
राजेन्द्र चौधरी
चुनाव सुधार तभी संभव है जब चुनाव निष्पक्ष होंगे। चुनाव सुधार के लिए चुनाव आयोग की नियुक्ति का तरीका बदला जाय। चुनाव आयोग की नियुक्ति निष्पक्ष और पारदर्शी हो। अखिलेश यादव ने कहा है कि आयोग की नियुक्ति की जो व्यवस्था पहले थी भाजपा सरकार ने उसे बदल दिया। विपक्ष को लगना चाहिए कि नियुक्ति में उसकी भी भूमिका है। इसके साथ ही चुनाव बैलेट पेपर से होना चाहिए। ईवीएम से चुनाव पर बहुत सवाल उठ रहे हैं। भारत ही नहीं पूरी दुनिया के अन्दर इलेक्ट्रानिक चीजों पर सवाल उठ रहे हैं। जो टेक्नालॉजी की बात कर रहे है वे भारत और जर्मनी, भारत और अमेरिका, भारत और जापान की तुलना कर लें, पता चल जायेगा कि हम कहां खड़े हैं। कई सम्पन्न देश जो तकनीक में भारत से कई गुना आगे हैं, अगर वे ईवीएम को नहीं स्वीकार कर रहें हैं तो यहां ईवीएम से वोटिंग क्यों हो रही है? जर्मनी जैसे देश में ईवीएम से वोटिंग असंवैधानिक माना जाता है। वहां बैलेट से वोट पड़ता है। हमारी मांग है कि बैलेट से मतदान हो। संसद में चुनाव सुधार पर चर्चा में भाग लेते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि बात रिफार्म की हो रही है। आखिर ये बात क्यों आई? जब कोई चीज अपने मूल स्वरूप में होती है तो उसे फार्म कहा जाता है। जब वह मूल फार्म खो जाती है तो डि फार्म कहा जाता है। उसी चीज को मूल फार्म में लाने का प्रयास रिफार्म होता है। अखिलेश यादव ने कहा कि आज चुनाव सुधार की जरूरत क्यों पड़ी? हमारी चुनावी प्रक्रिया को खराब किसने किया? यहां चुनावी प्रक्रिया बाहर के लोगों ने नहीं अंदर के लोगों ने खराब की है। चुनाव में मीडिया की भूमिका तय होनी चाहिए:अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव के दौरान खातों में पैसा देकर प्रभावित किया जा रहा है। बिहार में 10 हजार रूपया दिया गया। एक तरफ भाजपा पैसा देती है वहीं दूसरी तरफ अगर विपक्षी दल की सरकार कोई नीति लागू करती है तो भाजपा उस पर रोक लगवाती है। उन्होंने कहा कि चुनाव में मीडिया की भूमिका तय होनी चाहिए। चुनाव के समय पर सभी राजनीतिक दलों का मीडिया में बराबर स्थान नहीं मिलेगा तो चुनाव निष्पक्ष नहीं होगा। सरकारी हो या निजी मीडिया सभी दलों को बराबर स्पेस मिलना चाहिए। इधर देखा जा रहा है कि सोषल मीडिया में दूसरों की छवि खराब करने के लिए पैसा खर्च किया जा रहा है। भाजपा के हजारों लोगों को लगाकर हजारों करोड़ रूपया नकारात्मक कैम्पेन के लिए खर्च करती है। भाजपा चुनाव में सोशल मीडिया पर निगेटिव प्रचार कराती है। इसी तरह से इलेक्ट्रोरल बांड का सबसे ज्यादा पैसा भाजपा को मिलता है। सबसे ज्यादा चुनाव खर्चा भाजपा के पास होता है। इलेक्ट्रोरल बांड का खेल सबको दिखाई दे रहा है। चुनाव आयोग इसमें सुधार लाए।
अखिलेश यादव ने कहा कि एसआईआर को लेकर बीएलओ पर भारी दबाव है। उत्तर प्रदेश में 9 बीएलओ की जान चली गयी है। उन पर काम का बोझ था। अधिकारी दबाव बना रहे हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि बीएलओ को टेªनिंग दी गयी है लेकिन एक भी टेªनिंग नहीं दी गयी। जो बीएलओ लगाए गये हैं उनका पूरा परिवार फार्म भरवाने में लगा है। उत्तर प्रदेश में जिन नौ बीएलओ की मौत हुई है। समाजवादी पार्टी ने उनके परिवार को दो लाख रूपये से मदद की है। हमारी मांग है कि चुनाव आयोग एक-एक करोड़ रूपये से मदद करे और सरकारी नौकरी दे।
अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव सुधार की प्रक्रिया चुनाव आयोग से शुरू होनी चाहिए। बंदूक तानकर वोटरों को रोकने पर, चुन-चुनकर अधिकारी पोस्ट करने पर, विपक्षी दलों के जीतने पर परिणाम बदलने पर, सत्ताधारियों द्वारा पैसा बांटने पर पकड़े जाने पर, चुन-चुन कर पीडीए के वोट कटवाने पर, नकली आधार से वोट डालने पर चुनाव के दौरान योजना बनाकर घूस देने पर, कार्रवाई होनी चाहिए। हम चाहते है कि वोटरलिस्ट एक हो और वोटर कार्ड भी सुधार हो। उत्तर प्रदेश में एसआईआर में आधार कार्ड नहीं माना जा रहा है। जबकि उसमें सब डाकूमेंट है। फिंगर है। रेटिना की इमेज है। सारी जानकारी है। फिर भी आधार नहीं माना जा रहा है। इसका मतलब यह एसआईआर नहीं है। यह अंदर ही अन्दर एनआरसी है। जो एनआरसी का काम भाजपा खुलकर नहीं कर पा रही है वह एसआईआर के बहाने कर रही है। सबसे ज्यादा सुधार की जरूरत भरोसा जगाने की है। ईवीएम हटाकर बैलेट से चुनाव हो। चुनाव धांधली पर तय समय सीमा में कार्रवाई हो। विपक्ष की शिकायतों की अनदेखी न हो। पक्षपात न हो। चुनाव आयोग निर्भीक हो। चुनाव आयोग सरकार के इशारे पर काम न करे।
अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव जीते जाते है, हारे जाते हैं लेकिन आयोग को निष्पक्ष होना चाहिए। चुनाव निष्पक्ष कराना चाहिए। एक समय था जब लोकसभा में समाजवादी पार्टी के पांच सांसद थे आज 37 सांसद है। समाजवादी पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को दूसरे नम्बर पर पहुंचा दिया। समाजवादी पार्टी पहले नम्बर की पार्टी बन गयी है। भाजपा ने जहां से कम्युनल पॉलिटिक्स शुरू की थी। पूरे देश में माहौल बनाया था उस अयोध्या से भी समाजवादी पार्टी के हमारे अवधेश प्रसाद जी चुनाव जीते। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी है लेकिन वह निष्पक्ष क्यों नही है? 2024 में फर्रूखाबाद लोकसभा चुनाव में मतगणना के दिन पुलिस और प्रशासन दिन भर विपक्ष के लोगों पर लाठी चलाता रहा रिजल्ट बदलने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए। लाइट काटी गयी। उत्तर प्रदेश में फर्रूखाबाद समेत कई जगह का रिजल्ट बदला गया। समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग से शिकायत की धांधली की जानकारी दी। लेकिन आयोग ने कोई सुनवाई नहीं की। उत्तर प्रदेश में पिछले कई उपचुनाव में चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए।
रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भाजपा और उसके मुख्यमंत्री ने तय किया था कि सीट हर हालत में जीतनी है। हमें आशंका थी कि चुनाव में हर तरीके से धांधली की जायेगी। वोटिंग के दिन पुलिस-प्रशासन ने वोटरों को घर से नहीं निकलने दिया। सरकार और भाजपा की कोशिश रही कि मतदाता घरों से न निकलने पाएं। चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने एक-एक घटना की जानकारी और पुलिस-प्रशासन की ज्यादती की शिकायत चुनाव आयोग से की। उसके बाद भी चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। हम समझ गये कि चुनाव आयोग पक्षपाती है। इसी तरह से मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भी धांधली की गयी। अधिकारियों और बीएलओ की तैनाती में भेदभाव किया गया। फर्जी वोट डलवाए गये। समाजवादी पार्टी ने शिकायत की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। उत्तर प्रदेश में जितने भी उपचुनाव हुए निष्पक्ष नहीं हुए। निष्पक्ष चुनाव हुआ तो भाजपा 2027 में कहीं नहीं जीतेगी।
मऊ में अभी उपचुनाव नहीं घोषित हुआ है लेकिन वहां धांधली शुरू हो गयी है। चुनाव घोषणा से पहले ही 15 हजार वोट काट दिए गये है। इससे पहले 2022 के चुनाव में चिह्नित कर समाजवादी पार्टी के वोट काटे गये थे। हमने इसकी शिकायत की थी। आयोग ने एफीडेविट मांगे। समाजवादी पार्टी ने काटे गए नामों के एफिडेविट दिए लेकिन किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव में मीडिया की भूमिका तय होनी चाहिए:अखिलेश यादव

























