क्या अब चुनाव आयोग भी लड़ेगा….?

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पिछले चुनावों के समय मतदाता सूची में जोड़े और काटे गये नामों का विवरण चुनाव आयोग से मिल जाता था लेकिन इस बार ऐसी सूची का प्रकाशन नहीं किया जा रहा है। प्राप्त सूचनानुसार मतदाता सूची में 21,56,262 नाम जोड़े गए हैं जबकि 16,42,756 नाम काटे गए हैं। पता नहीं किस दबाव में जोड़े और काटे गए नामों का विवरण नहीं दिया जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग पर मतदाता सूची में जोड़े और काटे गये नामों की जानकारी राजनीतिक दलों को नहीं देने का आरोप लगाते हुए जरूरत पड़ने पर आयोग के खिलाफ धरना देने की चेतावनी दी है।अखिलेश यादव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अब तक चुनाव आयोग मतदाता सूची में नाम जोड़ने और काटने के बाद सूची जारी करता था “मगर इस बार चुनाव आयोग पता नहीं क्यों, किसके दबाव में वह इस सूची को जारी नहीं कर रहा है। अगर हम एक राजनीतिक दल के रूप में आपत्ति करना चाहें, नाम जुड़वाना चाहें तो हमारे पास कोई जानकारी नहीं है। इसलिये हमने शिकायत की है और अगर जरूरत पड़ी तो समाजवादी पार्टी चुनाव आयोग के खिलाफ भी धरना देगी।”

अखिलेश ने कहा कि हर चुनाव में जोड़े गए और काटे गए नाम की मतदाता सूची 2019 तक दी गई है, फिर इस बार क्यों नहीं दी जा रही है। राजनीतिक दलों को यह सूची क्यों नहीं दी जा रही है। क्या कारण है? उन्होंने कहा कि अगर चुनाव आयोग के ख़िलाफ धरना देना पड़ा तो हम चुनाव आयोग के बाहर धरने पर भी बैठ जाएंगे।अखिलेश ने कहा कि चुनाव आयोग में दिल्ली में जितने अधिकारी गए हैं सब यूपी से गए हैं। यूपी में ही चुनाव है। हम उम्मीद करते हैं कि चुनाव आयोग निष्पक्ष काम करेगा।

अखिलेश का उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले आयोग पर हमला,प्रदेश में 21 लाख 56 हजार 262 मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटे गये हैं और 16 लाख 27 हजार 756 नए मतदाताओं के नाम जोड़े गये हैं लेकिन चुनाव आयोग सूची जारी नहीं कर रहा है।16 लाख से ज्यादा समाजवादी वोटरों के काटे गए नाम….?

उन्होंने कहा कि इस बार नयी मतदाता सूची में 21 लाख 56 हजार 262 नाम जोड़े गये हैं और 16 लाख 42 हजार 756 नाम काटे गये हैं। उन्होंने कहा कि अब तक यही होता रहा है कि नाम काटे और जोड़े जाने के बाद वह सूची सभी राजनीतिक दलों को जारी होती थी। यादव ने कहा कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव तक मतदाता सूची में जोड़े और काटे गये नाम की सूची राजनीतिक दलों को दी गयी थी लेकिन इस बार क्यों नहीं दी जा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक सवाल पर कहा,”सुनने में यह आ रहा है कि चुनाव आयोग में दिल्ली में जितने भी अधिकारी हैं वे सब उत्तर प्रदेश के हैं और उत्तर प्रदेश में ही चुनाव है। हमें उम्मीद है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष काम करेगा। अगर 2019 तक राजनीतिक पार्टियों को सूची दी जाती थी तो इस बार क्यों नहीं दी जा रही है। यह बड़ा सवाल है,क्योंकि वह जानते हैं कि जनता तैयार है, इनको हटाने के लिये।”

“बिहार का चुनाव सबने देखा, कितने करीब से निकल गया। भाजपा हार गयी थी। हमारे प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के अन्य जिम्मेदार लोग आयोग गये थे और ज्ञापन दिया था। दिल्ली में भी हम ज्ञापन भेजवाएंगे। उसके बाद इंतजार करेंगे, नहीं तो धरने पर बैठ जाएंगे।”