
आयुर्वेदिक डॉ.रोहित गुप्ता
दाद या रिंग वर्म एक प्रकार का त्वचा रोग है। त्वचा शरीर का बाह्रय अंग होने के कारण सीधे बाहरी वातावरण के सम्पर्क में आती है। इसके बाह्रय जगत के सम्पर्क के कारण ही इसे अनेक वस्तुओं से हानि पहुंचती है। त्वचा सरलता से देखी जा सकती है, इस कारण इसके रोग चाहे चोट से हो अथवा संक्रमण / इंफेक्शन से, रोगी का ध्यान अपनी ओर तुरंत आकर्षित कर लेते है। दाद को आयुर्वेद शास्त्र में दद्रू मण्डल नामक व्याधि से संबोधित करते है। जिसके लक्षण प्राय: दाद से मिलते जुलते है। दाद/ रिंग वर्म एक प्रकार इन्फ़ेक्शन स्वरूप रोग है। दाद एक फफूंद ( fungus ) द्वारा होने वाला इन्फ़ेक्शन है, जो शरीर तर कहीं भी हो सकटा है। इसलिए जिसे दाद हो, उससे दूर रहना चाहिए। दाद वाली जगह पर बहुत खुजली होती है। जिससे लोग बहुत ही परेशान रहते है। दाद (रिंग वर्म) की आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा
जानिये दाद के प्रकार उनके लक्षण और उपाय
1 बालों की जड़ों में खुजली होना
2 छोटी – छोटी फुंसी होना
3 बाल झड़ना, चमड़ी का तड़कना , पस होना
4 अंदरूनी स्थानों पर लाल चकते होना
5 त्वचा पर लाल रंग के ग़ोल आकृती के दाग़ होना
6 प्रभावित स्थान पर सुजन भी आ जाती है ।
7 दाद धीरे – धीरे बढ़कर बहुत फैल जाती है ।
8 थोड़ी सी भी खुजली करने से यह फैलने लगता है । हम प्राय: देखते हैं कि दाद हेने पर रोगी व्यक्ति एलोपेथी की दवा लेने में शीघ्रता करता है, परंतु देखा जाए, तो इस दाद स्वरूप त्वचा रोग का उपचार आयुर्वेद तथा घरेलू उपचार से भी हो सकता है।
हर दिन स्नान करें तथा सम्पूर्ण शरीर की सफ़ाई करें। कपूर तेल को नीम तेल के साथ मिलाकर दिन में कम से कम दो बार लगाने से लाभ होता है। एलोवेरा का अर्क भी हर तरह की दाद को दूर करने में सहायक सिद्ध होता है। गंधक मलहम का लेप करें। दाद (रिंग वर्म) की आयुर्वेदिक घरेलू चिकित्सा