UP में बनेंगी हाईटेक जेल

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26 जून तक बढ़ा ग्रीष्मकालीन अवकाश
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उत्तर प्रदेश में बनेंगे 20 नए हाईटेक कारागार। योगी के निर्देश पर 19 जिलों में जिला कारागार और एक जिले में केंद्रीय कारागार के निर्माण की कार्रवाई तेज। UP में बनेंगी हाईटेक जेल,जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या को देखते हुए योगी सरकार ने लिया फैसला।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों की संख्या को देखते हुए योगी सरकार ने प्रदेश के कई जिलों में नई जेलों के निर्माण का निर्णय लिया है। प्रदेश में 11 ऐसे जिले चिह्नित किए गए हैं, जहां पर अभी कोई जेल नहीं है। इसके अलावा एक केंद्रीय कारागार और नौ जिलों में दूसरी जेल के निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वहीं कुछ जेलों में बैरकों की संख्या बढ़ाई जा रही है।

इसके लिए योगी सरकार के निर्देश पर शासन ने कारागार विभाग को हरी झंडी देते हुए भारी भरकम बजट जारी कर दिया है। इन जेलों को वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए हाईटेक टेक्नोलॉजी का यूज करते हुए बनाया जाएगा। इसके साथ ही नई जेलों के निर्माण का लक्ष्य 2 से 5 साल का निर्धारित किया गया है।

मुख्यमंत्री योगी ने प्रस्ताव को दी हरी झंडी


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक उच्च स्तरीय बैठक में कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने अवगत कराया था कि वर्तमान में प्रदेश की केंद्रीय और जिला कारागार समेत कई कारागार में क्षमता से अधिक बंदी हैं। ऐसे में जेल मैनुअल द्वारा प्रदत्त सुविधाएं उपलब्ध कराने और बंदियों के मानवाधिकारों के संरक्षण को देखते हुए नई जेलों की आवश्यकता है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीएम योगी को बताया कि वर्तमान में 7 केंद्रीय कारागार में 13,669 बंदियों की क्षमता है जबकि यहां पर 15,201 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 111 प्रतिशत है।

इसी तरह 62 जिला कारागार में 49,107 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 95,597 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 194 प्रतिशत है। वहीं 2 उप कारागार में 306 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 664 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 216 प्रतिशत है। महिला केंद्रीय कारागार में 120 बंदियों की क्षमता है, जिसके सापेक्ष 148 बंदी निरुद्ध हैं, जिसका रेश्यो 123 प्रतिशत है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग को जल्द से जल्द नई जेलों के निर्माण के संबंध में प्रस्ताव बनाकर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे, जिसके बाद विभाग ने प्रदेश के 11 जिलों में नई जेलों के निर्माण का प्रस्ताव बनाकर शासन को सौंपा था। इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष दोबारा बैठक होने पर शासन ने नई जेलों के निर्माण का प्रस्ताव रखा, जिसे सीएम ने हरी झंडी दे दी। सीएम योगी का अप्रूवल मिलते ही शासन ने कारागार विभाग को नई जेलों के निर्माण के लिए भारीभरकम बजट जारी कर दिया है।

जेल मंत्री धरमवीर प्रजापति ने उत्तर प्रदेश लोकभवन लखनऊ में सतत क्रियाशील मुख्यमंत्री को लगातार सबसे ज़्यादा लम्बे समय तक मुख्यमंत्री पद पर विराजमान एवं 100 बार बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर कीर्तिमान स्थापित करने पर शुभकामनाएँ प्रेसित की।

नई जेल निर्माण की कार्रवाई हुई तेज

शासन से नई जेलों के निर्माण का बजट जारी होते ही प्रदेश के उन जिलों में इनके निर्माण का रास्ता साफ हो गया, जहां पर अभी तक कोई जेल नहीं है। प्रदेश के 11 जिलों क्रमश: अमेठी, महोबा में 990-990 बंदी क्षमता और कुशीनगर, चंदौली, औरेया, हापुड़, संभल, अमरोहा, भदोही में एक-एक हजार बंदी क्षमता, हाथरस में 1026 बंदी क्षमता, शामली में 2 हजार बंदी क्षमता की जेलों को निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसी तरह ललितपुर में एक नये केंद्रीय कारागार के निर्माण की कार्रवाई तेज कर दी गई है, जिसकी बंदी क्षमता दो हजार होगी। वहीं ललिपुर में एक हजार बंदी क्षमता की दूसरी जिला कारागार के निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसी तरह बरेली की पुरानी जेल के मरम्मत एवं नवीनीकरण के लिए धनराशि स्वीकृत कर दी गई है, जिसका बंदी क्षमता 2579 होगी।

इसके अलावा मुरादाबाद, मुजफ्फनगर में तीन-तीन हजार, शाहजहांपुर, बदायूं, वाराणसी में दो-दो हजार, जौनपुर, रामपुर में एक-एक हजार और कानपुर नगर में 5 हजार बंदी क्षमता के जिला कारगार के निर्माण की कार्रवाई चल रही है। वहीं मार्च के आखिर में श्रावस्ती में 502 और प्रयागराज में 2688 बंदी क्षमता का जिला कारागार बनकर तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही गोरखुपर जिला कारागार में 30 बंदी क्षमता की एक बैरक, केंद्रीय कारागार वाराणसी में 30 क्षमता की सात बैरक और जिला कारागार मथुरा में 30 बंदी क्षमता की चार बैरक का निर्माण कार्य किया जा रहा है। ऐसे में नई जेलों के निर्माण, कुछ जेलों की मरम्मत और जेलों में बैरक की क्षमता बढ़ाने से 35 हजार से अधिक बंदियों को जिन जेलों में क्षमता से अधिक रखा गया है उन्हे यहां शिफ्ट किया जा सकेगा।

जेलों में बंदी क्षमता से 173% ज्यादा-जबकि अधिकारी व स्टाफ 30% कम

डीआईजी के तीन पदों पर एक महीने से आईपीएस की तैनाती नहीं। पदोन्नति नहीं होने से विभागीय अधिकारियों के कई पद भी खाली हैं।

प्रदेश कारागार विभाग में अधिकारियों और कर्मचारियों की कमी का सिलसिला बना हुआ है। जेलों में बंदियों की तादाद कुल क्षमता से जहां 173 प्रतिशत अधिक है। वहीं अधिकारियों एवं स्टाफ की तादाद करीब 30 प्रतिशत कम है। करीब एक माह का वक्त बीतने के बाद भी डीआईजी के तीन पदों पर आईपीएस की तैनाती भी नहीं की गयी है। इसी तरह पदोन्नति न होने की वजह से विभागीय अधिकारियों से भरे जाने वाले कई पद भी रिक्त चल रहे हैं।

ये पद भी हैं रिक्त

पदनाम स्वीकृत पद रिक्त पद

कारापाल 98 04

उप कारापाल 292 128

जेल हेड वार्डर 1589 71

जेल वार्डर 7815 2068

चिकित्साधिकारी 153 36

फार्मासिस्ट 149 89

विभागीय आंकड़ों के मुताबिक अपर महानिरीक्षक कारागार के दो विभागीय पद पदोन्नति न होने से रिक्त हैं। पदोन्नति न होने से डीआईजी कारागार के सात विभागीय पदों में से छह रिक्त चल रहे हैं। विभाग में वरिष्ठ अधीक्षक ग्रेड-2 के दस अधिकारियों की आवश्यकता है जबकि, पदोन्नति के अभाव में पांच पद रिक्त हैं। इसी तरह अधिशाषी अभियंता और निदेशक कारागार का एक-एक पद भी रिक्त है। वहीं कारागार अधीक्षक के 72 स्वीकृत पदों में से 23 रिक्त हैं। हालांकि सीधी भर्ती के जरिए 20 पदों को भरने का प्रस्ताव लोक सेवा आयोग को भेजा जा चुका है।

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