महिलाओं का हिंसक रूप डर पैदा कर रहा है

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महिलाओं का हिंसक रूप डर पैदा कर रहा है
महिलाओं का हिंसक रूप डर पैदा कर रहा है
राजेश कुमार पासी
राजेश कुमार पासी

राजा रघुवंशी हत्याकांड में मेघालय पुलिस ने सोनम रघुवंशी और उसके प्रेमी राज कुशवाह का आमना-सामना करवाया और इसके बाद सोनम रघुवंशी ने यह कबूल कर लिया कि वो अपने पति राजा रघुवंशी की हत्या में शामिल थी । आजकल यह हत्याकांड पूरे मीडिया में छाया हुआ है । इसे लेकर सोशल मीडिया में यह मुहिम चलाई जा रही है कि शादी के बाद पति के लिए जिंदा रहना बड़ी बात है । हनीमून पर पत्नी के साथ बाहर जाना खतरे से खाली नहीं है । इसकी कोई गारंटी नहीं है कि आप हनीमून से वापिस आ जायें । अभी कुछ दिन पहले सोशल मीडिया में नीले ड्रम का डर फैलाया जा रहा था और अब उसकी जगह हनीमून ने ले ली है । सोशल मीडिया में नीले ड्रम के हजारों मीम घूम रहे थे और आज हनीमून के घूम रहे हैं । कई लोगों ने तो पुलिस में शिकायत दे दी कि उनकी पत्नी नीले ड्रम में बंद करने की धमकी दे रही है । राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी की शादी के वीडियो वायरल  करके बताया जा रहा है कि राजा रघुवंशी शादी में कितना खुश था। महिलाओं का हिंसक रूप डर पैदा कर रहा है

  सवाल यह है कि कितनी ही लड़कियां अपनी शादी में बहुत खुश होती हैं लेकिन ससुराल में जाकर उनको प्रताड़ित होना पड़ता है । पुरुषों द्वारा अपनी पत्नी की हत्या करना या उनका उत्पीड़न करना सामान्य घटना है । इन घटनाओं के बाद कभी नहीं कहा जाता कि महिलाएं शादी के बाद जिंदा रहेंगी, इसकी कोई गारंटी नहीं है । इन घटनाओं के कारण ही महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं जो कि एकतरफा उनका पक्ष लेते हैं और पुरूषों की सुनवाई नहीं होती । बेशक महिलाओं द्वारा अपने पतियों के हत्या करने की घटनाएं कम हों लेकिन ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं । ये पुरूषों के द्वारा की जाने वाली घटनाओं से बहुत कम हैं तो उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती । सरकार को इस तरफ ध्यान देना होगा कि जैसे पुरुषों को सजा मिलती है, वैसे ही इन मामलों में महिलाओं को भी सख्त सजा दी जाये । 

      पहले मेरठ की मुस्कान और अब इंदौर की सोनम के बारे में कहा जा रहा है कि अपने अच्छे भले पतियों को छोड़कर उन्होंने उनसे हर मामले में कमतर प्रेमियों को चुना और उनके लिए अपने पतियों की हत्या कर दी । इसका भी सोशल मीडिया में मजाक बन रहा है कि आजकल लड़कियों के लिए लड़को की शक्ल-सूरत, घर-परिवार और रोजगार महत्वपूर्ण नहीं रह गया है. उनकी पसंद बदल गयी है । लोग भूल गए हैं कि आज भी ज्यादातर शादी के मामलों में लड़की की पसंद-नापसंद की अनदेखी की जाती है। इन घटनाओं से यह सीख तो मिलती है कि अब कानूनों को महिलाओं के लिए बनाने की जगह जेंडर न्यूट्रल बनाने की जरूरत है । जो काम पुरुषों द्वारा किया जा रहा था अब वो महिलाओं द्वारा भी किया जाने लगा है इसलिए अपराधियों को सजा देते समय लिंग के आधार पर भेदभाव बंद होना चाहिए। अब समाज और कानून को इस धारणा से बाहर आने की जरूरत है कि महिला अपराध नहीं कर सकती । जिस तरह पुरुष अवैध संबंधों के लिए अपनी पत्नी की हत्या कर देते हैं उसी प्रकार महिलाएं भी अपने प्रेम संबंधों के लिए अपने पति को ठिकाने लगा सकती हैं। वैसे देखा जाए तो ज्यादातर मामलों में परिवार वालों को महिलाओं के प्रेम संबंधों की जानकारी होती है लेकिन लड़कियों के हितैषी होने का दावा करने वाला परिवार जबरदस्ती उनकी मर्जी के खिलाफ किसी दूसरे लड़के से उसकी शादी  कर देता है ।

अब कहा जा रहा है कि लड़कियों को अपने पतियों की हत्या करने की जगह तलाक ले लेना चाहिए था । अगर वो उन्हें छोड़ देती तो कम से कम वो आज जिंदा तो होते और उनका परिवार उनके साथ खुश होता । सवाल यह है कि जिस परिवार ने एक लड़की की शादी उनकी मर्जी के खिलाफ दूसरी जगह कर दी हो, वो उसे पति को छोड़ने की इजाजत कैसे देगा । अगर किसी लड़की को किसी से प्रेम है और वो उससे शादी करना चाहती है तो जबरदस्ती किसी दूसरे लड़के से उसकी शादी करने वाले लड़की के मां-बाप भी लड़के की हत्या के दोषी हैं । क्यों लड़कियां अपने पति की हत्या कर रही हैं, इस पर शोध की जरूरत है और समाज को भी समझने की जरूरत है । सिर्फ अपराधियों को सजा देने से बात बनने वाली नहीं है ।  

    पत्नी का प्रेमी के कारण पति की हत्या करना बेहद भयावह है और इसके लिए सिर्फ प्रेमी के बहकावे को वजह नहीं मान सकते । कई बार तो पत्नी ही अपने प्रेमी को बहकाकर अपने पति की हत्या करवाती है ताकि वो उससे स्वतंत्र हो जाए । देखा जाए तो सोनम के मामले में पांच परिवार बर्बाद हो गए हैं । इन परिवारों की बर्बादी के लिए तो सोनम ही जिम्मेदार हैं क्योंकि उसके अंधे प्रेम ने यह हत्याकांड करवाया है। क्या हम इन घटनाओं को इक्का-दुक्का होने वाली घटनाएं मान सकते हैं या ये घटनाएं हमारे सामाजिक पतन का संकेत हैं । रिश्तों में घटता प्रेम और विश्वास एवं बढ़ता लालच और स्वार्थ इन घटनाओं की वजह तो नहीं है । आज हम अपनी मनपसंद जिंदगी जीने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए स्वार्थी होते जा रहे हैं । पुराने रिश्तों के लिए नये रिश्तों की और नये रिश्तों के लिए पुराने  रिश्तों की बलि दी जा रही है ।

सवाल फिर वही है कि क्या सिर्फ पति-पत्नी के रिश्तों से खून रिस रहा है और दूसरे रिश्तें इससे अछूते हैं । ऐसा नहीं है, आज अपने ही जान के दुश्मन बन रहे हैं लेकिन पहले ऐसा नहीं था क्या । वास्तव में सदियों से यह चल रहा है । गांवों में जमीन के लिए अपने की अपनों का वर्षों से खून बहाते आ रहे हैं और सिंहासन के लिए तो यह चलता ही रहा है । देखा जाए तो आज कुछ अलग नहीं हो रहा है । हमारी  आदत हो गई है कि हम आज को ज्यादा कोसते हैं क्योंकि हम आज को जी रहे हैं लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि मानव हमेशा से ऐसा रहा है । यह सिर्फ एक धारणा है कि मानव बदल गया है और आगे जमाना खराब आ रहा है । अब सोशल मीडिया का जमाना है तो ऐसी घटनाओं पर पूरे देश में चर्चा होती है । अब खबर सिर्फ  एक दिन के लिए नहीं होती बल्कि कई दिनों और कई बार महीनों तक चर्चा में बनी रहती है । नकारात्मक खबरों के साथ ज्यादातर ये होता है लेकिन सकारात्मक खबरों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता । इससे समाज पर क्या असर हो रहा है, इससे किसी को कोई फर्क  नहीं पड़ता । 

    मेरा मानना है कि कुछ घटनाओं के कारण सभी महिलाओं को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है और उन्हें बदनाम किया जा  रहा है। कितनी ही महिलाएं पतियों और उनके परिवार द्वारा मार दी जाती हैं लेकिन कुछ घटनाओं के कारण उनको खलनायिका बनाने की कोशिश की जा रही है। हम मजाक-मजाक में समाज में डर फैला रहे हैं । इतनी महिलाएं हिंसक नहीं हैं जितनी दिखाई देने लगी हैं। हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि ऐसी घटनाएं बिना लिंग भेद के हो रही हैं। अगर कुछ घटनाओं के कारण मर्द शादी के नाम से डरने लगे हैं तो एनसीआरबी के आंकड़े देखने के बाद महिलाओं को शादी के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए लेकिन महिलाएं बिना डरे विवाह के मंडप तक जा रही हैं। मेरा मानना है कि इन घटनाओं से सबक लेते हुए हर मां-बाप को अपनी बेटियों की शादी उनकी मर्जी के खिलाफ जाकर करने से बचना चाहिए । ज्यादातर ऐसी घटनाओं के पीछे अवैध संबंध सामने आ रहे हैं । इस सोच पर विचार करना चाहिए कि लड़की शादी के बाद सब कुछ भुलाकर अपने पति के साथ खुश रहेगी।

 ऐसे ही लड़को की भी जबरदस्ती शादी नहीं करनी चाहिए । यह ठीक है कि हर मां-बाप अपने बच्चों का भला सोचते हैं लेकिन इस चक्कर में किसी दूसरे व्यक्ति की जिंदगी बर्बाद करने से बचना चाहिए ।  समाज बदल रहा है क्योंकि इंसान बदल रहा है और इस बदलाव को समझने की जरूरत है । सभी लोग हालातों से समझौता करके जिंदगी नहीं गुजार सकते हैं । कुछ लोग हालातों को बदलने चल पड़ते हैं लेकिन गलत तरीके से और फिर वो होता है जो हमें दिखाई दे रहा है । हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि हम बेवजह का डर फैला कर विवाह को बदनाम न करें । पहले ही आजकल बच्चे शादी से बचने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी घटनाएं उन्हें एक नया बहाना दे सकती हैं। महिलाओं का हिंसक रूप डर पैदा कर रहा है