। योग ऋषि परंपरा का अमूल्य प्रसाद-योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि योग केवल आत्मकल्याण का साधन नहीं, बल्कि लोककल्याण और विश्वकल्याण का मार्ग है। उन्होंने कहा, “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” — धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष जैसे पुरुषार्थ एक स्वस्थ शरीर से ही संभव हैं, और योग इसके लिए सर्वश्रेष्ठ साधन है। योगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में योग को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा वैश्विक मान्यता मिली और 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया गया। आज भारत ही नहीं, दुनिया के 190 से अधिक देश योग को अपनाकर गौरव महसूस कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की चेतना परंपरा, वेद, उपनिषद और शास्त्रों में समाहित योग विज्ञान, विश्व को रहस्यमयी स्थितियों से परिचित कराता है। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे योग को जीवनशैली में अपनाएं और अपनी विरासत से जुड़ें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि योग भारत की ऋषि परंपरा का ऐसा दिव्य मंत्र है, जो न केवल शरीर को स्वस्थ बनाता है, बल्कि मन और मस्तिष्क की भी शुद्धि करता है। उन्होंने कहा कि “शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्” — यह भाव योग के माध्यम से पूर्ण होता है, और धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष जैसे पुरुषार्थों की सिद्धि भी एक स्वस्थ शरीर के बिना संभव नहीं।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत ने योग को आत्मकल्याण से लोककल्याण और फिर विश्वकल्याण का माध्यम बनाया, और इसे वैश्विक पहचान दिलाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है, जिनके प्रयासों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता दी।
आज भारत केवल आर्थिक शक्ति के रूप में नहीं, बल्कि चेतना के उच्चतम आयामों में भी वैश्विक पथप्रदर्शक है। भारतीय ऋषि परंपरा ने ब्रह्मांड के रहस्यों को आत्मबोध के माध्यम से उद्घाटित कर वेद, उपनिषद, पुराण और शास्त्रों में समाहित किया। उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि कभी अन्य देशों द्वारा भारत की यौगिक क्रियाओं को अपने नाम से पेटेंट कराया जाता था, जिससे देश अपनी विरासत से वंचित रह जाता था।
योगी जी ने कहा कि आज यह दिन ऋषियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का और नई पीढ़ियों को अपनी परंपरा से जोड़ने का अवसर है। उन्होंने कहा कि योग से तपे हुए शरीर वाला व्यक्ति रोग, जरा और मृत्यु जैसी व्याधियों से दूर रहता है, और यह संयमित व नियमित दिनचर्या से संभव है। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, सांसद रवि किशन, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, और महंत रवींद्र दास सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। योग ऋषि परंपरा का अमूल्य प्रसाद-योगी