एड्स नियंत्रण के लिए हेल्थ सिस्टम से बेहतर लिंकेज की जरूरत

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एड्स नियंत्रण के लिए हेल्थ सिस्टम से बेहतर लिंकेज की जरूरत
एड्स नियंत्रण के लिए हेल्थ सिस्टम से बेहतर लिंकेज की जरूरत

एड्स नियंत्रण के लिए हेल्थ सिस्टम से और बेहतर लिंकेज की जरूरत। यूपी स्टेट एड्स नियंत्रण सोसायटी के अपर परियोजना निदेशक ने कार्यक्रम को मिशन मोड में चलाने के दिए निर्देश। जमीनी स्तर पर दिशा कार्यक्रम को सफल बनाने के बारे में प्रशिक्षण, लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अब होगी त्रैमासिक समीक्षा। एड्स नियंत्रण के लिए हेल्थ सिस्टम से बेहतर लिंकेज की जरूरत

लखनऊ। प्रदेश में एड्स नियंत्रण के लिए पब्लिक हेल्थ सिस्टम से और बेहतर लिंकेज की जरूरत है। डिस्ट्रिक्ट इंटीग्रेटेड स्ट्रेटजी फॉर एचआईवी/एड्स (दिशा) के अधिकारियों को इस दिशा में आगे आना होगा। यूपी स्टेट एड्स नियंत्रण सोसायटी के अपर परियोजना निदेशक डॉ. हीरा लाल ने मंगलवार को यहां एक स्थानीय होटल में शुरू हुई तीन दिवसीय राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला में यह बात कही।कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए डॉ. हीरा लाल ने कहा कि एड्स नियन्त्रण कार्यक्रम को लेकर किसी तरह की हीलाहवाली बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर पहुँचाने के लिए मिशन मोड में कार्य करने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि अब सभी के कार्यों की त्रैमासिक समीक्षा की जाएगी। कार्यक्रम के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए यह बहुत जरूरी है।


उन्होंने नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गनाइजेशन (नाको) द्वारा तय किए गए 95-95-95 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी को पूरे मनोयोग से कार्य करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि पहले 95 का मतलब है कि नाको द्वारा तय किये गए प्रदेश के अनुमानित करीब 1.94 लाख एचआईवी ग्रसित में से 95 प्रतिशत तक पहुँच बनानी है और उनमें से 95 प्रतिशत को एआरटी से लिंक करके इलाज शुरू करना है। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि जिनका इलाज चल रहा है उनमें से 95 फीसद को फायदा भी हो रहा है। अभी तक 1.23 लाख को चिन्हित करते हुए 1.15 लाख को एआरटी से लिंक किया जा चुका है। डॉ. हीरा लाल ने कहा कि एचआईवी/एड्स को लेकर सरकारी और गैर सरकारी जितनी भी संस्थाएं कार्य कर रहीं हैं उनका आपस में लिंकेज भी बहुत जरूरी है ताकि सभी के साझा प्रयास से लक्ष्य की राह को आसान बनाया जा सके।

नाको के ट्रेनिंग विशेषज्ञ उमेश चंद्र रौतरी ने अपने सत्र में एचआईवी और ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) की संयुक्त गतिविधियों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एचआईवी के हर मरीज की हरहाल में टीबी की जांच करानी चाहिए। रौतरी ने एचआईवी काउंसिलिंग और उपलब्ध टेस्टिंग सेवाओं के बारे में भी चर्चा की। संयुक्त निदेशक डॉ. ए. के. सिंघल और संयुक्त निदेशक रमेश श्रीवास्तव ने संपूर्ण सुरक्षा की रणनीति के बारे में विस्तार से बताया। प्रशिक्षण सत्र को डॉ. गीता अग्रवाल, डॉ. चित्रा सुरेश, शिबानी मंडल (नाको) ने भी संबोधित किया।प्रशिक्षण में दिशा कार्यक्रम के आठ जिलों- अयोध्या, वाराणसी, मेरठ, सीतापुर, बस्ती, मुरादाबाद, आगरा और झांसी के कलस्टर मैनेजर और अन्य कर्मचारी मौजूद थे। प्रशिक्षण अभी दो दिन और चलेगा। एड्स नियंत्रण के लिए हेल्थ सिस्टम से बेहतर लिंकेज की जरूरत