मिलेट्स को मोती बनाएगी योगी सरकार
पांच साल में मोटे अनाजों की खेती के लिए करीब 1.5 लाख किसान होंगे प्रशिक्षित। 55 ऐसे केंद्र खोले जाएंगे जहां एक ही छत के नीचे प्रसंस्करण, पैकिंग एवं विपणन की सुविधा हो।
लखनऊ। खेत से लेकर लैब तक, शोध से लेकर नवाचार तक इसे आम एवं खास लोगों की थाली का हिस्सा बनने का प्रयास हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार हालात ऐसे ही रहे तो अगले पांच साल में इसके वैश्विक बाजार में करीब 4.5 फीसद की वृद्धि हो जाएगी।इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के मद्देनजर खाद्यान्न एवं पोषण के लिए बेहद मुफीद मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने के लिए पूरी दुनिया शिद्दत से लग चुकी है।
भारत 2018 में ही मिलेट्स ईयर मना चुका है। भारत के ही प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया है। लिहाजा भारत की भूमिका इसमें सर्वाधिक अहम हो जाती है। भारत का प्रयास भी यही है कि वह इस मामले में अगुआ बनकर उभरे। बजट में अब तक कदन्न माने जाने वाले मोटे अनाजों को श्रीअन्न का दर्जा देकर और इसके लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाने जैसी घोषणाएं इसका प्रमाण हैं।
UP के किसानों की किस्मत बदलने वाली है। दरअसल,यूपी के किसानों की आय बढ़ाने के लिए योगी सरकार ने मोटे अनाजों की खेती के लिए करीब 1.5 लाख किसानों को प्रशिक्षित करने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से हरी झंडी मिल गई है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने बजट 2023 में मोटे अनाज पर जोर दिया है। भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। इस अवसर को भुनाने के लिए योगी सरकार ने राज्य के करीब डेढ़ लाख किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रोत्साहित करने का प्लान बनाया है।
इसी क्रम में योगी सरकार भी मिलेट्स को मोती बनाने में जुट गई है। अगले पांच साल की कार्ययोजना बनकर तैयार है। योजना के अनुसार इस दैरान सरकार मिलेट्स के प्रसंस्करण, पैकिंग सह विपणन के 55 केंद्र खोलेगी। शोध एवं इन्नोवेशन की प्रक्रिया तेज करने के साथ इसकी खेती के लिए इच्छुक किसानों को समय से गुणवत्तापूर्ण बीज मिले, इसके लिए कई स्तरों पर जवाबदेही तय की जाएगी। खेती के उन्नत तौर-तरीकों के प्रशिक्षण के लिए करीब 137300 किसानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। मोबाइल आउटलेट, मंडी में अलग से जगह आवंटन, ग्राम्य विकास विभाग की मदद से गावों में इनके आउटलेट्स खोलने की योजना है।
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क्यों महत्वपूर्ण है यूपी की भूमिका
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में करीब 70 फीसद लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं। इसमें से भी करीब 90 फीसद सीमांत एवं लघु किसान हैं। यह वही वर्ग है, 1960 के पहले जिसके थाली का मुख्य हिस्सा मोटे अनाज ही थे। परंपरागत खेती में लगने वाले इनपुट सामान्यतः इनकी पहुंच के बाहर हैं। ऐसे में यह किसी तरह से अपने छोटे-मोटे जोत पर खेती करते हैं। इससे इनका बमुश्किल गुजारा हो पाता है। कम पानी, खाद और किसी भी भूमि पर होने वाले मोटे अनाजों की खेती इस वर्ग के लिए सबसे मुफीद होगी।
श्री अन्न में क्या-क्या हैं शामिल और इनसे होने वाले लाभ
ज्वार:- यह ग्लूटेन फ्री और प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। डायबिटीज के मरीजों के लिए बढ़िया भोजन है।
बाजरा:- इसमें विटामिन बी6, फॉलिक एसिड मौजूद है। ये खून की कमी को दूर करता है।
रागी या मड़ुआ:- यह नेचुरल कैल्शियम का स्रोत है। बढ़ते बच्चे और बुजुर्गों की हड्डी मजबूत करने में मदद करता है
सांवा या सामा:- फाइबर और आयरन से भरपूर है। एसिडिटी, कब्जियत और खून की कमी को दूर करता है।
कंगनी:- ये डिटॉक्सिफिकेशन में मदद करता है। बीपी और बैड कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है।
कोदो:- यह भी फाइबर से भरपूर है। घेंघा रोग, रुसी की समस्या से संबंधित बीमारी और बवासीर में फायदेमंद है।
कुटकी:- ये एंटीऑक्सीडेंट का एक अच्छा स्रोत है। इसमें मौजूद मैग्नीशियम कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करता है और हृदय को स्वस्थ रखता है।
कुट्टू:- यह अस्थमा के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद अमीनो एसिड बाल झड़ने से रोकता है।
मिलेट्स को मोती बनाएगी योगी सरकार