साक्षात्कार में ओबीसी,एससी के साथ भेदभाव कर चयन से कर दिया जाता है बाहर। यूपीएससी सहित अन्य भर्तियों के साक्षात्कार में होता है जातीय व क्षेत्रीय पक्षपात।
लखनऊ । भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता लौटन राम निषाद ने कहा है कि संघ लोक सेवा आयोग,राज्य लोक सेवा आयोग आदि सहित अन्य नियुक्तियों के साक्षात्कार में भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाई जाती है,इसमें पारदर्शिता और निष्पक्षता नहीं दिखती।उन्होंने वर्गवार साक्षात्कार को पूरी तरह गलत बताते हुए कहा है कि साक्षात्कार बोर्ड द्वारा ओबीसी, एससी, एसटी के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाकर अनेक मौकों पर उन्हें कम अंक देकर मेरिट को न्यून कर दिया जाता है। आन्ध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने एपीपीएससी नियुक्ति के लिए साक्षात्कार को खत्म कर दिया है,जो उचित निर्णय रहा।उन्होंने केन्द्र एवं राज्य सरकारों से सभी भर्तियों में साक्षात्कार खत्म करने की माँग किया है।
ओबीसी प्रवक्ता लौटन राम निषाद ने विश्वविद्यालयों,
आईआईटी, आईआईएम,एनआईटी जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में केवल इंटरव्यू के आधार पर भर्ती किए जाने के कारण कुलपतियों की कमेटियों द्वारा भर्ती में भेदभाव किए जाने की शिकायते आती रहती हैं। चूंकि केवल इंटरव्यू के आधार पर भर्ती होती है, इसलिए वहां पर अधिकांश रूप में भर्ती में निष्पक्षता और पारदर्शिता नहीं पाई जाती है,ओबीसी,एससी,एसटी के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाकर बाहर कर दिया जाता है।
इसलिए विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए जाने की जरूरत है।उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालयों / इंस्टिट्यूट्स में असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती हेतु किसी विषय में मास्टर डिग्री और नेट अथवा पीएचडी की अर्हता निर्धारित की गई है ,जबकि अधिकांश एप्लिकेंट मास्टर, नेट, एम.फिल, पीएच.डी, पीडीएफ धारक होने के बावजूद भी सेलेक्सन कमेटियों द्वारा कुछ मिनटों के इंटरव्यू में उनको योग्य अथवा अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। जबकि इंटरव्यू देने वाले अधिकांश एप्लिकेंट सभी क्लास प्रथम श्रेणी पास हुए होते हैं। वह नेट, जेआरएफ, एमफिल, पीएच. डी, और पीडीएफ धारक होने के साथ साथ उनके शोध पत्र, पुस्तकें और 5,7 वर्ष तक विश्वविद्यालयों, कालेजों में गेस्ट, कांट्रेक्ट,रेगुलर, एडहॉक टीचिंग और रिसर्च का अनुभव धारक होते हैं। इसके बावजूद भी विश्वविद्यालयों की सेलेक्सन कमेटियों द्वारा उनको अयोग्य घोषित कर दिया जाता है।
जिसका मुख्य कारण केवल इन्टरव्यू के आधार पर भर्ती किया जाना है। इस प्रकार केवल इंटरव्यू के आधार पर भर्ती किए जाने से विश्व विद्यालयो में परिवारवाद, भाई- भतीजावाद, सत्तावाद, क्षेत्रवाद,जातिवाद,जुगाड़वाद रूपी भ्रष्ट्राचार अधिकांश रूप में हावी है। केवल इंटरव्यू के आधार पर भर्ती का किया जाना लैटरल इंट्री जैसा मॉडल है जहां नब्बे प्रतिशत से अधिक पदों पर भर्ती भेदभाव पूर्ण होती है।
निषाद ने बताया कि हालांकि पिछ्ले साल से उत्तर प्रदेश के विश्व विद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती हेतु नई प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जिसमें 100 अंक एकादमिक परफार्मेंस इंडेक्स (ए.पी.आई.) और मात्र 40 अंक की लिखित परीक्षा के अंकों को जोड़कर इंटरव्यू के लिए एप्लिकेंट को बुलाया जाता है किंतु फाइनल सेलेक्सन इंटरव्यू के आधार पर ही किया जाता है,जिसमें ए.पी.आई. और लिखित परीक्षा के अंको को नहीं जोड़ा जाता है। अधिकांश रूप में देखने में आया है कि भर्ती प्रक्रिया में सब पहले से सेट होता है और एप्लिकेंट के साथ मात्र औपचारिकता निभाई जाती है। कभी कभी भर्ती में सभी एप्लिकेंट को एन एफ एस/नाट फाउंड सूटेबल घोषित करके पदों को खाली छोड़ दिया जाता है। नाट फाउंड सूटेबल भी अधिकांश रूप में आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एससी, एसटी) के पदों पर ही किया जाता है। जिसका मुख्य कारण विषय विशेषज्ञ कमेटी में पिछड़ा, दलित ,आदिवासी विषय विशेषज्ञ का न रखा जाना है।
विश्वविद्यालयों ,आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी जैसे उच्च शिक्षा संस्थानो की भर्ती में संघ लोक सेवा आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग, उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की तरह सभी इंटरव्यू देने वाले एप्लिकेंट को मिनिमम 40 चालीस प्रतिशत अंक इंटरव्यू में दिए जानें की अनिवार्यता रखी गई है जबकि विश्वविद्यालयों / इन्स्टीट्यूटस की भर्ती के इन्टरव्यू में भी मिनिमम 40 चालीस प्रतिशत अंक दिए जाने की अनिवार्यता होनी चाहिए , जो की वहां पर नहीं है।
निषाद ने बताया कि हाल के वर्षो में कुछ राज्यों द्वारा विश्वविद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता और परदर्शिता लाने हेतु कदम उठाए गए हैं जिसमें बिहार राज्य में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती हेतु बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग का गठन किया गया है। जहां पर 100 एपीआई अंक तथा मात्र 15 अंक इंटरव्यू द्वारा भर्ती की जा रही है जहां भर्ती में निष्पक्षता पार्दर्शिता आई है। झारखंड, उड़ीसा , आंध्र प्रदेश राज्यों में असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर विस्वविद्यालयों की भर्ती लोक सेवा आयोग के द्वारा की जाती है।
इसलिए सभी विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया में निष्पक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग की तरह विश्वविद्यालयों/ इंस्टीट्यूट्स की भर्ती लिखित परीक्षा 200 अंक और ए.पी.आई. 100 अंक तथा इंटरव्यू मात्र 10 या 15 अंक के द्वारा करवाने के लिए कानून बनाया जाना चाहिए। ताकि विस्वविद्यालयों / इंस्टिट्यूट्स की भर्ती में आम एप्लीकेंट के साथ किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव न होने पाएं और भर्तियों में कुलपतियों की विषय विशेषज्ञ सेलेक्शन कमेटियों की मनमानी किए जानें पर लगाम लगे । इसलिए विश्वविद्यालयों, इंस्टिट्यूट्स की भर्ती में निष्पक्षता और पारदर्शिता लाने के लिए लिखित परीक्षा की मेरिट द्वारा भर्ती किया जाना न्याय संगत होगा।