आईएएस और आईपीएस की गुंडाई पर जाति की राजनीति नहीं हो। अफसरों के निलंबन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को आईएएस एसोसिएशन का साथ मिला। सचिव डॉ. समित शर्मा की प्रेरणादायक पहल। अजमेर विकास प्राधिकरण में कूट कूट कर भरा है भ्रष्टाचार। आयुक्त के निलंबन का भी डर नहीं। दफ्तर में ही रिश्वत लेते गिरदावर को पकड़ा। आईएएस-आईपीएस की गुंडाई पर जाति राजनीति
एस.पी.मित्तल
अजमेर के निकट गेगल हाइवे स्थित एक होटल पर गुंडाई करने के प्रकरण में आईएएस गिरधर (बेनीवाल) और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई की गिरफ्तारी की तैयारी हो रही है। वहीं इस प्रकरण को अब जातिवाद का रंग देने के प्रयास भी शुरू हो गए हैं। यह सही है कि होटल के मालिक महेंद्र सिंह ने अजमेर के राजपूत नेताओं के साथ राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ से मुलाकात की थी। इसके बाद राठौड़ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को घटना की जानकारी दी। सीएम के निर्देश के बाद सरकार ने 13 जून को दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया। घटना 11 जून की रात 2 बजे की थी। आरोप है कि इन दोनों अधिकारियों ने अपने कुछ साथियों और गेगल थाने की पुलिस के माध्यम से होटल के कर्मचारियों को बुरी तरह पीटा। सीसीटीवी फुटेज में इस गुंडाई के दौरान दोनों अधिकारी भी मौजूद थे। आईएएस-आईपीएस की गुंडाई पर जाति राजनीति
यह मामला पूरी तरह आपराधिक प्रवृत्ति का है। इसमें जाति की राजनीति की कोई गुंजाइश नहीं है। लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार अब इस मुद्दे पर जाति की राजनीति शुरू हो गई है। इन दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी न हो, इसके प्रयास शुरू हो गए हैं। सीएम गहलोत पर भी चौतरफा दबाव डाला जा रहा है। यह तब है जब आईपीएस सुशील कुमार बिश्नोई के खिलाफ पूर्व में भी बलात्कार का मुकदमा दर्ज हो चुका है। आईपीएस के मात्र चार साल के कार्यकाल में बिश्नोई पर तीन बार आपराधिक आरोप लग चुके हैं। आईएएस और आईपीएस में चयन होने के बाद युवाओं से अच्छे आचरण की उम्मीद की जाती है, क्योंकि इन दोनों ही वर्गों के अधिकारी केंद्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधि होते हैँ। सरकार का हर निर्णय आईएएस और आईपीएस के द्वारा क्रियान्वित होता है। जब इस स्तर के अधिकारी रात दो बजे हाईवे की होटल पर हंगामा करेंगे तो फिर इस सेवा पर सवाल उठेंगे? सरकार को जल्द से जल्द इन दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी कर समाज के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए।
मुख्य सचिव भी नाराज
प्राप्त जानकारी के अनुसार आईएएस और आईपीएस के प्रकरण में राज्य सरकार को सूचित नहीं किए जाने को लेकर मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा ने भी नाराजगी जताई है। शर्मा का कहना रहा कि उन्हें मीडिया और नेताओं के जरिए घटना की जानकारी मिली। जबकि ऐसे गंभीर प्रकरण में जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को तत्काल सूचना उपलब्ध करवानी चाहिए थी। मुख्य सचिव ने 11 जून की रात को हाईवे की होटल पर हुए प्रकरण की निंदा की है। उन्होंने इस घटना को प्रशासनिक तंत्र के लिए उचित नहीं माना। सीएस के सख्त रुख से प्रतीत होता है कि जल्द ही संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही होगी।
आईएएस एसोसिएशन का साथ
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर आईएएस गिरधर बेनीवाल और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई के विरुद्ध निलंबन की जो कार्यवाही हुई है उसमें राजस्थान आईएएस एसोसिएशन का साथ मुख्यमंत्री मिल गया है। 14 जून को एसोसिएशन की ओर से सचिव डॉ. समित शर्मा एक बयान जारी किया है। इस बयान में कहा गया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा राष्ट्र की सेवा करने और इसके विकास में योगदान करने के प्रचुर अवसर प्रदान करती है। आईएएस अधिकारियों को विभिन्न क्षमताओं में समाज की सेवा में उनकी प्रभावशीलता को बढ़ाने के उद्देश्य से शक्तियां और विशेषाधिकार सौंपे जाते हैं। हालांकि ये जिम्मेदारियां सिविल सेवकों के लिए निर्धारित मानदंडों नियमों और सार्वजनिक सेवा में आचरण के उच्चतम मानकों का पालन करने के लिए एक महत्वपूर्ण दायित्व के साथ आती हैं।
एक आईएएस अधिकारी से जुड़ी हालिया घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और इसने सार्वजनिक व्यवहार के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के महत्व पर जोर देने की आवश्यकता पर बल दिया है। यह अपेक्षा की जाती है कि हम जनता सहकर्मियों और साथी नागरिकों के साथ अपनी सभी बातचीत में शालीनता शिष्टाचार सम्मान धैर्य सहानुभूति और विनम्रता प्रदर्शित करें। ऐसा करने से हम विश्वास बना सकते हैं, सिविल सेवा की एक सकारात्मक छवि को बढ़ावा दे सकते हैं और जिन लोगों की हम सेवा करते हैं उनमें आत्मविश्वास पैदा कर सकते हैं। एसोसिएशन सार्वजनिक व्यवहार के उच्च मानकों को बनाए रखने और भारत के संविधान में निहित आदर्शों और मूल्यों को संजोने के लिए गहराई से प्रतिबद्ध है। यह सेवा की भावना से ओत प्रोत अधिकारियों का एक दल बनाने का भी इरादा रखता है।
इसलिए हाल की घटना के आलोक में उच्च नैतिक मूल्यों नैतिक आचरण और सार्वजनिक व्यवहार के उच्च मानकों के पालन की आवश्यकता और महत्व पर जोर दिया जाता है। साथ मिलकर हम महान सिद्धांतों को बनाए रखने का प्रयास करते हैं जो लोक सेवकों के रूप में हमारी भूमिकाओं का मार्गदर्शन करते हैं जनता के विश्वास, जवाबदेही, जिम्मेदारी, पारदर्शिता को बढ़ावा देते हैं और हमारे सभी प्रयासों में व्यावसायिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हैं। एसोसिएशन ने जो बयान जारी किया है उससे युवा आईएएस और आईपीएस को सबक लेना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि डॉ. समित शर्मा ने एसोसिएशन के सचिव के तौर पर एक प्रेरणादायक पहल की है। इससे प्रतीत होता है कि किसी आईएएस के गलत बरताव पर एसोसिएशन सहयोग नहीं करेगी। उल्लेखनीय है कि डॉ. समित शर्मा राजस्थान में प्रशासनिक सुधार नवाचार करने के लिए जाने जाते हैं।
एडीए में भ्रष्टाचार:-
अजमेर विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार कूट कूट कर भरा है। इस बात की पुष्टि 14 जून को एडीए के गिरदावर प्रवीण तत्ववेदी की गिरफ्तारी है। तत्ववेदी को एसीबी ने दफ्तर में ही बीस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। यह राशि भूखंड के नियमन को लेकर ली गई। 14 जून को गिरदावर तत्ववेदी ने रिश्वत लेने की हिम्मत तब दिखाई, जब एडीए के आयुक्त गिरधर बेनीवाल के निलंबन को लेकर कार्यालय में सन्नाटा था। तत्ववेदी को इस बात का डर नहीं रहा कि सरकार ने आईएएस तक को निलंबन कर दिया है। आमतौर पर जब किसी बड़े अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही होती है तो रिश्वतखोर कार्मिक थोड़ी सतर्कता बरते हैं। लेकिन एडीए में तो भ्रष्टाचार कूट कूट कर भरा है, इसलिए आयुक्त के निलंबन के बाद भी गिरदावर तत्ववेदी ने बीस हजार रुपए की रिश्वत लेने में कोई संकोच नहीं किया।
राज्य सरकार ने भूखंडों के नियमन प्रक्रिया को बहुत सरल कर दिया है, लेकिन इसके बाद भी भ्रष्ट कार्मिक नियमन की एवज में मोटी रकम वसूल रहे हैं। किसी आवासीय कॉलोनी में सौ में से पचास भूखंडों का नियमन कर दिया गया है। लेकिन शेष पचास भूखंड के मालिकों से नियमन की एवज में वसूली हो रही है। बड़े अधिकारी भी रिश्वत खोरी में लिप्त है इसलिए कोई यह पूछने वाला नहीं जब एक ही कॉलोनी में भूखंडों के नियमन कर दिए गए हैं, तो दूसरों के भूखंडों के नियमन का मामला क्यों लटका रखा है। आईएएस-आईपीएस की गुंडाई पर जाति राजनीति