कहां गया मछुआरा दृष्टिपत्र का संकल्प-निषाद

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कहां गया मछुआरा दृष्टिपत्र का संकल्प-निषाद
कहां गया मछुआरा दृष्टिपत्र का संकल्प-निषाद

संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर की सौदेबाजी का खेल खत्म। “परमहंस आचार्य को कटेहरी से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लङने की चुनौती”। बताए भाजपा:कहां गया मछुआरा दृष्टिपत्र का संकल्प-लौटनराम निषाद कहां गया मछुआरा दृष्टिपत्र का संकल्प-निषाद

लखनऊ। समाजवादी पार्टी की सरकार ने 5 मार्च 2004 को भर,राजभर और 10 मार्च 2004 को निषाद/मछुआ समुदाय की मल्लाह,बिन्द,केवट,माँझी,धीमर, धीवर, कश्यप, कहार, तुरहा, गोड़िया, रायकवार,बाथम आदि को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।इससे पूर्व 1994-95 में 10 वर्षीय मत्स्यपालन पट्टा व 3 वर्षीय बालू-मोरम खनन पट्टा प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय निषाद मछुआरा जातियों व इनकी मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को देने का शासनादेश जारी किया था। भाजपा सरकार पट्टा प्रणाली को खत्म कर सार्वजनिक करते हुए नीलामी व्यवस्था लागू कर दिया,जिससे निषाद मछुआरा समुदाय अपने परम्परागत पुश्तैनी पेशों से वंचित हो गया। समाजवादी पिछड़ावर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौ.लौटनराम निषाद ने कहा कि चुनावी लाभ के लिए भाजपा निषाद समाज को राम भक्त बताकर व श्रीराम-निषादराज की मित्रता का हवाला देकर इनका वोट लेती रही है,पर सरकार बनने पर राम के शरणदाता निषादराज व राम के खेवनहार केवट के वंशजों के साथ वादाखिलाफी किया,इनके पेश्तैनी पेशों को सार्वजनिक कर बेकारी की स्थिति में पहुँचा दिया। उन्होंने कहा कि कहाँ गया भाजपा का चुनाव घोषणापत्र का संकल्प और मछुआरा दृष्टिपत्र का बचनपत्र?इस बार निषाद समाज संशय निषाद और भाजपा के झांसे में न आकर उससे वादाखिलाफी का बदला चुकता किया है।

लौटनराम निषाद ने कहाकि निषाद, मल्लाह, बिन्द, केवट,धीवर,कश्यप, रायकवार,भर/राजभर को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लॉलीपॉप दिखाकर राजनीतिक सोदेबाजी करने वाले निषाद पार्टी प्रमुख संजय निषाद और सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर का खेल अब खत्म हो गया है।संजय नियाद के पुत्र प्रवीण कुमार निषाद को संतकबीरनगर और ओमप्रकाश राजभर के पुत्र अरविंद राजभर को घोसी में हराना अपना लक्ष्य था,जिसमें सफलता मिली है और इनके बड़बोलेपन पर रोक लग गयी है।उन्होंने कहा कि संजय निषाद और ओमप्रकाश राजभर निषाद व राजभर समाज अपना पिछलग्गू और बंधुआ मजदूर समझ रहे थे,निषाद और राजभर समाज ने इनके बेटों को हराकर इनकी अकङ को ढीली कर दिया है। उन्होंने संजय निषाद को चुनौती देते हुए कहा है कि तुम पाॅलिटिकल गाॅडफाॅदर ऑफ फिशरमेन हो या लौटनराम निषाद अतिपिछङों,वंचितो ,निषादों का नेता या वाॅयस ऑफ एमबीसी-डिप्रेस्ड-निषाद है,संजय निषाद कटेहरी,जलालपुर या गोसाईगंज से उम्मीदवार बनकर मेरा सामना कर लें।अयोध्या लोकसभा क्षेत्र से एक दलित अवधेश पासी के चुनाव जीतने पर भजपा के अंधभक्त, परमहंस आचार्य, अनिरुद्धाचार्य,रामभद्राचार्य व राजू दास जैसे ढोंगी- पाखण्डी असंसदीय,अमर्यादित व नीचतापूर्ण टिप्पणी कर रहे हैं।उन्होंने कहा के ये राम के अनुयायी नहीं,राम के व्यवसायी हैं।उन्होंने कहा कि इनकी राम में आस्था नहीं,सिर्फ राम के नाम का राजनीतिकरण कर अपनी दुकान चलाते हैं।उन्होंने भाजपा के अंधभक्तों व परमहंस जैसे पाखंडियों से पूछा है कि बताओ राम काल्पनिक हैं या भाजपा को राम के कोपभाजन का शिकार होना पङा है?

श्री निषाद ने परमहंस आचार्य के टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि इसमें इसके पिता का डीएनए हो तो कटेहरी से उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार बनकर चुनावी रण में उतरो,हम संविधान के नाम पर सपा उम्मीदवार बनकर तुम्हारा सामना करने की चुनौती देता हैं। परमहंस आचार्य चुनाव जीत जायेगा तो मुझसे जो कहेगा वह करूंगा और हम.जीत गये तो अयोध्या के चौराहे पर नंगा कर जूता की माला पहनाकर और गधे पर बिठाकर नगर भ्रमण कराऊंगा।उन्होंने कहा कि परमहंस तुम रामभक्त व हनुमान भक्त हो तो हम राम के शरणदाता निषादराज व हनुमान का वंशज हू।निषाद ने कहा कि राम के नाम पर राजनीति व दुकानदारी चलाने भाजपाई और फिरकापरस्त मनुवादी तिलमिलाए हुए हैं।क्या जो भाजपा को वोट देते हैं वही हिन्दू हैं और सपा,कांग्रेस आदि को वोट देने वाले हिन्दू व सनातनी नहीं।

उन्होंने कहा कि श्रीराम के वनवास काल में निषाद, केवट, कोल,भील, किरात,वानर आदि वनवासियों,जनजातियों ने ही राम की मदद किया,किसी मनुवादी व परमहंस, राजू दास, अनिरुद्धाचार्य, राम-भद्राचार्य के पूर्वजों ने नहीं।उन्होंने कहा कि सिर्फ वोट के लिए निषाद, पासी, वाल्मीकि, राजभर, चौहान, लोधी,किसान,जाटव,कोल,मुसहर,बिन्द, बियार,अहिर, कुर्मी,काछी,कुम्हार,नाई आदि हिन्दू होते हैं,अन्यथा शूद्र,नीच,पिछङा-दलित-आदिवासी?अयोध्या में झूठ-फरेब,छल-कपट, ढोंग-पाखंड की हार और संविधान की जीत हुई है।उन्होंने कहा कि कारसेवकों पर मुलायम सिंह यादव ने नहीं,भाजपा-आरएसएस के इशारे पर तत्कालीन मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्र ने गोली चलवाया,जिसे भाजपा सरकार ने केंद्र में सम्मानित पद पर पदस्थापित किया और अयोध्या में श्रीराम तीर्थ स्थल निर्माण ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया।उन्होंने कहा कि भाजपा हर स्तर पर पिछड़ा-दलित विरोधी है,तभी तो नये संसद भवन (सेंट्रल विस्टा) का शिलान्यास तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविद,उद्घाटन राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू से नहीं कराया और 15 सदस्यीय श्रीराम तीर्थ स्थल ट्रस्ट में किसी ओबीसी को सदस्य नहीं बनाया।मंडल कमीशन (पिछङावर्ग आरक्षण) के विरोध में कमंडल राजनीति करने वाली भाजपा कभी पिछड़ावर्ग हितैषी नहीं हो सकती। कहां गया मछुआरा दृष्टिपत्र का संकल्प-निषाद