अब केवल गांवों तक नहीं सिमटी है कुश्ती, शहरी युवा भी इस खेल से तेजी से जुड़ रहे।
न्यूज ऑफ इंडिया (एजेन्सी)
लखनऊ। खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए चयनित पहलवानों को तराशने वाले भारतीय रेलवे टीम के कोच रविंद्र मिश्रा का कहना है कि इस टूर्नामेंट से खिलाड़ियों को दो फायदे हांेगे। एक तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका मिलेगा, वहीं दूसरी ओर उन्हें यहां मेडल जीतने पर राष्ट्रीय स्तर पर एक्सपोजर मिलेगा।बरेका के कुश्ती हाल में युवा पहलवानों की नई पौध को तैयार करनेे में व्यस्त रविंद्र मिश्रा कहते हैं, हाल के सालों में खेलों के प्रोत्साहन के लिए सरकार के स्तर पर काफी प्रयास हुए हैं, इसी का नतीजा है कि खेलों के प्रति युवाआंे में क्रेज बढ़ा है। कुश्ती की बात करें तो किसी जमाने में इसे ग्रामीण स्तर का खेल कहा जाता था मगर आज शहर के युवा इस खेल से तेजी से जुड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं लगभग 40 साल से कुश्ती से जुड़ा हूँ पहले मैं खिलाड़ी था मगर पिछले 20 साल से कोच की भूमिका में हूँ। इस दौरान काफी खिलाड़ियों को तराशने का मुझे मौका मिला। मेरे 30 से अधिक प्रशिक्षु रेलवे, बैंक, सेना में खेल कोटे के तहत नौकरी कर रहे हैं। उनकी तरक्की देखकर मेरा सीना चौड़ा हो जाता है। अब केवल गांवों में नहीं होगी कुश्ती
बकौल रविंद्र, मुझे भारतीय रेलवे के अलावा भारत की राष्ट्रीय टीम के साथ जुड़कर काम करने का मौका मिला है। भारत की जूनियर टीम के साथ मैं हंगरी, क्रोएशिया, ब्राजील, थाईलैंड और मंगोलिया का दौरा कर चुका हूं। हर दौर में मेरी भूमिका टीम के कोच अथवा मुख्य कोच की रही है। विदेशी धरती पर जब भारत का खिलाड़ी पदक जीतता है और मेडल सेरेमनी में भारतीय राष्ट्रगान की धुन बजती है तो वह पल खिलाड़ी से लगाव हरेक के लिए अविस्मरणीय होता है। मैं अपने को भाग्यशाली मानता हूं कि जीवन में कई दफा मैं इस अहसास से गुजरा हूं। बातचीत के दौरान रविंद्र की जुबां पर अंतरराष्ट्रीय पहलवान सचिन गिरी का नाम भी आया। सचिन उनके सबसे अच्छे और प्रतिभावान प्रशिक्षुओं में से हैं। बताया कि ग्रीमोरोमन शैली के पहलवान सचिन साल 2020 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय कुश्ती टीम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इसके अलावा सचिन साल 2021 में एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय दल का हिस्सा रहे हैं। इन दिनों सचिन बरेका में सेवारत हैं। चोट की वजह से पिछले कुछ समय से वह कुश्ती से दूर हैं। स्वस्थ्य होते ही वह जल्द वापसी करेंगे। अब केवल गांवों में नहीं होगी कुश्ती