विधानसभा में नई उम्मीदों की रोशनी

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श्रीधर अग्निहोत्री 

समय के प्रवाह में कुछ इमारतें केवल पत्थरों से नहीं, बल्कि इतिहास की गूंज और भविष्य की उम्मीदों से बनती हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा भी ऐसी ही एक इमारत है, जिसकी दीवारों ने अतीत के संघर्षों, वर्तमान के बदलावों और भविष्य की संभावनाओं को समेट रखा है। यह भवन सिर्फ एक स्थान नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रति आस्था और प्रगति की मिसाल है, जहां विचारों का संगम होता है और निर्णयों की नींव रखी जाती है।

उत्तर प्रदेश की 18 वीं विधानसभा ने अपने पुराने स्वरूप को संजोए रखते हुए, नई तकनीक और आधुनिकता का ऐसा संगम प्रस्तुत किया है, जिसने इसे पूरे देश के लिए मिसाल बना दिया है। यह वही स्थान है जहां गूंजती आवाजें अब नए विचारों, योजनाओं और प्रगतिशील पहल की तस्वीरें पेश करती हैं। परंपरा और आधुनिकता के इस मिलन ने इसे एक ऐसा मंच बना दिया है, जहां लोकतंत्र का भविष्य आकार लेता दिखाई दे रहा है।दरअसल इसके पीछे विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की दूरगामी सोच हैं। उन्होंने अध्यक्ष पद पर विराजमान होते ही संकल्प लिया था कि वह अपनी दूरगामी सोच से विधानसभा को एक नया रूप देगें और हर सत्र में कुछ न कुछ नया देखने को मिलेगा।

उत्तर प्रदेश की 18 वीं विधानसभा अपने गठन के बाद हुए बदलावों को लेकर पूरे देश में अलग पहचान बना चुकी है। जहां पूरे प्रदेश के लोग यहां आकर गर्व का अनुभव कर रहे हैं वहीं दूसरे प्रदेश इसकी आंतरिक और बाहय खूबसूरती देखकर अपने प्रदेश की विधानसभा में भी बदलाव करने के प्रयास में लग गये हैं। पिछले लगभग तीन वर्षो में यूपी विधानसभा में कई नवाचार हुए हैं जिसके कारण अब इसकी चर्चा देश की दूसरी विधानसभाओं में भी हो रही है। यूपी विधानसभा अब अपनी अलग पहचान बना चुकी है। दूसरे राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष भी इसे देखने के लिए आ रहे हैं।

गर्व की बात तो यह है कि जब भी देश में विधानसभा अध्यक्षों की कांफ्रेस होती है तो यूपी की चर्चा जरूर होती है। इसके पीछे विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना की सोच और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश के विकास की गति को आगे बढ़ाने की रणनीति सबसे बड़ा आधार है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रति वर्षो पुरानी बनी धारणा अब बदल चुकी है। पहले विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विपक्ष के विधायक वेल में आकर सुर्खियों में आते थे लेकिन अब सकारात्मक कार्यशैली से मीडिया में दिखाई पड़ते हैं। नए प्रेस रूम में इलेक्ट्रॉनिक चैनलों को बाइट देने की व्यवस्था के साथ ही इसे आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है। जहां प्रेस रूम के स्थान को बढ़ाया गया है। वहीं इस कक्ष में बीचो बीच फोर शीटर तीन सोफा, 6 सिंगल शीटर सोफा, 4-4 सिंगल शीटर सोफा के साथ 2 राउण्ड टेबल, टीवी, नया पर्दा, अलमारी, लैंप लाइट, तीन कम्प्यूटर, और वहां तीन रिवॉल्विंग चेयर की व्यवस्था की गई है।

इतना ही नहीं इस कक्ष में सेंट्रलाइज़्ड एयर कंडीशनर के साथ झूमर भी लगाया गया है। एक दूसरे कक्ष में थ्री शीटर एक सोफा, दो सिंगल शीटर सोफा, बेहतरीन महिला और पुरूष शौचालय, टीवी, 244 लीटर का 3 स्टार डबल डोर रेफ्रिजरेटर की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही इस कक्ष में एक पेंट्री एरिया बनाया गया है। प्रेस रूम के मीटिंग हॉल को भी बेहतरीन बना दिया गया है। कक्ष में पत्रकारों को रिर्पोटिंग के दौरान किसी प्रकार का परेशानी न हो इसके लिए इस कक्ष में लगभग 40 रिवॉल्विंग चेयर, यू सेव का एक बड़ा टेबल बनाया गया है। टेबल के नीचे प्रत्येक चेयर के पास चार्जिंग बोर्ड लगाया गया। ताकि पत्रकारों के लैपटॉप और मोबाइल चार्ज करने में कोई परेशानी न हो।

यहां तक कि प्रेस रूम में मोबाइल चार्जिंग स्टेशन भी लगाया जाएगा। प्रेस रूम में पत्रकारों के लिए फ्री वाई-फाई की व्यवस्था भी की गई है। पिछले साल अयोध्या के राममंदिर में रामलला की  प्राण प्रतिष्ठा के बाद विधानसभा अध्यक्ष  सतीश महाना के निमंत्रण पर विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य रामलला के दर्शन करने अयोध्या गए। महाना ने विपक्ष के विधायकों को भी दर्शन के लिए आमंत्रित किया था पर मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी को छोड़कर अन्य दलों के विधायक भी वहां पहुंचे। इसके बाद से दूसरे राज्यों के विधानसभा अध्यक्ष अपने विधायकों को लेकर रामलला के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिमंडल ने राम लला के दरबार में माथा टेका।

दो वर्ष पहले जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो 29 मार्च को आठ बार के विधायक सतीश  महाना  को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गयी। इसके बाद उन्होंने यहां पर बदलाव के काम शुरू किए। विधान भवन के सुंदरीकरण के साथ ही विधानमंडल में सभी सदस्यों के टेबल पर ई- विधान के तहत टैबलेट लगवाए, विधायकों को काफी मशीन तथा अन्य आवश्यक संसाधनों को उपलब्ध कराने के साथ ही  विधानसभा संचालन में भी नए प्रयोग किए है। अब यूपी विधानसभा की कार्यवाही स्थगित नही होती है। बल्कि अनवरत देर रात तक भी चलती है।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने एक नई शुरूआत कर विधानसभा के  डाक्टर, इंजीनियर, प्रबंधन, महिला युवा और पांच बार से अधिक जीतकर आए विधायकों के समूह बनाकर उनसे संवाद किया। इस दौरान जहां उन्होंने पुराने सदस्यों को सम्मानित किया। वहीं नए विधायकों को सलाह दी कि वह अपनी प्रतिभा का सदुपयोग करें जिससे जनसामान्य और अधिकारियों के बीच राजनीति के प्रति आमधारणा को बदला जा सके। इस साल एक बार फिर विधानसभा के बजट सत्र से पहले क्षेत्रवार विधायकों के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम की पीछे श्री महान की मंशा यह रही कि विधानसभा सदस्य सदन में समय का सदुपयोग कैसे करे जिससे जनहित के अधिक से अधिक कार्य हो सकें।

18वीं विधानसभा के गठन के बाद यहां के कर्मचारियों को दीपावली जैसे बडे़ त्यौहार पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना उनके साथ भोज करने का काम कर रहे हैं। यही नहीं उन्हें उपहार आदि भी वितरित करते हैं। इसके पहले इस तरह के आयोजनों की परम्परा यहां कभी नहीं रही।

अब उत्तर प्रदेश विधानसभा की नई नियमावली के लागू होने से हंगामे पर भी नियंत्रण लगा है। 65 साल बाद यूपी विधानसभा में विपक्षी दलों के विधायक सदन में न तो झंडे ले जाने और न ही बैनर लहराने की अनुमति है।  सदन के अंदर अब किसी को भी किसी तरह के दस्तावेज को फाड़ने की अनुमति नहीं है। साथ ही मोबाइल के साथ प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित है।

उत्तर प्रदेश विधानसभा के इतिहास में पहली बार एक दिन का उपवेशन केवल महिला सदस्यों के लिए रखा गया। पूरे दिन महिला सदस्यों ने ही सदन में अपनी बात रखी। महिला अधिष्ठाता के तौर पर तीन महिला सदस्यों को इस पर आसीन किया गया। महिला सदस्यों के बैठने के लिए उनके लिए एक बडे़ कक्ष का निर्माण कर उसे आधुनिक सुविधाओं से लैस किया गया है।

अब विधानसभा सदस्यों के जन्मदिन को मनाने की एक नई परम्परा शुरू हुई है। सत्र के दौरान पूरा सदन ऐसे सदस्य को बधाई देने का काम करता है। साथ ही विधानमंडप में लगी बड़ी स्क्रीन पर उस सदस्य की फोटो भी  प्रसारित की जाती है। उधर, संसद में सुरक्षा में सेंध के बाद विधानसभा की सुरक्षा व्यवस्था को भी चाक चौबंद किया गया है।

वहीं दूसरी तरफ से विधानभवन के गलियारे और पुरुषोत्तम दास टंडन हाल को सजाने संवारने का काम किया गया है। अब विधायकों के बैठने के लिए यहां स्थान आकर्षण का केन्द्र बन चुका है। विधायक और उनके परिजन यहां बैठते हैं। एक काफी मशीन और पेय पदार्थो की भी बेहतर व्यवस्था बनाई गयी है। इतिहास से जुडे़ महापुरुषों के चित्रों को नए ढंग से लगाने के साथ ही कोरीडोर में राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के अलावा दोनो डिप्टी सीएम के साथ ही सभी 403 विधायकों के चित्रों का प्रदर्शन किया गया है। इन चित्रों के साथ ही एक ऐसी स्क्रीन की भी व्यवस्था की गयी है जिसमें किसी भी विधायक का परिचय प्राप्त किया जा सकता है।

ध्वनि एवं प्रकाश के तथा डिजिटल फिल्म के माध्यम से इसके गौरवशाली इतिहास को प्रदर्शित करने का काम किया जा रहा है। इसके अलावा वर्षो पुरानी विधानसभा की लाइब्रेरी को ई पुस्तकालय के तौर पर पेश कर पाठ्य सामग्री को डिजिटली भी तैयार किया जाएगा।भारतीय प्रबन्ध संस्थान, लखनऊ की निदेशक डॉ0 अर्चना शुक्ला एवं संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसरों ने जब का भ्रमण किया तो वह यहां की भव्यता देखकर अचरज में पड़ गए।

यूपी विधानसभा का एक एप लांच किया गया है। इस ऐप में विधानसभा से सम्बन्धित हर तरह का विवरण उपलब्ध है। आठ जनवरी, 1887 को इलाहाबाद के थार्नहिल मेमोरियल हाल में ‘नार्थ वेस्टर्न प्रोविन्सेज एंड अवध लेजिस्लेटिव कौंसिल’ की पहली बैठक से लेकर उत्तर प्रदेश विधानसभा के 2023 के बजट सत्र तक की तमाम जानकारी अब एक क्लिक पर मिलेगी। सोमवार को विधान भवन के तिलक हॉल में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने विधानसभा की यूपीवीएस इंटेलीजेंट सर्च एप को लांच किया।एप में विधानसभा सदस्यों के साथ ही आम लोग भी सदन की पुरानी कार्यवाहियों से संबंधित किसी भी प्रकार की सूचना सर्च कर सकते हैं। एप में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, सरकारी एवं असरकारी गजट, महत्वपूर्ण विषयों पर न्यूजपेपर की क्लिपिंग्स तथा मौजूदा विधायकों का जीवन परिचय भी है। एप में विधानसभा से संबंधित हर तरह का विवरण मिल सकेगा। एप में यदि किसी विधायक या एप धारक को शिक्षा, स्वास्थ्य, हत्या, लूट, नौकरी, रोजगार की कोई महत्वपूर्ण खबर देखनी है तो विषय लिखते ही संबंधित खबरें मोबाइल की स्क्रीन पर दिखेंगी।

विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित सदस्यों के नाम और उनका कार्यकाल, सदन में उठाए गए प्रमुख मुद्दों सहित अन्य जानकारियां भी उपलब्ध हैं। इसमें 8 जनवरी, 1887 को इलाहाबाद के थार्नहिल मेमोरियल हाल में ‘नार्थ वेस्टर्न प्रोविन्सेज एण्ड अवध लेजिस्लेटिव कौंसिल’ की सम्पन्न हुई प्रथम बैठक से लेकर फरवरी, 2023 तक की विधान सभा की सम्पूर्ण कार्यवाहियां ऑनलाइन उपलब्ध हैं। साथ ही इस ऐप में उ0प्र0 सरकार के सरकारी एवं असरकारी गजट, महत्वपूर्ण विषयों पर न्यूजपेपर की क्लिपिंग्स तथा विधानसभा सदस्यों का जीवन परिचय भी उपलब्ध है।  यह एक ऐसा सिस्टम है जिसके माध्यम से कोई भी नागरिक सर्च इंजन पर जाकर किसी भी जनप्रतिनिधि, क्षेत्र, विषय या संबंधित की-वर्ड को फीड करके विधान सभा में हुई गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस ऐप के उपयोग से शोध कर रहे छात्रों को उनके शोध कार्य में भी मदद मिलेगी जो कि समाज पर एक सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

अब देश के दूसरे राज्यो में इस बात पर चर्चा होती है कि उनकी विधानसभा को भी अपने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। दिलचस्प तो यह है कि सत्ता पक्ष के नेताओं के साथ अब विपक्ष भी विधानसभा के बदलते स्चरूप की तारीफ करने  में पीछे नहीं है।हाल ही में हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने जब यूपी विधानसभा का भ्रमण किया तो देखते ही अचरज में पड़ गए और बोले कि जैसा सुना था वैसा ही पाया,अब हरियाणा जाकर अपनी विधानसभा में भी बदलाव का कार्य करवाऊंगा।

विधानसभा में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने अध्यक्ष सतीश महाना की कार्यशैली की सराहना करते हुए कह चुके हैं कि हर बार सदन में कुछ नया दिखाई देता है। महाना ने न केवल अपनी कार्यशैली से विधानसभा को रिफार्म करने का काम किया है बल्कि नई तकनीक लाकर विधानसभा को अत्याधुनिक बनाने का भी काम कर रहे हैं।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना चाहते हैं कि यूपी की विधानसभा को मिसाल के तौर पर पूरे देश में जाना जाए। इसलिए वह स्कूली बच्चों को विधानसभा में आने को आमंत्रित करते हैं जिससे स्कूली बच्चे वह जान सकें कि किस प्रकार से इसका संचालन किया जाता है। अब स्कूली बच्चों के साथ ही विधायकों के परिजन भी अक्सर विधानसभा में घूमते नजर आते हैं। अब विधानसभा और आम जनमानस की विधायिका से दूरी खत्म हो रही है।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना कहते हैं कि प्रत्येक सदस्य को परिजनों को विधानसभा का भ्रमण कराने के लिए यहां लाना चाहिए। अपने क्षेत्र के छात्र- छात्राओं, डाक्टर्स, इंजीनियर्स, वकील और शिक्षा क्षेत्र से जुडे़ अन्य लोगों को भी यहां लाने का काम करें। हम चाहते हैं कि इस प्रदेश का प्रत्येक नागरिक अपनी विधानसभा पर गर्व करे।