पीपल अकेला ऐसा पौधा जो दिन और रात दोनो समय आक्सीजन देता है। पीपल के ताजा 6-7 पत्ते लेकर 400 ग्राम पानी मे डालकर 100 ग्राम रहने तक उबाले,ठंडा होने पर पिए ब्रर्तन स्टील और एल्युमिनियम का नहीं हो, आपका ह्रदय एक ही दिन में ठीक होना शुरू हो जाएगा। औषधियों गुणों का खान है पीपल
डॉ. रोहित गुप्ता आयुर्वेदिक
वृक्षों में पीपल का स्थान सबसे ऊंचा है। वायुमंडल में सबसे अधिक मात्रा में ऑक्सीजन पीपल के द्वारा ही उत्सर्जित होती है। इसी से हम सांस लेकर जीवित रहते हैं। पीपल में अमृत तत्व पाया जाता है। इसमें देवताओं का निवास स्थान माना गया है। लेकिन आध्यात्मिक महत्व के अतिरिक्त इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पीपल के जड़ से लेकर पत्तों तक में रोग निवारण की अद्भुत क्षमता है। दूध जैसा दिखनेवाला इसका रस हृदय रोग को दूर करता है।
बरगद का पेड़ सबसे अधिक ऑक्सीजन देने वाला पेड़ है और इसकी उम्र भी इतनी है। पेड़ भी बहुत लंबा होता है, इसकी उम्र 500+ साल से भी ज्यादा हो सकती है, इतनी अच्छी उम्र इसलिए होती है क्योंकि इसके तने में जड़ें बढ़ने लगती हैं। और बरगद के पेड़ों को अधिक मजबूती मिलती है और इन्हें आसानी से कहीं भी लगाया जा सकता है।
पीपल के पत्तो पर भोजन करे, लीवर ठीक हो जाता है। पीपल के सूखे पत्तों का पाउडर बनाकर आधा चम्मच गुड़ में मिलाकर सुबह दोपहर शाम खायेँ, किंतना भी पुराना दमा ठीक कर देता है। पीपल के ताजा 4-5 पत्ते लेकर पीसकर पानी मे मिलाकर पिलाये,1- 2 बार मे ही पीलिया में आराम देना शुरू कर देता है। पीपल की छाल को गंगाजल में घिसकर घाव में लगाये तुरंत आराम देता है। पीपल की छाल को खांड (चीनी )मिलाकर दिन में 5-6 बार चूसे, कोई भी नशा छूट जाता है।
पीपल के पत्तों का काढ़ा पिये, फेफड़ो, दिल ,अमाशय और लीवर के सभी रोग ठीक कर देता है। पीपल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिये, किडनी के रोग ठीक कर देता है व पथरी को तोड़कर बाहर करता है। किंतना भी डिप्रेशन हो, पीपल के पेड़ के नीचे जाकर रोज 30 मिनट बैठिए डिप्रेशन खत्म कर देता है। पीपल की फल और ताजा कोपले लेकर बराबर मात्रा में लेकर पीसकर सुखाकर खांड मिलाकर दिन में 2 बार ले, महिलाओ के गर्भशाय और मासिक समय के सभी रोग ठीक करता है।
पीपल का फल और ताजा कोपले लेकर बराबर मात्रा में लेकर पीसकर सुखाकर खांड मिलाकर दिन में 2 बार ले, बच्चो का तुतलाना ठीक कर देता है और दिमाग बहुत तेज करता है। जिन बच्चो में हाइपर एक्टिविटी होती है, जो बच्चे दिनभर रातभर दौड़ते भागते है सोते कम है, पीपल के पेड़ के नीचे बैठाइए सब ठीक कर देता है। किंतना भी पुराना घुटनो का दर्द हो, पीपल के नीचे बैठे 30-45 दिन में सब खत्म हो जाएगा। शरीर मे कही से भी खून आये, महिलाओ को मासिक समय मे रक्त अधिक आता हो, बाबासीर में रक्त आता हो, दांत निकलवाने पर रक्त आये ,चोट लग जाये, 8-10 पत्ते पीसकर,छानकर पी जाएं, तुंरत रक्त का बहना बंद कर देता है।
शायद ही कोई इंसान होगा जो पीपल के पेड़ के बारे में नहीं जानता होगा। हाथी इसके पत्तों को बड़े चाव से खाते हैं। इसलिए इसे गजभक्ष्य भी कहते हैं। पीपल का पेड़ प्रायः हर जगह उपलब्ध होता है। सड़कों के किनारे, मंदिर या बाग-बगीचों में पीपल का पेड़ हमेशा देखने को मिलता है। शनिवार को हजारों लोग पीपल के पेड़ की पूजा भी करते हैं। अभी भी लोगों को पीपल के पेड़ से जुड़ी जानकारियां काफी कम है, अधिकांश लोग सिर्फ यही जानते हैं कि इसकी केवल पूजा होती है, लेकिन सच यह है कि पीपल के पेड़ का औषधीय प्रयोग भी किया जाता है और इससे कई रोगों में लाभ लिया जा सकता है।
कई पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में पीपल के पेड़ और इसकी पत्तियों के गुणों के बारे में बताया गया है कि पीपल के प्रयोग से रंग में निखार आता है, घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है। पीपल की छाल मूत्र-योनि विकार में लाभदायक होती है। पीपल की छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। यह सेक्सुअल स्टेमना को भी बढ़ाता है और गर्भधारण करने में मदद करता है। सुजाक, कफ दोष, डायबिटीज, ल्यूकोरिया, सांसों के रोग में भी पीपल का इस्तेमाल लाभदायक होता है। इतना ही नहीं, अन्य कई बीमारियों में भी आप पीपल का उपयोग कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी बताये गए हैं पीपल के औषधीय गुण औषधियों गुणों का खान है पीपल
- पीपल की छाया में प्रतिदिन विश्राम करने वाले लोग चर्म रोग से बचे रहते हैं।
- आंखों से पानी गिरने पर पीपल की पांच कोपलें एक कप पानी में रात को भिगो दें और सुबह उसी पानी से आंखों को धोएं।
- कोपलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर सलाई से आंखों में प्रतिदिन लगाने से आंखों की लाली तथा जलन भी दूर होती है।
- शरीर मे कही भी सूजन हो, दर्द हो, पीपल के पत्तों को गर्म करके बांध दे, ठीक हो जायेगे।
- पीपल के छोटे पत्तों को कालीमिर्च के साथ पीसकर मटर के आकार की गोलियां बनाएं। एक गोली दांतों तले दबाकर कुछ देर रखने से दांतों का दर्द दूर हो जाता है।
- 50 ग्राम पीपल की गोंद में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर चूर्ण बनाएं। प्रतिदिन सुबह 3 ग्राम यह चूर्ण सेवन करने से शरीर की गर्मी शांत होती है और नकसीर से छुटकारा मिल जाता है।
- पीपल और लसौढ़े के 5-5 पत्ते अच्छी तरह पीसकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर पंद्रह दिनों तक पीने से पीलिया रोग पूर्ण रूप से ख़त्म हो जाता है।
- पीपल के पंचांग का चूर्ण एवं गुड़ समान मात्रा में मिलाकर सौंफ के अर्क के साथ दिन में दो बार सेवन करने से पेट के सारे कीड़े मर जाते हैं। बच्चों के लिए यह बहुत उपयोगी नुस्ख़ा है।
- पीपल के सूखे फलों को कूट-पीसकर कपड़छान चूर्ण बना लें. संतानहीन स्त्रियों को इस चूर्ण की 5 ग्राम की मात्रा एक ग्लास शुद्ध गुनगुने दूध के साथ नियमित सेवन करना चाहिए। गर्भाधान अवश्य होगा। केवल मासिक धर्म के दिनों में इसका सेवन न करें।
- यदि कब्ज़ हो, तो पीपल के पत्तों को छाया में सुखाकर उसके चूर्ण को गुड़ के साथ मिलाकर गोलियां बना लें।रात को सोने के कुछ समय पहले दो गोली गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से तुरंत ही लाभ होता है।
- सांस फूलने या दमा का दौरा पड़ने पर पीपल की सूखी छाल के चूर्ण की 5 ग्राम मात्रा गुनगुने पानी के साथ दिन में तीन बार लेने से काफ़ी राहत मिलती है और धीरे-धीरे यह रोग शांत हो जाता है।
- शीघ्रपतन की शिकायत हो, तो पीपल की दुधिया रंग की 11 बूंदें शक्कर या बताशे में टपकाकर प्रतिदिन सेवन करने से सारा दोष मिट जाता है। कुछ महीनों तक इसका सेवन जारी रखें।
- सन्निपात ज्वर के रोगी को पीपल के पत्तों पर लिटाने से उसका ज्वर उतर जाता है।
- बच्चे को नज़र लग जाने पर पीपल के पत्तों को जलाकर उसका धुआं बच्चे के शरीर पर लगाने से नज़र उतर जाती है। औषधियों गुणों का खान है पीपल
नोट- निष्पक्ष दस्तक इसकी पुष्टि नहीं करता है कृपया डॉक्टर से सलाह जरूर ले।