महाराष्ट्र- महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाला गठबंधन ‘महायुति’ बड़ी जीत की तरफ बढ़ रहा है.राज्य की कुल 288 विधानसभा सीटों के नतीजों और रुझानों में महायुति गठबंधन 230 से ज़्यादा सीटों पर जीती है या आगे चल रही है, वहीं ‘महाराष्ट्र विकास अघाडी’ का आंकड़ा 50 से नीचे सिमट सकता है. नतीजों में उद्धव ठाकरे की शिवसेना बुरी तरह से पिछड़ती हुई नजर आ रही है.महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति ने बाजी मार ली है. एनडीए ने यहां बंपर बहुमत हासिल किया है. बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन ने 288 में से 235 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं एमवीए 50 से भी कम सीटों पर सिमट गई. इधर झारखंड में हेमंत सोरेन ने जबरदस्त जीत हासिल की है. यहां INDIA गठबंधन ने 57 सीटों पर जीत दर्ज की तो वहीं एनडीए गठबंधन महज 23 सीटें ही जीत पाई. इधर यूपी उपचुनाव में बीजेपी प्लस ने 9 में से 7 सीटें जीत ली, तो वहीं समाजवादी पार्टी ने 2 सीटों पर जीत हासिल की है. साथ ही प्रियंका गांधी वाड्रा ने वायनाड में 4 लाख से भी ज्यादा मतों से बड़ी जीत दर्ज की है. महाराष्ट्र में ‘महायुति’ बड़ी जीत का बड़ा सन्देश
2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे की अविभाजित शिवसेना,भाजपानेतृत्व वाले एनडीए का हिस्सा थी. उस वक्त पार्टी ने 124 सीटों पर चुनाव लड़कर 56 सीटों पर जीत हासिल की थी.पार्टी में टूट होने के बाद भी उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने लोकसभा चुनाव 2024 में अच्छा प्रदर्शन किया था. पार्टी ने राज्य की कुल 48 लोकसभा सीटों में से 9 पर जीत दर्ज की थी.चुनाव से पहले ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के चुनावी रण में बड़े खिलाड़ी बनकर उभरेंगे, लेकिन नतीजों ने इन सब पर विराम लगा दिया है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की राजनीति का अंत हो रहा है?उद्धव की शिवसेना का भविष्य क्या है? क्या उन्होंने शिवसैनिकों के ‘सेनापति’ का ताज खो दिया है? और इस हार के पीछे सबसे बड़ी वजह क्या है?
साल 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने महाराष्ट्र की राजनीति को हमेशा के लिए बदल दिया. राज्य में ऐसी राजनीतिक उठापटक हुई कि कई नेताओं ने अपने सियासी पाले बदल लिए. उस वक्त उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाने के लिए तैयार नहीं हुए. भाजपा में बेचैनी बढ़ी तो पार्टी ने एनसीपी के अजीत पवार के साथ सरकार बना ली और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने, हालांकि ये सरकार 80 घंटे से ज्यादा नहीं चल पाई. भाजपा के साथ दशकों पुराना साथ छोड़कर उद्धव ठाकरे ने राज्य में कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के सहयोग से सरकार बना ली. करीब ढाई साल बाद यानी जून 2022 में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने राजनीतिक भूचाल ला दिया. उद्धव ठाकरे के विश्वासपात्र एकनाथ शिंदे ने पार्टी के 40 से ज्यादा विधायकों को साथ लिया और शिवसेना पर अपना दावा ठोक दिया.
शिवसेना में दो फाड़ के बाद भाजपा के सहयोग से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए. इतना ही नहीं कुछ दिन बाद एनसीपी में भी टूट हो गई और शरद पवार के भतीजे अजित पवार भाजपा नेतृत्व वाली ‘महायुति’ सरकार में शामिल हो गए.इतना ही नहीं जब असली शिवसेना को लेकर फैसले का समय आया तो महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर और चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया.अब शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे के पास है. हालांकि इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर अभी फैसला नहीं आया है. महाराष्ट्र में ‘महायुति’ बड़ी जीत का बड़ा सन्देश