

भारत में पिछले एक दशक के दौरान आम आदमी की आर्थिक आदतों में बड़ा बदलाव आया है। इस दौरान घरेलू बचत घटी है तो बाजार आधारित निवेश माध्यमों जैसे म्यूचुअल फंड, इक्विटी और पेंशन फंड में लोगों की रुचि बढ़ी है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि देश में प्रति व्यक्ति वित्तीय कर्ज बढक़र 86,713 रुपए हो गया है, जो 2019 में 46,898 रुपए था। यह बदलाव देश के मध्यम वर्ग की बदलती आर्थिक प्राथमिकताओं और बढ़ती कर्जदारी की ओर इशारा करता है। बचत घटने के बावजूद, आम आदमी की वित्तीय देनदारी तेजी से बढ़ रही है। 2019 में जहां यह जीडीपी का 32.9 प्रतिशत थी, जो 2024 तक बढक़र 41प्रतिशत हो गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिए गए लॉन्ग और शॉर्ट टर्म लोन के कारण हुई है। वहीं, म्यूचुअल फंड, इक्विटी और पेंशन फंड में निवेश करने की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है। इसके साथ ही, बैंकों में चालू खाता और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) में जमा में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। आर्थिक आदतों में बदलाव से घरेलू बचत घटी तो देनदारी बढ़ी
2014 से 2024 तक भारत की कुल बचत दर में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिला है, जिसमें व्यक्तिगत, कंपनी और सरकारी बचत शामिल है। 2014 में भारत की बचत दर 30 फीसदी के करीब थी, जो धीरे-धीरे घटकर 2024 तक 27 फीसदी तक पहुंच गई है। इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे बढ़ते घरेलू खर्च, और आर्थिक अनिश्चितताएं। व्यक्तिगत बचत में भी गिरावट आई है, क्योंकि लोग अधिक खर्च करने लगे हैं। दस सालों में म्यूचुअल फंड में निवेश लगभग 6 गुना बढ़ा है। पिछले 10 सालों में पेंशन फंड के इक्विटी मार्केट में निवेश में काफी वृद्धि हुई है।
घरेलू बचत, जो भारत की आर्थिक मजबूती का आधार रही है, हाल के वर्षों में तेजी से घटी है। 2020-21 में घरेलू बचत का आंकड़ा देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 22.7 फीसदी था, लेकिन 2024 तक यह घटकर 18.4 फीसदी पर आ गया। कोविड-19 महामारी के दौरान घरेलू बचत का उपयोग कई परिवारों ने अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए किया, जिससे यह गिरावट और तेज हो गई। घरेलू बचत का यह घटता आंकड़ा भारत की आर्थिक ढाल को कमजोर कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह ट्रेंड, भविष्य में मंदी जैसे वैश्विक आर्थिक संकट के समय, भारतीय अर्थव्यवस्था को जोखिम में डाल सकता है।
शेयर बाजार में निवेश की दिशा में तेजी से वृद्धि हो रही है, जहां लोग अब बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थाओं की बजाय जोखिम लेकर निवेश कर रहे हैं। पिछले एक दशक में भारतीयों ने शेयर बाजार में करीब 1 ट्रिलियन डॉलर की कमाई की है। लोग अब अपनी बचत को सुरक्षित रखने के बजाय अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए शेयर बाजार की ओर रुख कर रहे हैं। भारत में वर्किंग पॉपुलेशन का 70 फीसदी हिस्सा 20 से 40 साल के बीच है, जिससे खपत में वृद्धि हुई है, लेकिन साथ ही बचत की प्रवृत्ति में कमी आई है। इस कारण वित्तीय देनदारियां तेजी से बढ़ी हैं। आर्थिक आदतों में बदलाव से घरेलू बचत घटी तो देनदारी बढ़ी