ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से कांग्रेस परेशान क्यों है..?

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ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से कांग्रेस परेशान क्यों है..?
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से कांग्रेस परेशान क्यों है..?
राजेश कुमार पासी

भारतीय राजनीति में जब से नरेंद्र मोदी के नाम का तूफान आया है तब से कांग्रेस परेशान है। अगर आप सोचते हैं कि मोदी ने कांग्रेस को प्रधानमंत्री बनने के बाद परेशान किया है तो आप गलत हैं। कांग्रेस उनसे तब से परेशान है जब से वो गुजरात के मुख्यमंत्री बने थे। अगर आपको मुख्यमंत्री मोदी से कांग्रेस की परेशानी को समझना है तो आपको यूपीए शासन में उनको गुजरात दंगों में दोषी साबित करने की कोशिश को समझना होगा। कांग्रेस ने उन्हें गुजरात दंगों में जेल भेजने के लिए हर कानूनी और गैरकानूनी तरीका अपनाया लेकिन वो उन्हें फंसा नहीं सकी । केंद्र सरकार ने न केवल अपनी एजेंसियों का इस्तेमाल किया बल्कि अपने इको सिस्टम को भी उनके पीछे लगाया । आज जिस नरेंद्र मोदी को हम देख रहे हैं उनसे परिचय कराने का काम कांग्रेस ने ही किया है। कांग्रेस के कारण ही मोदी का कद इतना बढ़ा कि वो मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री के पद तक पहुंच गए। हैरानी यह है कि अभी तक कांग्रेस मोदी को समझ नहीं पाई है। कांग्रेस ये जानती है कि उसकी हालत के लिए मोदी जिम्मेदार हैं इसलिए उनसे लड़ रही है लेकिन ये नहीं जानती कि लड़ना कैसे है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से कांग्रेस परेशान क्यों है..?

राहुल गांधी कांग्रेस में किसी पद पर हों या न हों लेकिन पिछले 11 साल से वो ही कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे हैं। इससे पहले भी अपनी माता सोनिया गांधी के साथ मिलकर वो पार्टी और सरकार को चला रहे थे । पिछले तीन लोकसभा चुनाव में मोदी कांग्रेस को पटकनी दे चुके हैं इसके बावजूद कांग्रेस मोदी से लड़ने का तरीका ढूंढ नहीं पाई है। पिछले 11 साल से मोदी सरकार चला रहे हैं लेकिन उनकी लोकप्रियता में कमी नहीं आयी है। जहां इसकी वजह मोदी की अपनी मेहनत और कार्यशैली है तो वहीं दूसरी तरफ इसके लिए कांग्रेस की वो रणनीतियां हैं जो उसने मोदी से लड़ने के लिए अपनायी है। कांग्रेस जितना मोदी को कमजोर करने की कोशिश करती है, मोदी उतने ही ज्यादा ताकतवर होते जाते हैं। मोदी पर कांग्रेस के लगाए आरोप ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाते हैं लेकिन कांग्रेस कुछ समझने को तैयार नहीं है।

      इस समय कांग्रेस की सबसे बड़ी परेशानी ऑपरेशन सिंदूर बना हुआ है। भारतीय सेना ने सिर्फ तीन दिन की कार्यवाही में पाकिस्तान की हालत इतनी खराब कर दी कि उसे युद्ध-विराम की गुहार लगानी पड़ी । ऑप्रेशन सिंदूर के अन्तर्गत की गई कार्यवाही के विवरण जैसे-जैसे बाहर आ रहे हैं, वैसे-वैसे दुनिया को पता चल रहा है कि भारतीय सेना की ताकत क्या है। वो सिर्फ कुछ घंटों में ही पाकिस्तान जैसी मजबूत और प्रोफेशनल सेना की ऐसी हालत कर सकती है कि वो लड़ने के काबिल ही न रहे। ऑपरेशन सिंदूर  की सफलता कांग्रेस के लिए परेशानी बन गई है हालांकि ऐसा होना नहीं चाहिए था। कांग्रेस की यह सोच सही है कि इस कार्यवाही के  बाद मोदी की लोकप्रियता बढ़ेगी और भाजपा को इसका चुनावी लाभ होगा। लेकिन सवाल उठता है कि ऐसी किसी भी बड़ी सैनिक सफलता का फायदा हमेशा सत्ताधारी दल को होता रहा है, इसमें भाजपा कोई अपवाद नहीं है। अगर कांग्रेस के शासन में यह कार्यवाही होती तो उसे भी इसका राजनीतिक फायदा होता।

कांग्रेस चाहती है कि भाजपा ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का  फायदा न ले पाए । कांग्रेस की यही कोशिश उसे भारी पड़ रही है। भाजपा इस कार्यवाही का फायदा लेने की कोशिश न भी करे तो उसको इसका फायदा होने वाला ही है । अगर भाजपा खुलकर इस मामले पर राजनीति करती है और इसका फायदा उठाना चाहती है तो इसका नुकसान भाजपा को हो सकता है। जनता को पता है कि बेशक मोदी सरकार ने सेना को यह कार्यवाही करने का आदेश दिया था लेकिन यह कार्यवाही तो सेना ने ही की है । कांग्रेस इस कार्यवाही  की सफलता से डरी हुई है और इसके खिलाफ मुहिम चलाकर अपना नुकसान करने पर उतारू हो गई है। एक तरफ वो कह रही है कि वो देश की सेना के साथ है तो दूसरी तरफ कार्यवाही की सफलता को कमतर दिखाने की कोशिश कर रही है। बड़ी समस्या यह है कि अब कांग्रेस इस कार्यवाही को सिर्फ कमतर दिखाने की कोशिश नहीं कर रही है बल्कि अब कांग्रेस इसे एक असफल कार्यवाही साबित करने पर तुल गई है । ऑपरेशन सिंदूर कांग्रेस की परेशानी नहीं बनना चाहिए था लेकिन कांग्रेस के रवैये के कारण यह परेशानी का कारण जरूर बन गया है। 

     जिस  समय कांग्रेस को देश के साथ खड़े होना चाहिए, उस समय कांग्रेस दुश्मन के साथ खड़ी होती दिखाई दे  रही है। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस देश विरोध में जाना चाहती है लेकिन वो देश विरोध में दिखाई दे रही है। युद्ध-विराम को लेकर कांग्रेस ने सवाल खड़े किये और कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के दबाव में सरकार ने युद्ध-विराम किया है । इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक बयान को तोड़मरोड़ कर यह साबित करने की कोशिश की  कि उन्होंने सेना के हमला करने से पहले पाकिस्तान को हमले की सूचना दे दी थी जिसके कारण पाकिस्तान ने हमारे 6 राफेल गिरा दिए। 07 मई को जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के तहत उसके 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर देने की घोषणा की तो राहुल गांधी ने पत्रकारों के सामने अपने कुछ नेताओं के साथ इस कार्यवाही के लिए सेना को बधाई दी लेकिन सरकार के लिए दो शब्द भी नहीं कहे। इसके अलावा जब वो अपने नेताओं के साथ बधाई दे रहे थे तो सबके चेहरों के रंग उड़े हुए थे, ऐसा लग रहा था कि वो बधाई नहीं बल्कि शोक व्यक्त कर रहे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर से परेशानी राहुल गांधी और उनके नेता छिपा नहीं पा रहे थे। युद्ध विराम के बाद राहुल गांधी और कांग्रेस के दूसरे नेता सरकार को लगातार इस मुद्दे पर घेर रहे हैं कि वो ये नहीं बता रही है कि भारतीय वायुसेना के कितने युद्धक विमान पाकिस्तान ने बर्बाद कर दिए हैं। अजीब बात यह है कि अभी तक राहुल गांधी और उनके किसी नेता ने सरकार से यह नहीं पूछा है कि भारत ने पाकिस्तान का कितना नुकसान किया है लेकिन भारत का कितना नुकसान हुआ यह उन्हें जानना है।  भारतीय सैन्य अधिकारियों ने बयान दिया है कि युद्ध में नुकसान होता है लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि हमने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है। सेना के बयान के बावजूद कांग्रेस लगातार यह सवाल पूछ रही है। कांग्रेस के बयानों के आधार पर पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है लेकिन कांग्रेस यह भी देखने को तैयार नहीं है। अगर युद्ध के समय आपके काम से दुश्मन को फायदा हो रहा है तो आपको सचेत हो जाना चाहिए लेकिन कांग्रेस अपनी चाल से चलती जा रही है। कांग्रेस यह भी देखने को तैयार नहीं है कि इससे जनता में क्या संदेश जा रहा है और इसका राजनीतिक असर क्या होगा। संकट के समय दुश्मन की मदद करते हुए दिखना बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है। 

   अजीब बात यह है कि राहुल गांधी कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की तरफ भी नहीं देख रहे हैं। कांग्रेस के शशि थरूर, सलमान खुर्शीद, मनीष तिवारी और आनन्द शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में जाकर विदेशों में अपने देश की बात रख रहे हैं । अगर कांग्रेस उनके काम की तारीफ करती तो उनके कामों का फायदा कांग्रेस को हो सकता था लेकिन यहां भी कांग्रेस गलती कर रही है। कांग्रेस के नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल के साथ गए नेताओं पर ही हमला करना शुरू कर दिया है। भाजपा के कट्टर विरोधी नेता सलमान खुर्शीद को भी कहना पड़ा कि देशभक्त होना क्या इतना बुरा है, मैं यहां देश की बात रखने आया हूं, सरकार का विरोध करना होगा तो मैं अपने देश में जाकर करूंगा। समस्या यही है कि कांग्रेस को देश और सरकार के बीच का अंतर समझ नहीं आ रहा है । अब राहुल गांधी ने मोदी जी को सरेंडर  मोदी बोल  दिया है । उन्होंने कहा है कि ट्रंप के एक फोन पर मोदी जी ने आत्मसमर्पण कर दिया । उनका यह बयान पाकिस्तानी मीडिया की सुर्खियां बन गया है। जो बात पाकिस्तान की सरकार और सेना नहीं बोल सकी वो बात राहुल गांधी बोल रहे हैं । उन्हें यह भी अहसास नहीं है कि वो ऐसा बोलकर सिर्फ सरकार नहीं बल्कि सेना का भी अपमान कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से कांग्रेस परेशान क्यों है..?

सेना ने मीडिया में आकर कहा है कि उनके डीजीएमओ को पाकिस्तान के डीजीएमओ का फोन आया था और उसने युद्ध-विराम करने की  गुहार लगाई थी, तब भारतीय सेना से युद्ध-विराम किया । अगर भारतीय सेना ने झूठ बोला होता तो पाकिस्तान तुरंत डीजीएमओ की फोन रिकॉर्डिंग मीडिया के सामने रखकर भारत को झूठा साबित कर देता क्योंकि जब डीजीएमओ बात करते हैं तो उसका रिकॉर्ड रखा जाता है। पाकिस्तान चुप था लेकिन राहुल गांधी चुप होना जानते नहीं है। सबसे बड़ी समस्या यह है कि राहुल गांधी  को  सच्चा साबित करने के लिए पूरी कांग्रेस मैदान में उतर आती है। अब कांग्रेस में कोई ऐसा नेता नहीं बचा है जो कांग्रेस को इस मुश्किल वक्त में सही राह दिखा सके। पवन खेड़ा जैसे नेता बचे हैं जो नुकसान को और बड़ा कर देते हैं। ऐसा नहीं है कि कांग्रेस सवाल करके गलती कर रही है, विपक्षी दल होने के नाते यह उसका अधिकार है लेकिन समस्या यह है कि कांग्रेस यह नहीं जानती कि किस समय क्या सवाल करना चाहिए। देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी, जिसमें आज भी कई बड़े नेता हैं, उसकी यह समस्या उसे बर्बाद कर रही है। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता से कांग्रेस परेशान क्यों है..?