रोज करें योग पेट की चर्बी होगी कम

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के0 डी0 मिश्रा

योग को परिभाषित करना आसान नहीं है क्योंकि यह पल पल रूपांतरित होने वाली प्रक्रिया है। जो व्यक्ति योग का नियमित अभ्‍यास करता है और अभस्‍थ हो जाता है। वह आत्मा के प्रकाश को देखने लगता है।योग जीवन का अहम हिस्सा है, क्योंकि ये हमें स्वस्थ और फिट रखता है । नियमित रूप से योग करने पर मन और आत्म शांति की एहसास होता है । योग शरीर को मजबूत, सुडौल और लचीला बनाने में भी मदद करता है। इसलिए आज हम आपके लिए  उत्तानपादासन के फायदे लेकर आए हैं ।  इस आसन के दौरान पेट की चर्बी को कम करने और पेट को अंदर करने में मदद मिलती है ।

उत्तानपाद में उत्तान का अर्थ होता है ऊपर उठा हुआ और पाद का अर्थ होता है “पैर”। इस आसन में पैर को ऊपर की और ले जाया जाता है । इस वजह से इसे उत्तानपाद आसन कहा जाता है । इसका नियमित अभ्यास करने से आप कई समस्याओं से बच सकते हैं ।  

उत्तानपादासन करने की विधि 

सबसे पहले एक समतल जगह पर लेट जाएं ।अब दोनों पैर के अंगूठों को एक साथ मिलाएं।इसके बाद सांस लेकर खुद को सामान्य कर लें ।अब लंबी सांस लेते हुए पैरों को ऊपर उठाएं ।याद रखें कि पैर 30 डिग्री के आसपास ही ऊपर उठाना है ।इस तरह Utanpad aasan का एक चक्र होता है ।शुरू में 2 से 3 चक्र करें और बाद में संख्या बढ़ा लें ।अब कुछ देर तक पैर को यूं ही ऊपर रखें और धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें ।30 सेकंड बाद गहरी सांस को छोड़ते हुए पैर वापस नीचे लाएं ।

उत्तानपादासन के फायदे 

इस आसन के माध्यमसे एब्स भी बनाये जा सकते है ।नियमित अभ्यास से कब्ज की समस्या दूर होती है ।इस आसन के माध्यम से कमर दर्द में भी राहत मिलती है ।इस आसन को करने से पेट की चर्बी कम होती है ।इसके अभ्यास से पेट दर्द में राहत मिलती है ।जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्या है, उन्हें राहत मिलेगी ।नाभि को संतुलित करने में यह आसन सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ।

उत्तानपादासन करने के दौरान रखें ये सावधानियां

पेट की सर्जरी होने पर भी इसका अभ्यास न करें ।गर्भवती महिलाएं भी इस आसन को न करें ।इस आसन को हमेशा खाली पेट ही करें ।कमर दर्द होने पर इसे कभी न करें ।

भेकासन—–


योग में इसे थोड़ा कठिन आसन माना जाता है । शुरुआत में आप इस आसन को उतना ही करें, जितना आपसे किया जा सके । धीरे-धीरे आप इसे पूरा कर पाएंगे । ध्यान रहे कि यह आसन सुबह के वक्त करना चाहिए । अगर आप शाम को इस आसन कर रहे हैं तो ध्यान दें कि कम से कम खाने के 4 से 6 घंटे बाद ही इस आसन को करें ।

सबसे पहले मैट पर पेट के बल लेट जाएं,अब अपनी कलाई के सहारे से धीरे-धीरे सिर को ऊपर उठाएं ।
शरीर के ऊपरी भाग यानी धड़ का भार आपकी कलाइयों पर होगा,इसके बाद दाएं घुटने को धीरे-धीरे मोड़ें ।इससे आपकी एड़ी जांघों के पास आ जाएगी ।दोनों हाथों से बाएं पैर को पकड़कर जांघों तक लें,अपनी कोहनी को आकाश की तरफ घुमाकर अपने हाथों को पैरों पर रख दें ।अब छाती को ऊपर की ओर धीरे-धीरे उठाएं ।इसे आराम से करें, अगर न हो तो फोर्स न करें ।अब गहरी सांस लेते हुए इस आसन में 45 से 60 सेकंड तक रहें ।इसके बाद शरीर को धीरे-धीरे ढीला छोड़ना शुरू कर दें ।अब पेट के बल ही लेटकर थोड़ी देर आराम करें,सांसें सामान्य होने पर इसे 2-3 बार और करें ।