जानें क्या है PMMSY योजना
जानें क्या है PMMSY योजना

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जानें क्या है PMMSY योजना

भारत देश में अब सिर्फ मछुआरे ही नहीं, बल्कि छोटे–बड़े किसान और मछली पालक भी इस क्षेत्र से जुड़कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। मछली उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। हमारे देश में मछली उत्पादन की अपार संभावनाएं है।

मत्स्य उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है जिससे निर्धन से निर्धन व्यक्ति अपना जीवन सुखी से व्यतित कर सकता है  एवं अच्छी आय प्राप्त कर सकता है तथा समाज में क्रान्तिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। विभिन्न माध्यमों से मत्स्य पालन व्यवसाय में लगकर अपना आर्थिक स्तर सुधरा है तथा सामाजिक स्तर में भी काफी सुधार हुआ है। प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत 10 सितंबर 2020 को  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की गयी। इस योजना की शुरुआत आत्मनिर्भर भारत के तहत  की गयी। 

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 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये की योजना की सूचना दी। 20050 करोड़ रुपए की लागत वाली यह केंद्रीय योजना और केंद्र प्रयोजित योजना के रूप में लागू की जाएगी। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 9407 और राज्य की हिस्सेदारी  4880 तथा लाभार्थियो की हिस्सेदारी 5763 करोड़ रुपए होगी। इस योजना को  वित्त वर्ष  2020-21  से  2024-25 तक  5 वर्ष की अवधी में लागू किया जाएगा। भारत विश्व में मछली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और अंतर्देशीय मत्स्य पालन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। मत्स्य क्षेत्र देश में 11 लाख से अधिक लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना का लाभ क्या है?

इस उद्योग पर आधारित अन्य सहायक उद्योग भी हैं जैसे जल निर्माण उद्योग, नाव निर्माण उद्योग, बर्फ के कारखाने आदि उद्योग भी मत्स्य उद्योग से लाभान्वित हो रहे हैं। यह उद्योग बेरोजगारी दूर करने में सहायक है। रोजगारमूलक होने के कारण इस उद्योग के माध्यम से देश की पिछड़ी अवस्था में सुधार किया जा सकता है। मत्स्य पालन व्यवस्था शुरू करने के पहले मत्स्यपालकों को उन्नत तकनीकी की जानकारी देनी तथा प्रशिक्षण देना होगा। अगर मत्स्य पालन उन्नत तकनीकी से किया जाएगा तो निश्चित रूप से मत्स्य उत्पादकता बढ़ेगी और जब मत्स्य उत्पादकता बढ़ेगी तो आय में वृद्धि होगी और आय में वृद्धि होगी तो निश्चित रूप से सामाजिक स्तर सुधरेगा क्योंकि आर्थिक अभाव में जहां निर्धन व्यक्तियों का जीवन-स्तर गिरा हुआ था उसमें सुधार होगा। परिवार के बच्चों को; शिक्षित कर सकेंगे और जब बच्चे शिक्षित हो जाएंगे तो समाज मे उनका स्तर ऊंचा होगा

योजना का लक्ष्य बागवानी को बढ़ाना या बढ़ाना, कृषि कचरे के प्रबंधन और उन्मूलन का आधुनिकीकरण करना और मत्स्य क्षेत्र में क्षमता का उपयोग करना। इस योजना के तहत सरकार बिहार के सीतामढ़ी में Fish Brood Bank और किशनगंज में Aquatic Disease Referral Laboratory की भी शुरुआत करेंगे।  मछली पकड़ने और संबद्ध गतिविधियों में लगभग 15 लाख मछुआरों, मछली किसानों, मछली विक्रेताओं, मछली विक्रेताओं और अन्य ग्रामीण/ शहरी आबादी को प्रत्यक्ष लाभकारी रोजगार के अवसरों का सृजन और उनकी आय में वृद्धि सहित अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों के रूप में इस संख्या में वृद्धि करना इसका उद्देश्य है।

प्रधानमंत्री मत संपदा योजना का लक्ष्य क्या है…?

वर्ष 2024-25 तक मत्स्य उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना। इस योजना को मछली पालन को बढ़ावा दिए जाने के लिए शुरू किया है ताकि मछली उत्पादन में वृद्धि हो।मत्स्य पालन क्षेत्र और सहायक गतिविधियों में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसर पैदा करना। वर्ष 2024-25 तक मत्स्य निर्यात से होने वाली आय को 1,00,000 करोड़ रुपए तक करना। पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना। योजना के तहत सरकार बीमा उपलब्ध कराएगी ताकि उन्हें भी किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचाया जा सके। योजना का लक्ष्य बागवानी को बढ़ाना या बढ़ाना है, कृषि अपशिष्ट को संभालना और कम करना है और मत्स्य क्षेत्र में क्षमता का उपयोग करना है।2024 तक मछुआरों, मछली किसानों और मछली श्रमिकों की आय का दोगुना करना।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत सरकार ने मछली पालन के क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके तहत मछुआरों, मछली पालकों, मछली विक्रेताओं, मछली पालन से जुड़े स्वयं सहायता समूहों और महिला किसान उत्पादक संगठनों को आर्थिक मदद भी प्रदान की जा रही है। 20,050 करोड़ के सबसे ज्यादा निवेश वाली इस योजना के तहत 2024-25 तक 55 लाख लोगों को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। जिसके तहत लाभार्थियों को मछली पालन के लिए ऋण की सुविधा के साथ-साथ दुर्घटना बीमा से कवरेज भी प्रदान की जायेगी।

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लिए कौन-कौन लाभार्थी होंगे? प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लिए सभी मछली किसान, मछली कामगार, मछली को बेचने वाले, सभी SCs/ महिला/ एसटी/ और अलग अलग विकलांग व्यक्ति हो सकते हैं।

जानें PMMSY का उद्देश्य क्या है?

PM मत्स्य संपदा योजना का उद्देश्य नीली क्रांति के माध्यम से देश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में सतत और जवाबदेह विकास को सुनशिचित करना है इस योजना के दो घटक होंगे पहला केंद्रीय योजना और दूसरा केंद्र प्रयोजित योजना। केंद्रीय योजना के दो वर्ग होंगे एक लाभार्थी वर्ग और ‘दूसरा’ गैर लाभार्थी वर्ग। मुख्य रूप से रोज़गार सृजन गतिविधियों जैसे समुद्री शैवाल और मछली की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह मछलियों की गुणवत्ता वाली प्रजातियों की नस्ल तैयार करने तथा उनकी विभिन्न प्रजातियाँ विकसित करने, महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के विकास और विपणन नेटवर्क आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा।

मंत्रालय विभिन्न प्रकार से मछली पालन, जहाजों, ट्रैसेबिलिटी, प्रयोगशाला नेटवर्क आदि को मजबूत करने में सहयोग करेगा। इस  योजना से पशुपालकों को बेहतर लागत देने में और उनके वेतन को दुगना करने में सहायता मिलेगी। भूमि और पानी के विकास, ऊंचाई, विस्तार और मछुआरे और मछली पालकों की आमदनी और काम करने करने में सहायता मिलेगी ।

जैसा कि आप सब जानते है इस समय कोरोनावायरस (COVID-19) से पूरा देश लड़ रहा है। ऐसे में अब देश के विभिन्न प्रकार से बहुत गरीब लोगों पर इसका गहरा असर हुआ है। इन सब में वह सब लोग भी आते हैं जो हर रोज मछली को पकड़कर या उसे बेचकर अपना रोज़गार चलाते हैं। इन लोगों पर भी बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है।  प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना मछुआरों और मछली पालकों को सामाजिक, भौतिक और वित्तीय सुरक्षा मिलेगी और ये सुविधाएँ मत्स्य किसानों के लिये गुणवत्ता  सस्ती दर पर मत्स्य बीज की समय पर उपलब्धता, सुनिश्चित करके मत्स्य उत्पादन और उसकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करेंगी और मछलियों के रोग निदान के साथ-साथ पानी और मिट्टी की परीक्षण सुविधाओं की आवश्यकता को भी पूरा करेंगी।

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