विजय गर्ग
सम्मान अच्छे कार्यों की स्वीकृति होकर व्यक्ति की प्रशंसा का परिचायक है। अच्छी उपलब्धि और हितकारी कार्य करनेवाले के कार्य का एक सकारात्मक मूल्यांकन होता है। अपने-अपने क्षेत्रों में उपलब्धि हासिल करने या विशिष्ट कार्य करने पर सभी प्रकार की संबंधित संस्थाएं, संगठन या प्रकल्प उपलब्धि प्राप्तकर्ता का व्यक्तिगत या उससे जुड़े समूह का सम्मान-अभिनंदन करते हैं । जैसा कि हम आए दिन देखते हैं। सार्वजनिक या सामाजिक रूप से यह सम्मान दोनों ओर के वातावरण में एक प्रकार से उत्साह का संचार करता है। सम्मान देने वाला जितना महत्त्वपूर्ण कार्य करता है, उससे अधिक सम्मान प्राप्त करने वाले का उत्साहवर्धन होता है। उसने जो कार्य किया है, सम्मान देने वालों की उसके प्रति निष्ठा और सकारात्मक दृष्टिकोण प्रकट होता है जो अन्य के लिए भी प्रेरक होता है। उनमें भी अपने कार्य के प्रति लगन और उत्साह पैदा करता है। सम्मान,दोनों पक्षों में आत्मविश्वास बढ़ाता है, इसलिए सम्मान करना हमारे यहां की संस्कृति और परंपरा है। सेवा बनाम मेवा
सामाजिक हित, राष्ट्रहित, विशेष क्षेत्र या विशेष सेवा के क्षेत्र में किए गए कार्य, प्राप्त की गई उपलब्धि या किए गए त्याग, जो समाज, देश और उस क्षेत्र को गौरव प्रदान करे, मानव जाति का भला करे, मार्गदर्शन करे, अन्य के लिए आदर्श और प्रेरक बने ऐसे व्यक्तित्व को चुनकर संस्था, संगठन, समाज, देश स्तर से लेकर विश्व स्तर तक सम्मान की परंपरा है और विशेष अवसरों पर सार्वजनिक रूप से सम्मान के लिए सम्मान समारोहों का आयोजन किया जाता है । समाज सेवा के क्षेत्र में कुछ व्यक्ति मौन रहकर कार्य करते हैं। ऐसे व्यक्ति जो उचित होता है, वैसा करते हैं, करते जाते हैं, वे किसी को बताते नहीं । अपने कार्य के अतिरिक्त समय में से समय निकाल कर भला कर सकने योग्य होते हैं। भले लोग भला करने में लग जाते हैं तो कुछ जीवनपर्यंत भले कार्य को अपना लेते हैं । जो ऐसे लोगों और उनके कार्य व्यक्तित्व की परख करते हैं, वे उन्हें प्रकाश में लाते हैं। मीडिया के माध्यम से या अन्य सम्मान करने योग्य संस्था को बताकर उनके महत्त्व को प्रकट करते हैं, सम्मान प्रदान करने के माध्यम से। मगर इसमें अगर किसी कोण से स्वार्थ घुसता है तो व्यक्ति के चुनाव पर असर पड़ता है और फिर इसके बाद सम्मान की गरिमा भी प्रभावित होती है, क्योंकि जिस आम जनता को कई बार मासूम और निरपेक्ष समझ लिया जाता है, उसकी नजर सधी हुई होती है।
कुछ व्यक्ति या संस्थाएं मेवा के लिए सेवा करते हैं, ताकि अधिसंख्य लोग उनकी सेवा को ध्यान में रखकर उसको जानें- पहचानें और राजनीति में पद प्राप्ति का अवसर आने पर सेवा कार्य को भुनाकर पद प्राप्त कर सकें और सेवा का स्थायी पारिश्रमिक प्राप्त कर सकें। ऐसे में दूसरे भी उनकी सिफारिश कर सकें कि ये समाज सेवक हैं। ऐसे व्यक्ति सेवा के माध्यम से अपना निवेश करते हैं और अवसर आते ही कई गुना ज्यादा भुनाने की व्यवस्था कर लेते हैं। ऐसे व्यक्ति या ऐसी संस्थाएं लोकप्रियता के मामले में उच्च दर्जे पर बने रहते हैं । इस श्रेणी में अधिकांश स्वयंसेवी संगठन और सेवा के बदले लाभ का पद प्राप्त करने वाले लोग आते हैं। उनके कानों में इस तरह की लोकोक्तियां गूंजती रहती हैं, ‘करेंगे सेवा तो मिलेगा मेवा । ‘ उनके लिए यह जरूरी भी होता है कि वे बताएं कि सेवा के क्षेत्र में उन्होंने किया क्या है ! या फिर यों ही वित्त पोषण प्राप्त करते रहते हैं और अपने लोगों या खुद को सम्मान दिलवाते रहते हैं । कुछ लोग लोकप्रियता की चर्चा या सुर्खियों में बने रहने के लिए भी सेवा कार्य करते हैं। उन्हें उसी में मजा आता है। यह उनकी जिजीविषा होती है और उनके लिए इतना ही पर्याप्त होता है ।
इसमें कोई दोराय नहीं कि सम्मान मानव समाज की गरिमा को बढ़ाते हैं। सच्चे और भले लोगों का सम्मान मानवीयता और इंसानियत का सम्मान है। बुद्धिजीवी और सहृदय लोग और समाजों की यही पहचान है । निस्वार्थ भाव से की गई सेवा को समाज याद रखता है। हां, अगर सेवा के बदले मेवा प्राप्त करने की इच्छा हो या फिर शर्त हो तो उसे सेवा नहीं माना जाता। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि निस्वार्थ भाव से सेवा करने वालों को भी कभी-कभी शंका की दृष्टि से देखने लगे जाते हैं और उन पर अंगुली उठाने लग जाते हैं। हालांकि इसके लिए कुछ वैसे लोग जिम्मेदार होते हैं, जो स्वार्थ के मकसद से सेवा करने का ढोंग करते हैं। ऐसे में यह बहुत जरूरी होता है कि पूरी बात जान ली जाए, उसकी तह तक जाया जाए, परखा जाए और तब उसके बाद धारणाएं बनाई जाएं। अनुचित धारणा बनाने से मानवीय भावना कुंद होती है, उसे हानि पहुंचती है।
इन सबसे हटकर सुलक्ष्य की प्राप्ति के लिए सुपथ पर चलकर अच्छे लक्ष्य की प्राप्ति, जो अपनी और सबकी गरिमा बढ़ाए, जो समाज में उत्साह जागृत कर प्रेरणा प्रदान करे, सम्माननीय होता है। दबंगई और ताकत के बल पर सम्मान पाना अलग बात है और विनय के भाव में रह कर और दूसरों का निस्वार्थ भाव से भला कर, उपलब्धि प्राप्त कर सम्मान पाना अलग बात है । सम्मान, उत्साह, ऊर्जा, गरिमा और सकारात्मकता का प्रेरक होता है। इसलिए सम्मान की परंपराओं से विरत नहीं हुआ जा सकता। इससे अच्छी बात भला क्या होगी कि भले और अच्छे लोगों का सम्मान होता रहे, निस्वार्थ और सच्चे लोगों का सम्मान होता रहे। सेवा बनाम मेवा