मंगेश यादव एनकाउंटर पर छिड़ी रार,जाति देखकर एनकाउंटर करवा रही सरकार। यादव होने के नातें मंगेश यादव का एनकाउंटर क्या,मुख्य आरोपी सचिन सिंह मुख्यमंत्री का स्वाजतीय इस लिए बचाया गया क्या…? दलित ,पिछडे़ ओबीसी के सीने पर चलेगी गोली, स्वाजतीय अपराधियों के पैर में सही हैं क्या..?मंगेश यादव एनकाउंटर पर रार जाति पर तकरार
विनोद यादव
सुल्तानपुर। पूरे देश और प्रदेश में सराफा व्यापारी के यहां हुई लूट की खबर पर चर्चा हो रहीं हैं वहीं लूट में सामिल सभी आरोपियों में से पिछडे़ समाज से आने वाले आरोपी मंगेश यादव का मुद्दा पूरे देश में गरमाया हैं। बीते हत्याकांड की बात करें तो डॉ. घनश्याम तिवारी हत्याकांड में भाजयुमो जिलाध्यक्ष के चचेरे भाई समेत 4 पर गैंगस्टर का मुकदमा था। उसी हत्याकांड में मुख्य आरोपी रहा विजय नारायण सिंह का एनकाउंटर योगी सरकार ने क्यूं नहीं किया। क्या वह मुख्यमंत्री का स्वजातीय था। इसलिए खैर भाजपा सरकार में एनकाउंटर भी जाति देखकर हो रहा है। जब कोई सरकार अपराधी की जाति देखकर एनकाउंटर करे तो समझिए उसके पतन का समय आ चुका है। चाहे लखनऊ ताज होटल के सामने छेड़खानी का मामला हो या सुल्तानपुर लूट कांड में एनकाउंटर का,दलितों पिछड़ों और ओबीसी के खिलाफ कार्रवाई करना भाजपा सरकार की प्राथमिकता बन गई है। अपराधी तो अपराधी होता है। यदि दण्ड का विधान अपराध की गंभीरता को छोड़कर कुत्सित जातीयता की मानसिकता से किया जाता है तो शासक और शासन पर सन्देह खड़ा होता है। एक ही अपराध के लिए दन्ड का दोहरा विधान गलत है। सभी अपराधी मानवता के दुश्मन है और सभ्य समाज के लिए अभिशाप। इनकी न तो कोई जाति होती है और न ही कोई धर्म। एक ही अपराध में शामिल सभी अपराधियों को समान सजा दी जाए जिससे शासक के निष्पक्ष और बढ़ते अपराध को रोकने की सही मनसा साबित हो अन्यथा अपराध से ही अपराध जन्म लेगा और समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा खड़ा हो जाएगा।
सुल्तानपुर सराफा कांड का मास्टरमाइंड विपिन सिंह अमेठी के मोहनलालगंज थाना क्षेत्र का रहने वाला है। जिस पर हत्या लूट डकैती के 34 गंभीर आपराधिक मामले हैं।घटना का विवेचना कर रहे नगर कोतवाल ए.के. द्विवेदी ने सीजेएम नवनीत सिंह की कोर्ट में अर्जी देकर विपिन सिंह के खिलाफ वारंट बी जारी करने की मांग की और सिलेंडर कर दिया। घटना के मुख्य आरोपी विपिन सिंह,अनुज प्रताप सिंह,विनय शुक्ला,विवेक सिंह,दुर्गेश प्रताप सिंह को न्यायिक अभिरक्षा में रखा गया। मुख्यमंत्री जी के स्वजाति लोगों को किस तरीके से पुलिस और सरकार बचा रही है इसको जनता देख रही है।सपा प्रमुख अखिलेश यादव का बयान सामने आया है। उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कई सवाल उठाए हैं और यूपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपने पर एक्स हैंडल पर लिखा है कि लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था। इसीलिए तो नक़ली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य सपक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ़ दिखावटी गोली मारी गयी और ‘जात’ देखकर जान ली गई।
मंगेश यादव के एनकाउंटर पर कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के प्रदेश अध्यक्ष मनोज यादव ने अपने एक्स पर लिखा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यादव विरोधी नॉरेटिव को सफल बनाने के लिए एनकाउंटर में मार डाला..जबकि योगी आदित्यनाथ जी के बिरादरी के मुख्य अभियुक्त विपिन सिंह को मिली भगत करके रायबरेली में कोर्ट मे सरेंडर करा दिया और उसके अन्य सवर्ण साथियों दुर्गेश सिंह, विवेक सिंह,विनय शुक्ला के पैरों में गोली के दाग देकर जेल भेज कर अपने स्वजातिय लुटेरों को बचा लिया।जिस तरह जर्मनी में हिटलर अपने विरोधी यहूदियों को एक-एक कर हत्या करवाने का नया नया तरीका ढूंढता था उसी तरह योगी आदित्यनाथ अहीर, यादवों को मरवाने के लिए हमेशा व्यग्र रहते हैं यादव जाति से उनकी नफरत का एक नमूना लखनऊ में लोगों ने देखा की एक घटना में 16 आरोपितो में से सिर्फ यादव और मुसलमान का नाम ही योगी आदित्यनाथ जी ने विधानसभा में लिया था।
उत्तर प्रदेश में गुंडों का राज हैं जो सरकार अपराधियों का जाति व धर्म के आधार पर दंड निर्धारित करती हो तो साफ जाहिर है कि देश में मनुस्मृति का राज आ गया हैं। सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि ‘जाति देखकर मारा गया’।तो इसकी सहीं से जांच होनी चाहिए आखिर सवाल क्यूं न उठें जब मुख्यमंत्री के स्वाजतीय जो ठहरें। जिसके ऊपर 35 मुकदमें और वह मुख्य आरोपी हो आखिर उसका संरक्षण कौन दे रहा हैं। सबसे पहले उसका एनकाउंटर क्यूं नहीं।अपराधी और अपराध का समर्थन नहीं अपराधी अपराधी होता हैं। अपराधी जाति और धर्म देखकर अपराध नहीं करता है। 3 सितंबर को जिन अपराधियों के पैर मे गोली मारी गई उनके सीने में क्यों गोली नहीं लगी। बीते सोमवार को 2:00 बजे रात को मंगेश यादव को अगर उसके घर से उठाया गया जिस दिन की घटना है। उस दिन अपने बहन का फीस भरने कॉलेज गया था। जौनपुर मंगेश की बहन और मां कह रहीं हैं क्या इसकी भी जांच नहीं होनी चाहिए।अपराधियों, माफियाओं और गुन्डों को सजा सुनाने की व्यवस्था न्याय पालिका में निहित हैं या मुख्यमंत्री और उनकी पुलिस में।
फिर क्यूं न हम सभी निजी मामलों को न्यायालय की जगह पुलिस और मुख्यमंत्री कार्यालय तक ही सीमित रखें जब सभी का न्याय बुलडोजर और एनकाउंटर से ही हो जाएगा तो भारतीय संविधान की झूठी शपथग्रहण क्यूं। सरकार कहती हैं हम गुन्डों का सफाया कर रहें हैं और विपक्ष गुन्डों माफियाओं के समर्थन में आ जाती हैं तो ऐसे में सरकार सबसे पहलें सत्ता के संरक्षण में पल रहें माफियाओं और गुन्डों का एनकाउंटर क्यूं नहीं करती। क्या वह नहीं जानती सुल्तानपुर में 60 से 70 मुकदमे यदि किसी माफिया या गुन्डें पर लगें हैं तो वह कौन सी जाति का हैं वहीं बात करें तो जौनपुर में मंगेश यादव का एनकाउंटर होता हैं। जौनपुर में किस जाति के ऊपर सबसे ज्यादा तकरीबन 65 मुकदमे हैं सरकार नहीं जानती किस जाति के हैं। सरकार यह जाति-जाति का खेल खेलना बंद करें। मंगेश यादव हो या कोई अन्य किसी समाज का यदि गुनाह को कारित करनें का मुख्य आरोपी जो भी हो पहले उसका एनकाउंटर हो। ऐसा नहीं पहले पेड़ की पत्ती हटाई जाए फिर डाल और पेड़ को सुरक्षित बचा लिया जाय जो न्योचित नहीं हैं। मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर कोई संदेह नहीं लेकिन न्याय जातिगत और मजहब के नाम पर न हो। मंगेश यादव एनकाउंटर पर रार जाति पर तकरार