‘आईना’-आपको पत्रकार कहलाने का कोई अधिकार नहीं

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अगर आप निर्भीक, निष्पक्ष, ईमानदार नहीं है।तो आपको पत्रकार कहलाने का कोई अधिकार नहीं है।आज राष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस है। आज का मुख्य सवाल होना चाहिए कि राष्ट्रीय पत्रकारों ने जनता के मुद्दों पर कितनी डिबेट की है? पत्रकार अथवा राष्ट्रीय पत्रकार अधिकांशतः आजकल निर्भीक, निष्पक्ष, ईमानदार की अपेक्षा दरबारी तथा सरकारी पत्रकार नजर आते हैं। इसका प्रमाण यह है कि प्रेस फ्रीडम इंडेक्स यानी प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 180 देशों की लिस्ट में अपना भारत 142वें स्थान पर है। 2016 में भारत 133वें स्थान पर था। लगातार गिरती स्वतंत्र पत्रकारिता, लगातार गिरती लोकतंत्र की साख है क्योंकि यह चतुर्थ स्तम्भ है। भारतीय मीडिया में हिन्दू, मुस्लिम, मुगल, अंग्रेज, जिन्ना, नेहरू, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, देशद्रोह, गद्दार इन्हीं विषयों पर हमेशा डिबेट सीमित रही है। बेरोजगारी, भुखमरी, आतंकवाद, नक्सलवाद, स्वास्थ्य, महंगाई, भ्रष्टाचार, गरीबी, शिक्षा यह सब डिबेट से नदारद है।भारत के इतिहास में यह सूचकांक ही दर्ज नहीं हो रहे बल्कि मीडिया द्वारा करवाई गई कुल डिबेट तथा उसपर पत्रकारों, एंकरों के पक्ष, तर्क और विचार भी इतिहास में दर्ज हों रहे हैं। अभी इस पत्रकारिता को और गिरने दो शायद तभी सुधार की गुंजाइश बढ़ सकेगी!

आज के दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य प्रेस की आजादी के महत्व के प्रति जागरूकता फैलाना है।ये दिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखने और उसका सम्मान करने की प्रतिबद्धता की बात करता है। प्रथम प्रेस आयोग ने भारत की प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और पत्रकारिता में उच्च आदर्श स्थापित करने के उद्देश्य से एक प्रेस परिषद की कल्पना की गई थी। भारत की 4 जुलाई, 1966 को प्रेस परिषद की स्थापना हुई, जिसने 16 नवंबर, 1966 से अपना औपचारिक कामकाज शुरू किया,तब से हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रैस दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्रेस की आजादी के महत्व के लिए दुनिया को आगाह करने वाला ये दिन बताता है कि लोकतंत्र के मूल्यों की सुरक्षा और उसे बहाल करने में मीडिया अहम भूमिका निभाता है।

पत्रकारिता एक सम्मानीय, प्रतिष्ठित पेशा है और पत्रकार निष्पक्ष ही होते हैं। जनसाधारण के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना हर पत्रकार का दायित्व है। नीरज त्यागी ने अपनी कविता में ‘आज का पत्रकार’ में अपना विचार व्यक्त किया है तथा उन पत्रकारों को संबोधित किया है जो अपने कर्तव्य पथ से भटक गए हैं।

पत्रकारिता को बेशर्मो ने जाने क्या बना दिया।
चमचागिरी ने सभी को आज बहुत गिरा दिया।।

वो पत्रकार जो आज बहुत चिल्ला रहे है।
ना जाने किस नेता की कमर सहला रहे है।।

बहुत ही पाक पेशा होता है पत्रकार का,
चंद रुपयों की चाहत में उस पर दाग लगा रहे है।

बहुत समय लगता है इनपर विश्वास होने में,
बेशर्म बनकर ये सब का विश्वाश गवा रहे है।

सत्ता के लालची नेता रोज बदलते है हमारे यहाँ,
तुम क्यों पत्रकारिता को इनकी बांदी बना रहे हो।

जब हमेशा पत्रकार इनकी हाँ में हाँ मिलाएगा।
तब उनके गुनाह लोगो के सामने कैसे लाएगा।।

देश के विकास के लिए पत्रकारों को आगे आना होगा।
बईमानी के नकाब नेताओ के चेहरे से हटाना होगा।

देश विकास के पथ में निरंतर आगे ही बढ़ता जाएगा।
कोई भी बईमान तब इनसे कभी भी ना बच पाएगा।।

~ नीरज त्यागी

हिन्दी बोल इंडिया के फेसबुक पेज़ पर भी कलमकार की इस प्रस्तुति को पोस्ट किया गया है।

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर देश में सकारात्मक जनमत निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रहे पत्रकारों का अभिनंदन। प्रेस ने लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत बनाने के साथ सरकार और आमजन के बीच विश्वसनीय सेतु की भूमिका निभाई है। समस्याएं उजागर कर समाधान की राह दिखाने में प्रेस का योगदान अहम है।

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