लखनऊ जिला जेल का हाल हुआ बदहाल

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घटनाओं के बाद भी नहीं सबक नहीं ले अफसर। राजधानी की जिला जेल के हाल हुआ बदहाल। मोबाइल बरामद होने की घटना भी छिपा ले गए जेल अफसर….!

राकेश यादव

लखनऊ। राजधानी की जिला जेल का हाल दिनोदिन बदहाल हो रहा है। इस बदहाली के बाद भी विभागीय मंत्री, शासन व जेल मुख्यालय दोषी अफसरों के खिलाफ कार्यवाही करने के बजाए उन्हें बचाने में जुटा हुआ है। यह मामला विभागीय अफसरों में चर्चा का विषय बना हुआ है। चर्चा है कि जिसकी शासन व आला अफसरों में मजबूत पकड़ व जुगाड़ होता है उसके खिलाफ तमाम गलतियों व लापरवाहियों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं होती है। यही नहीं मजबूत पकड़ वाले अफसरों का तबादला तक नहीं होता है जबकि एक जेल पर एक साल पूरा नहीं कर पाने वालों को स्थानांतरित कर दिया जाता है।

घटना के बाद पेशी से लौटने वाले बन्दी कोराटीन बैरक में – जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में मोबाइल फ़ोन व चार्जर बरामद होने की घटना के बाद जेल प्रशासन ने एक अजब गजब निर्णय लिया। इस घटना के बाद से पेशी से वापस होने वाले बन्दियों को कोरोना का हवाला देते हुए एक से दो दिनों तक कोरनटाइन (मुलाहिजा) बैरक में रखा जा रहा है। बताया गया है अतिसवेंदनशील हाई सिक्योरिटी बैरक में मोबाइल फोन व चार्जर मिलने से जेल अफसर दहशत में नज़र आ रहे है। यही वजह है कि घटना को ही दबा दिया गया।


लखनऊ जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में एक बन्दी के पास से मोबाइल फ़ोन व चार्जर बरामद हुआ। जेल की जिस बैरक में दर्जनों खूंखार अपराधी बंद है उस बैरक से बरामद हुए मोबाइल फ़ोन की घटना को ही जेल अफसर दबा गए। सूत्रों का कहना है कि बीते सप्ताह मधुकर नाम का एक बन्दी पेशी पर कोर्ट गया था। वापस आने पर उसने अपने सिर पर अंगौछा बांध रखा था। जेल के चार तलाशी गेट पार करके वह हाई सिक्योरिटी बैरक पहुँच गया। हाई सिक्योरिटी बैरक में तैनात वार्डर ने जब तलाशी देने को कहा तो वह आनाकानी करने लगा। तलाशी होने के बाद जब उससे अंगौछा दिखाने को कहा गया तो वह तैयार नहीं। शंका होने पर जब वार्डर ने अंगौछा उतरवाया तो उसमें एक मोबाइल फ़ोन व चार्जर बरामद हुआ। इस बरामदगी से जेल में हड़कम मच गया। जेल प्रशासन के अधिकारियों ने इस गंभीर घटना को छिपा लिया।

सूत्रों की माने तो पेशी से लौटे बन्दी प्रत्येक तलाशी गेट पर पैसा देकर निकल गया। हाई सिक्योरिटी बैरक पहुँचने पर उसके पास पैसा खत्म हो गया था। पैसा न देने की वजह से वह पकड़ा गया। गौरतलब है कि लखनऊ जेल के गल्ला गोदाम से 35 लाख की नगद बरामदी, दो खूंखार कैदियों की फरारी, एक विदेशी समेत तीन बन्दियों की गलत रिहाई, कोलकाता से लखनऊ जेल में बंद बांग्लादेशी बन्दियों की फंडिंग, जेल में बन्दियों से मारपीट कर वसूली की शिकायत, जेल अधिकारी के एक बन्दी के साथ दुष्कर्म किये जाने जैसे गंभीर मामलों के बावजूद विभागीय मंत्री, शासन व जेल मुख्यालय में बैठे आला अफसरों ने आज तक सिर्फ जांच कराए जाने की बात कहकर मामलों को निपटा दिया। आधा दर्जन से अधिक गंभीर मामले होने के बाद किसी भी दोषी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही ही नहीं की गई। उधर इस संबंध में जब लखनऊ परिक्षेत्र के डीआईजी जेल शैलेन्द्र मैत्रेय से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि मोबाइल फ़ोन व चार्जर बरामद होने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि इसकी प्राथमिकी दर्ज करा दी गयी है। अन्य घटनाओं में कार्यवाही के सवाल पर उन्होंने कहा कि जांच कराई जा रही है।