प्रदेश के 85,827 गांवों को मिला स्वच्छता का मॉडल दर्जा

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प्रदेश के 85,827 गांवों को मिला स्वच्छता का मॉडल दर्जा
प्रदेश के 85,827 गांवों को मिला स्वच्छता का मॉडल दर्जा

गांवों को मिलेगा स्थायी स्वच्छता मॉडल, योगी सरकार ने बनाई नई नीति।प्रदेश के 85,827 गांवों को मिला स्वच्छता का मॉडल दर्जा।गोबरधन योजना को मिलेगी गति, गांवों में बायोगैस यूनिट निर्माण को बढ़ावा।ग्राम पंचायतों को स्वच्छता में आत्मनिर्भर बनाने के लिए योगी सरकार का बड़ा कदम।स्वच्छ भारत मिशन को मिलेगी नई मजबूती, गांवों में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन होगा सुदृढ़।योगी सरकार की नई नीति से गांवों में स्वास्थ्य और पर्यावरण को मिलेगा लाभ। प्रदेश के 85,827 गांवों को मिला स्वच्छता का मॉडल दर्जा

ब्यूरो निष्पक्ष दस्तक

लखनऊ। योगी सरकार ग्रामीण स्वच्छता को और अधिक सुदृढ़ करने के लिहाज से एक नई नीति लेकर आई है। इस नीति का उद्देश्य ग्राम पंचायतों में निर्मित स्वच्छता परिसंपत्तियों का प्रभावी संचालन और दीर्घकालिक रखरखाव सुनिश्चित करना है, ताकि स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के लक्ष्य को पूरी तरह से साकार किया जा सके। योगी सरकार ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक कचरा निस्तारण, फीकल स्लज प्रबंधन और गोबरधन परियोजना के तहत बायोगैस यूनिट निर्माण जैसी योजनाओं को मजबूत करने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। साथ ही, व्यक्तिगत और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण एवं रखरखाव को भी सुचारू करने पर फोकस किया जा रहा है।

गावों को ओडीएफ प्लस घोषित करने की दिशा में हुई उल्लेखनीय प्रगति

योगी सरकार ने प्रदेश के सभी गांवों को खुले में शौच से मुक्त ओडीएफ प्लस घोषित करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण), 15वां केन्द्रीय वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग एवं मनरेगा की धनराशि से ठोस एवं तरल अपशिष्ठ प्रबन्धनों के कार्यां को कराते हुए प्रदेश के सभी गांवों को ओडीएफ प्लस ग्राम घोषित किये गये हैं, जिनमें से प्रदेश के कुल ग्राम 96,174 गांवों के सापेक्ष 85,827 गांवों को ओडीएफ प्लस की मॉडल श्रेणी के ग्रामों में घोषित किये गये है। पंचायतीराज निदेशक की अध्यक्षता में ड्राफ्टिंग कमेटी गठित कर डेवलपमेंट पार्टनर एवं विभागा के सहयोग से नई नीति का ड्राफ्ट तैयार किया गया है। नई नीति के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर अपशिष्ट प्रबंधन को और प्रभावी बनाया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्वच्छता की यह उपलब्धि स्थायी बनी रहे। योगी सरकार के इस प्रयास से ग्रामीण स्वच्छता से जुड़े सभी कार्यों को मजबूती मिलेगी और ग्राम पंचायतों में स्वच्छता का स्तर और ऊंचा होगा।

ग्राम पंचायतों को मिलेगी आत्मनिर्भरता

नई नीति का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि ग्राम पंचायतें स्वच्छता प्रबंधन में आत्मनिर्भर बनेंगी। इसके तहत पंचायतों को उनके क्षेत्र में निर्मित परिसंपत्तियों की देखभाल के लिए ठोस दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी शौचालय, कचरा प्रबंधन केंद्र या जल निकासी प्रणाली अनुपयोगी न रहे और सभी सुविधाएं सुचारू रूप से कार्य करती रहें। इसके अतिरिक्त, गोबरधन योजना के तहत बायोगैस यूनिटों की स्थापना से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। यह योजना गांवों में कचरे को उपयोगी संसाधन में बदलने के लिए सरकार के सतत विकास के दृष्टिकोण को मजबूत करेगी।

योगी सरकार की पहल से ग्रामीण जीवन स्तर में होगा सुधार

नई नीति के तहत स्वच्छता को केवल एक अभियान नहीं, बल्कि ग्राम पंचायतों की नियमित व्यवस्था का हिस्सा बनाया जाएगा। इस नीति से गांवों में रहने वाले बच्चों, महिलाओं और पूरे समुदाय के जीवन स्तर में सुधार होगा। ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन की ठोस योजना से स्वच्छ पेयजल और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे कई बीमारियों को रोका जा सकेगा। योगी सरकार की यह नीति ग्रामीण भारत को स्वच्छ, स्वस्थ और आत्मनिर्भर बनाने के दृष्टिकोण का एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का लक्ष्य 2025 तक सभी ग्राम पंचायतों को पूरी तरह से स्वच्छता संपन्न बनाना है, जिससे न केवल स्वास्थ्य और पर्यावरण को लाभ होगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी सशक्त होगी।

योगी सरकार विभिन्न विकास संगठनों, टेक्नोलॉजी पार्टनर्स और सामाजिक संगठनों के सहयोग से इस नीति को प्रभावी ढंग से लागू करेगी। इससे उत्तर प्रदेश के गांवों में स्वच्छता के साथ-साथ नवाचार और सतत विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इस नई नीति से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में एक स्थायी और प्रभावी स्वच्छता प्रणाली स्थापित होगी। योगी सरकार के इस प्रयास से गांवों में स्वच्छता सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनजीवन का अभिन्न अंग बन जाएगी। यह नीति उत्तर प्रदेश को भारत के सबसे स्वच्छ और समृद्ध ग्रामीण राज्य के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। प्रदेश के 85,827 गांवों को मिला स्वच्छता का मॉडल दर्जा