अमेरिका की थानेदारी पर अब संकट के बादल

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अमेरिका की थानेदारी पर अब संकट के बादल
अमेरिका की थानेदारी पर अब संकट के बादल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए वैश्विक प्रतिरक्षा कवच ‘गोल्डन डोम’ के ऐलान के प्रतिरक्षात्मक मायने। यही वजह है कि कभी दुनिया को युद्ध और संघर्ष बांटने वाला अमेरिका अब कथित शांति की बात करते हुए युद्ध से भाग रहा है।अमेरिका की थानेदारी पर अब संकट के बादल

कमलेश पांडेय
कमलेश पांडेय,वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक

दुनिया के थानेदार अमेरिका की थानेदारी पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस नजरिए से उसे कभी रूस की चुनौती मिल रही है तो कभी चीन की, कभी भारत ताल ठोक देता है तो कभी यूरोपीय संघ और कभी कभार ईरान, उत्तरी कोरिया जैसे सनकी देश भी। यही वजह है कि अमेरिकी प्रशासन की चिंता बढ़ चुकी है। इस लिहाज से कभी वह रूस को पटाने की कोशिश करता है तो कभी चीन को। वहीं उसके साथ भारत जो शातिराना खेल खेल रहा है, उस चक्रव्यूह में अमेरिका दिन ब दिन उलझता जा रहा है।

देखा जाए तो इराक में जो अमेरिकी रणनीति को सफलता मिली, वह अफगानिस्तान में नहीं मिली। वहीं ईरान में भी वह औंधे मुंह गिरेगा, क्योंकि उस पर रूस का बरदहस्त है जिसे चीनी समर्थन हासिल है। यही वजह है कि कभी दुनिया को युद्ध और संघर्ष बांटने वाला अमेरिका अब कथित शांति की बात करते हुए युद्ध से भाग रहा है। वहीं, अपने दुनियावी स्लीपर सेल को रूस, चीन, भारत और यूरोपीय संघ के सामने चतुराई पूर्वक खड़ा कर रहा है, जिससे हर जगह तनातनी मची हुई है।

इस लिहाज से अमेरिका देर-सबेर सबके निशाने पर आएगा और इसी से अपनी सुरक्षा पुख्ता करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐतिहासिक घोषणा करनी पड़ी। जैसा कि देश के 40वें दूरदर्शी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि मिसाइल हमले से बचाव के लिए ये तकनीक पहले उपलब्ध नहीं थी, इसलिए अपनी सोच समझ के मुताबिक रीगन साहब ऐसा नहीं कर पाए। लेकिन उनके यशस्वी उत्तराधिकारी के रुप में वे यह ऐतिहासिक घोषणा कर रहे हैं कि अब अमेरिका “गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड” की मदद से विदेशी मिसाइल हमलों से अपना बचाव करेगा। जिसकी लागत 175 बिलियन डॉलर आएगी। समझा जाता है कि यह तकनीकी इजरायल की मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली आयरन डोम से भी उन्नत तकनीकी होगी, जो जमीन के अलावा अंतरिक्ष तक फैली होगी।

 
बकौल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, “विदेशी मिसाइलों के हमले से बचाव को लेकर हम गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड के बारे में ऐतिहासिक घोषणा कर रहे हैं। यह कुछ ऐसा है जो हम चाहते हैं। रोनाल्ड रीगन (40वें अमेरिकी राष्ट्रपति) इसे कई साल पहले ही चाहते थे लेकिन उनके पास तकनीक नहीं थी। यह योजना अमेरिका की पहली ऐसी प्रणाली होगी जिसमें अंतरिक्ष में हथियार तैनात किए जाएंगे।


बता दें कि गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस शील्ड से जुड़ी घोषणा को लेकर व्हाइट हाउस की तरफ से जारी एक वीडियो संदेश में ट्रंप ने कहा है कि, ‘यह कुछ ऐसा है जो हमारे पास होगा। हम इसे उच्चतम स्तर पर रखने जा रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान, मैंने अमेरिकी लोगों से वादा किया था कि मैं अपने देश को विदेशी मिसाइल हमले के खतरे से बचाने के लिए अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस शील्ड बनाऊंगा। हम आज यही कर रहे हैं।’ अमेरिकी प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, पूरे ‘गोल्डन डोम’ प्रोजेक्ट की लागत, लगभग 175 अरब डॉलर है। सिर्फ अंतरिक्ष आधारित हिस्से की अनुमानित लागत 542 अरब डॉलर (20 वर्षों में) है। वहीं ट्रंप ने प्रारंभिक खर्च के लिए 25 अरब डॉलर की मांग की है जो कि उनके प्रस्तावित टैक्स बिल में शामिल है।

उल्लेखनीय है कि गोल्डन डोम एक बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली है जिसका उद्देश्य मिसाइलों को चार अलग-अलग चरणों में रोकना है। इस योजना का सबसे नया और विवादास्पद पहलू यह है कि इसमें अंतरिक्ष में हथियार तैनात किए जाएंगे, जिससे मिसाइलों को उनकी उड़ान के किसी भी चरण में रोका जा सकेगा- चाहे वे अंतरिक्ष से ही क्यों न दागी गई हों। पहला, लॉन्च से पहले ही उन्हें नष्ट करना; दूसरा, उड़ान की शुरुआत में रोकन; तीसरा, मध्य आकाश में मिसाइल को गिराना; और चतुर्थ, लक्ष्य पर गिरने से ठीक पहले खत्म करना। यदि यह प्रणाली सफल होती है तो पुनः अमेरिका अजेय हो जाएगा।

शायद इसलिए डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस से एलान करते हुए कहा कि वह चाहते हैं कि 2029 तक यह प्रणाली पूरी तरह चालू हो जाए, यानी उनके कार्यकाल के अंत तक। हालांकि, अमेरिकी रक्षा अधिकारियों का मानना है कि इतनी जटिल प्रणाली उस समय तक केवल प्रारंभिक रूप से कार्य करने योग्य हो सकती है। यही वजह है कि इस परियोजना की निगरानी के लिए ट्रंप ने जनरल माइकल ग्वेटलाइन को जिम्मेदारी सौंपी है। वे वर्तमान में स्पेस ऑपरेशन्स के उप प्रमुख हैं।


सवाल है कि आखिर अमेरिका के लिए गोल्डन डोम क्यों जरूरी है? तो जवाब स्पष्ट है कि अमेरिकी रक्षा विभाग “पेंटागन” काफी लंबे समय से अपने मुखिया को यह चेतावनी देता आ रहा है कि नए तकनीकी दौर में चीन और रूस की मिसाइलें इतनी अधिक उन्नत हो गई हैं कि अब पारंपरिक मिसाइल रक्षा प्रणाली से काम नहीं चलेगा। यही वजह है कि अब अमेरिका अंतरिक्ष से ही मिसाइलों को पहचानने और नष्ट करने की योजना पर काम कर रहा है। चूंकि चीन और रूस ने अंतरिक्ष में ऐसे सैटेलाइट तैनात कर दिए हैं जो अमेरिकी सैटेलाइट्स को निष्क्रिय कर सकते हैं। ऐसे में अमेरिकी चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। 

वहीं, रूस एक ऐसा परमाणु हथियार विकसित कर रहा है जो अंतरिक्ष में मंडरा सकता है और समय आने पर आसपास के सैटेलाइट्स को नष्ट कर सकता है। इसलिए अमेरिका हमेशा चौकन्ना रहता है। अब वह किसी से सीधे भिड़ने के बजाय दो देशों को परस्पर भिड़ाने पर बल दे रहा है और इसमें वह एक हद तक सफल भी हुआ है। रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध, भारत-पाकिस्तान सीमित युद्ध इसका ताजा उदाहरण है।

यही वजह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने समकक्ष  रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से इस मुद्दे पर बातचीत अपनी सुविधा के अनुसार ‘सही समय पर बात करेंगे।’ हालांकि ट्रंप ने योजना चुन ली है लेकिन पेंटागन अभी भी आवश्यकताओं का निर्धारण कर रहा है। सामान्यत: पहले रक्षा जरूरतें तय की जाती हैं, फिर परियोजना शुरू होती है लेकिन ट्रंप सरकार ने उल्टी प्रक्रिया अपनाई है। यूएस नॉर्दन कमांड (जो अमेरिका की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है) अभी यह तय कर रहा है कि गोल्डन डोम से क्या-क्या करवाना है। यह सब एक प्रारंभिक क्षमता दस्तावेज में दर्ज किया जाएगा।


बता दें कि अमेरिका के पास पहले से ही कई मिसाइल रक्षा प्रणालियां हैं- जैसे, पैट्रीअट मिसाइल सिस्टम- जिसे यूक्रेन में इस्तेमाल किया जा रहा है। सैटेलाइट नेटवर्क- जो मिसाइल लॉन्च का पता लगाने में सक्षम है। लिहाजा इनमें से कुछ प्रणालियों को गोल्डन डोम में शामिल किया जाएगा। बता दें कि ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के पहले ही हफ्ते में एक कार्यकारी आदेश जारी कर अंतरिक्ष आधारित इंटरसेप्टर प्रणाली विकसित करने के निर्देश दिए थे। हालांकि अब वह अपनी इस योजना को गति देने के लिए बेताब दिखाई दे रहे हैं। यह दुनिया के युद्ध और प्रतिरक्षा रणनीतिकारों के लिए किसी नई चुनौती से कम नहीं है। वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नए अमेरिकी प्रतिरक्षा कवच ‘गोल्डन डोम’ के ऐलान के अंतरराष्ट्रीय मायने को समझना सजग देश-दुनिया के लिए जरूरी है ताकि इसकी भी अगली काट ढूंढी जा सके।अमेरिका की थानेदारी पर अब संकट के बादल