आयुर्वेदिक डॉ. रोहित गुप्ता
कब्ज…….
(Constipation)
कब्ज अनेक रोगों का घर तो है ही बल्कि स्वयं में भी एक जटिल रोग है. रोज सुबह शौचालय में घण्टों बैठे परेशान होना एक विकट समस्या है. वैसे भी जब तक पेट साफ न हो तब तक मन अच्छा नहीं होता, और दिन भर फ्रेशनेस का अभाव बना रहता है…..
कब्ज के रोगी को खानपान में फाइबर डाइट लेनी चाहिए.
पर्याप्त पानी पीना चाहिए.
संतुलित व हल्का, सुपाच्य भोजन लेना चाहिए.
इसी तरह की खानपान व दिनचर्या निर्देश प्रायः चिकित्सक व डाइटिशियन देते रहते हैं जो पालन करना उचित रहता है..
इतना सब करने के बाद भी यदि कब्ज रहने ही लगे तो क्या किया जाए? कैमिकल खा खा कर पेट को और खराब कर लिया जाए? या फिर दीर्घकालीन अर्श, ग्रहणी, आंत्र क्षत आदि रोगों को घर करने दिया जाए?
जाहिर है जवाब है- नहीं……. जवाब है- आयुर्वेद. यदि कब्ज से परेशान हैं तो कब्ज के नाश के लिए यह आयुर्वेदिक योग बना कर उपयोग करें, अवश्य लाभ होगा…
घटक द्रव्य व निर्माण विधि…
मुनक्का बीज निकाला हुआ – 80 ग्राम
गुलकंद, सनाय, पीली हरड़ का छिलका तीनों 50-50 ग्राम.
बादाम की गिरी – 40 ग्राम.
अंजीर, उन्नाव – दोनो 20-20 ग्राम…
नोट..
ये सब सामान आप एक पेज पर लिख कर उसके बाद अपनी यहां की पंसारी देशी जड़ी बूटी वाले के यहां पर जाना और पर्चा के समान ले आना जो बड़ी आसानी से मिल जायेगे…
गुलकंद, मुनक्का, अंजीर के अतिरिक्त सभी को कूट पीसकर कपड़छन महीन कर लें. अब इसमें बीजरहित मुनक्का, गुलकंद, अंजीर मिलाकर कूटकर अच्छी तरह से मिला लें…
मात्रा
रात को हल्का सुपाच्य भोजन करें. भोजन के लगभग दो घण्टे बाद उपरोक्त मिश्रण 10 ग्राम की मात्रा में गुनगुने दूध से लें. सोने से पहले कुछ देर घूमना अच्छा रहेगा.
बच्चों को 2.5 ग्राम यानि एक छोटा टी स्पून की मात्रा दीजिये 5 साल से 15 साल के बच्चों को…..
रोजाना या अक्सर बनी रहनी वाली कब्ज में लाभदायक है. कुछ दिन नियमित सेवन करने से कोष्ठबद्धता समूल नष्ट होती है।