

हाल ही में 15 जनवरी 2025 को भारत मौसम विज्ञान(आईएमडी)ने अपनी स्थापना और सेवा के 150 गौरवशाली वर्ष पूरे कर लिए। विशेष बधाई और शुभकामनाएं। पाठकों को बताता चलूं कि आईएमडी भारतीय उपमहाद्वीप में मौसम के व्यवस्थित अवलोकन, नियमित रिपोर्टिंग और वैज्ञानिक पूर्वानुमान के लिए बनाए गए शुरुआती सरकारी विभागों में से एक है,जो 15 जनवरी 1875 में स्थापित किया गया था। उल्लेखनीय है कि हाल ही में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति के पावन पर्व के अवसर पर भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के 150वें स्थापना दिवस के मौके पर ‘मिशन मौसम’ लॉन्च किया।उम्मीद की जानी चाहिए कि चरम मौसमी घटनाओं के पूर्वानुमान की चुनौती के मद्देनजर यह एक समाधान बनकर उभरेगा।यह हम सभी भारतीयों को गौरवान्वित महसूस कराता है कि हमने हाल ही में भारतीय मौसम विभाग यानी आईएमडी के 150 वर्ष सेलिब्रेट किए हैं। यह दर्शाता है कि हमने 150 सालों में मौसम के क्षेत्र में देश और समाज की सेवा करते हुए आधुनिक साइंस और टेक्नोलॉजी यात्रा की है और आज आईएमडी भारत की वैज्ञानिक यात्रा का बड़ा विश्वसनीय प्रतीक बन गया है। नित नवीन बुलंदियों को छू रहा भारतीय मौसम विभाग
आईएमडी ने मानसून की भविष्यवाणी, चक्रवातों के बारे में चेतावनी के साथ ही साथ समय-समय पर भारतीय कृषि व आपदा प्रबंधन के लिए आंकड़े जुटाकर मौसम व आपदा के क्षेत्र में देश की अभूतपूर्व सेवा की है जो वर्तमान में भी जारी है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज आईएमडी हर भारतीय के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है और हम आसानी से मौसम संबंधी सूचनाएं ग्रहण कर लेते हैं। पाठकों को बताता चलूं कि आईएमडी शुरुआत में काफी अरसे तक देश में मानसून के दौरान वर्षा का पूर्वानुमान करने या फिर चार महानगरों के अधिकतम और न्यूनतम तापमान बताने तक ही सीमित था, लेकिन पिछले आठ-दस वर्षों में लोगों की मौसम संबंधी जानकारी में भी रुचि काफी हद तक बढ़ी है। आईएमडी द्वारा सटीकता से जानकारी देने से मौसम पूर्वानुमानों पर भरोसा भी लगातार बढ़ा है। आज भारतीय मौसम विभाग के पास आधुनिक तकनीक, ज्यादा क्षमता वाले बड़े कंप्यूटर तो उपलब्ध हैं ही, साथ ही साथ पहले की तुलना में नेटवर्क में भी काफी सुधार देखने को मिला है। यहां तक कि आज आईएमडी के पास डॉप्लर रडार जैसे परिष्कृत उपकरण, परिष्कृत तकनीक व नवाचार उपलब्ध हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज परिष्कृत तकनीक, नवाचारों, कंप्यूटरों, बेहतर व सटीक नेटवर्किंग के कारण ही मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं के लिए लगाए गए पूर्वानुमानों की सटीकता में लगातार अभूतपूर्व इजाफा हुआ है, जिससे भारत में चरम मौसमी घटनाओं के समय जान-माल की हानि में भी भारी कमी आई है।
आज देश-दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं और इसके कारण जलवायु परिवर्तन हुए हैं। ऐसे में मौसमी घटनाओं के बारे में सटीकता से पता लगाना एक हरक्यूलियन टास्क है लेकिन आईएमडी ने मौसमी घटनाओं को बहुत ही सटीकता से आंका है। बावजूद इसके आज भी आईएमडी के लिए अनेक चुनौतियां विद्यमान हैं क्यों कि बहुत सी मौसमी घटनाओं के मॉडल आज भी आसानी से पकड़ में नहीं आ पाते हैं, लेकिन भारतीय मौसम विभाग इस संदर्भ में भी आज प्रयास कर रहा है। बहरहाल, यहां यह उल्लेखनीय है कि आईएमडी के स्थापना दिवस पर उपलब्धियों पर एक डाक टिकट और एक विशेष सिक्का भी जारी किया गया है। इतना ही नहीं, इस अवसर पर एक विजन दस्तावेज ‘विजन 2047’ भी जारी किया गया है। गौरतलब है कि आईएमडी ने युवाओं को 150 वर्षों की यात्रा से जोड़ने के लिए राष्ट्रीय मौसम विज्ञान ओलंपियाड का भी आयोजन किया और जिसमें हजारों छात्रों ने भाग लिया। कहना ग़लत नहीं होगा कि निश्चित ही इससे मौसम विज्ञान में उनकी रुचि में अभूतपूर्व इजाफा हुआ है। यह हम सभी के लिए बहुत ही खुशी की बात है कि पिछले कुछ ही वर्षों में आईएमडी के इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नॉलॉजी का अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में लांच’मिशन मौसम’ भारत को एक क्लाइमेट स्मार्ट राष्ट्र बनाने की दिशा में एक प्रयास है।सच तो यह है कि मिशन मौसम सस्टेनेबल फ्यूचर और फ्यूचर रेडीनेस को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यह बात कही है कि आज विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों में शोध और नवाचार न्यू इंडिया की प्रकृति का अहम और महत्वपूर्ण हिस्सा है। पिछले कुछ सालों में आईएमडी के बुनियादी ढांचे का विस्तार किया गया है, जिसमें क्रमशः डॉपलर मौसम रडार, स्वचालित मौसम स्टेशन, रन-वे मौसम निगरानी प्रणाली, जिलेवार वर्षा निगरानी स्टेशन आदि को शामिल किया गया है।आज आईएमडी मौसम संबंधी विभिन्न भविष्यवाणियों के लिए अंतरिक्ष तकनीक और डिजिटल तकनीक का भी भरपूर उपयोग कर रहा है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि ‘मिशन मौसम’ लांच के अवसर पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह भी मौजूद रहे, जिन्होंने आईएमडी द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हुए यह बात कही है कि ‘पिछले एक दशक से मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के सत्ता में आने से पहले मुट्ठी भर रडार नेटवर्क थे, लेकिन अब यह संख्या दोगुनी होकर 39 हो गई है।’ वास्तव में यह दर्शाता है कि मौसम के क्षेत्र में भविष्यवाणी करने के लिए हमारे देश ने कितनी अधिक प्रगति और उन्नयन किया है।
आज अंटार्कटिका में मैत्री और भारती नाम की 2 मौसम संबंधी वेधशालाएं स्थापित हैं,जो मौसमी भविष्यवाणी करने में बहुत ही सहायक सिद्ध हो रहीं हैं। इससे बड़ी बात भला और क्या हो सकती है आज हमारा देश जलवायु और मौसम से जुड़ी हर चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज हमारा देश विश्व पटल पर जलवायु-स्मार्ट देश में बदल रहा है और मौसम नापने में, भविष्यवाणी करने के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है। आज आईएमडी न केवल भारत अपने देश के नागरिकों को अपितु मीटीरियोलोजिकल एडवांसमेंट के चलते अपने पड़ौसी देशों यथा नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका को भी आपदाओं ,मौसम आदि के बारे में सटीक व पुख्ता सूचनाएं उपलब्ध करवा रहा है। सच तो यह है कि हमारे पड़ोस में कहीं कोई आपदा आती है, तो भारत सबसे पहले मदद के लिए उपस्थित होता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि इससे विश्व में भारत को लेकर काफी भरोसा भी बढ़ा है। दूसरे शब्दों में कहें तो आज दुनिया में विश्व बंधु के रूप में भारत की छवि और भी अधिक मजबूत और सुदृढ़ हुई है। यह उम्मीद की जा सकती है आने वाले समय में भारतीय मौसम विभाग और भी अधिक बुलंदियों को छूएगा। नित नवीन बुलंदियों को छू रहा भारतीय मौसम विभाग