महंगाई:आपदा या अवसर….

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महंगाई:आपदा या अवसर….
महंगाई:आपदा या अवसर….

अजीत सिंह

आईपीएल का सीजन चल रहा है तो बात क्रिकेट से शुरू करता हूं और मंहगाई की ओर ले जाऊंगा पहले वन डे क्रिकेट मे 250 रन का स्कोर एक बड़ा स्कोर माना जाता था और उसे भी चेज करना मुश्किल होता था फिर ये संख्या 300 और 350 तक गई और वो रन भी आसानी से चेज होने लगे वन डे मे ही आस्ट्रेलिया ने‌ एक बार 400 से उपर बनाया और दक्षिण अफ्रीका वो आंकड़ा भी पार कर गई अब 20 -20 मे भी 250 रन बन जाना सामान्य सा लगने लगा और वो भी चेज हो जाता है समय के साथ साथ आपकी चेंजिंग पावर बढ़ती है देखिए न 50/60 रुपए प्रति लीटर वाला पेट्रोल”100 के पार हुआ और 40/45 वाला डीजल 90-95 रुपए लीटर तक पहुंच गया पहले ये आपको बड़ा लगता था लेकिन अब सामान्य लगने लगा लेकिन जैसे जैसेआप मंहगाई के इस पिच पर अच्छा खेलने लगेंगे आप इसको आसानी से चेंज कर लेंगे यह सब भी धीरे-धीरे आपको सामान्य लगने लगेगा.. ₹700 वाला गैस सिलेंडर 950 के ऊपर पहुंच गया यह भी सामान्य हो गया संख्या आंकड़े समयानुसार आपके सोचने समझने और उनसे लड़ने भिड़ने की शक्ति को बदल देते हैं कुछ दिनों मे आपको अगर सरसों का तेल अगर नवरत्न की तरफ पाउच में मिलने लगे तो बहुत असहज मत होइगा ये सब भी हो सकता है फिर आखिरी वाला मूल मंत्र आखिर कमाते किस लिए हैं इतना बचा के करोगे क्या गांव में फ्री में मिलने वाला मट्ठा मैं बगल की पतंजलि वाली बाबा रामदेव की दुकान से ₹12 का पाउच खरीदता हूं पहले एकाद बार सोचा अब मुझे ये सामान्य लगने लगा है… महंगाई आपदा या अवसर….

आप की क्रय शक्ति ही आपको बड़ा आदमी बनाएगी आपकी खर्च करने की आदत ही आपको कमाई के प्रति प्रेरित करेगी कभी-कभी सकारात्मक भी सोचा करिए आप ₹20 की बोतल का पानी खरीद कर ही फूल पचक रहे हैं लोग हजार ₹500 के लीटर वाला भी पानी पी रहे हैं कम से कम आपको टारगेट जिंदगी में बड़ा रखना चाहिए वहां पहुंचिए आंकड़ो को गौर से देखिए यही आपको एक दिन सामान्य कर देंगे और आप खुद इनसे लड़ने लगेंगे और जीत जाएंगे… दर्द जब हद से गुजरता है तो उसके सहने की शक्ति ही दवा हो जाती है एक दिन सब सामान्य हो जाएगा हमारी इच्छा शक्ति ही महंगाई पर जीत दिलायेगी सरकार में पढ़ें लिखे लोग यही सब आंकड़ा आपको सामान्य बताने में लगे हैं इतनी अच्छी छ..और आठ लैन‌ सड़कें हैं फर्राटा दौड़ती ट्रेने हैं शहर शहर खुले हवाई अड्डे हैं इन सब का आनंद लीजिए वहीं पुरखों वाली आदत दाल नोन पिसान का रोना कब तक रोईगा सरकार आपको ढकेल ढकेल कर विकसित भारत की ओर लई जा रही है आप होके उसी विकासशील वाले दल दल में फंसे रहना चाहते हो चाणक्य ने कहा था ऋणम कृत्वा घृतम पिवेत कर्जा लैके मौज करो यही सब कर रहे हैं आप भी करिये और खुश रहा करिये हां भाला भी तैयार रखिये हम सब राणा के वंशज वो भी फेंकना है …. महंगाई आपदा या अवसर….