जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ

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जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ
जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ
राजकुमार “राज”

योग और आयुर्वेद का जन्म भारत में हुआ और यहीं से इनका प्रभाव पूरी दुनिया में फैलता चला गया। योग और आयुर्वेद, दोनों विधाओं को मनुष्य ने प्रकृति से सीखा है। स्वस्थ रहने के लिए योग आवश्यक है। शरीर की सक्रियता को बनाए रखने के साथ-साथ लचीलेपन को बढ़ावा देने के लिए योग का नियमित अभ्यास अत्यंत लाभकारी माना जाता है। योग आसन आपकी मांसपेशियों और जोड़ों में गतिशीलता बढ़ाने के साथ-साथ संपूर्ण शरीर के फिटनेस में मदद कर सकते हैं। योग के कई आसन हैं, जिनमें से एक है भुजंगासन। इस आसन को करने से पेट पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और यह कई बीमारियों में लाभकारी साबित होता है। प्रकृति में उगने वाली जड़ी-बूटियों से शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए मानव ने आयुर्वेद का निर्माण किया, जबकि विभिन्न पशु-पक्षियों की मुद्राओं से सीखकर मनुष्य ने योग विद्या की रचना की। योग और आयुर्वेद सिर्फ मनुष्य को स्वस्थ बनाने के लिए ही नहीं हैं, बल्कि ये हमें जीवन जीने का तरीका भी बताते हैं और हमें भीतर से स्वस्थ बनाते हैं। ऐसा ही एक आसन भुजंगासन है, जिसके नियमित अभ्यास से हमें अनेक फायदे मिलते हैं। जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ

जानें क्या है भुजंगासन

भुजंगासन सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 7वां है। भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है। इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है। ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है। भुजंगासन का अभ्यास खाली पेट ही करना चाहिए। भोजन, आसन करने के वक्त से कम से कम 4-6 घंटे पहले किया जाना चाहिए। इससे हमारे पेट में गए भोजन को पचने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। पचे हुए भोजन से मिलने वाली ऊर्जा से आपको आसन करने में आसानी होगी। भुजंगासन के अभ्यास का सबसे सही समय सुबह का होता है। लेकिन अगर किसी कारणवश आप सुबह इस आसन को नहीं कर पाते हैं तो आप इस आसन का अभ्यास शाम को भी कर सकते हैं।

भुजंगासन करने की विधि

पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अपनी दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ करके रखें। ध्यान रखें कि आपके टखने एक-दूसरे को छूते रहें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ करें। अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस भीतर खींचें और अपने सिर को उठाकर पीठ की तरफ खींचें। ध्यान दें कि इस वक्त तक आपकी कुहनी मुड़ी हुई है। इसके बाद अपने सिर को पीछे की तरफ खीचें और साथ ही अपनी छाती को भी आगे की तरफ निकालें। सिर को सांप के फन की तरह खींचकर रखें। लेकिन ध्यान दें कि आपके कंधे कान से दूर रहें और कंधे मजबूत बने रहें। इसके बाद अपने हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं। शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें और सांस की गति सामान्य बनाए रखें। ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है। लगातार अभ्यास के बाद आप इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं। इस मुद्रा को छोड़ने के लिए, धीरे-धीरे अपने हाथों को वापस साइड पर लेकर आएं। अपने सिर को फर्श पर विश्राम दें। अपने हाथों को सिर के नीचे रखें। बाद में धीरे से अपने सिर को एक तरफ मोड़ लें और धीमी गति से दो मिनट तक सांस लें। अगर आपने नया-नया ही आसन का अभ्यास शुरू किया है, तो आपको इस आसन को पूरा करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो बहुत संभावना है कि आपकी कमर और गर्दन में दर्द शुरू हो जाए।

जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ


नियमित भुजंगासन के फायदे

भुजंगासन से रीढ़ की हड्डी सशक्त होती है और पीठ में लचीलापन आता है। यह आसन फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है। जिन लोगों का गला खराब रहने की, दमे की, पुरानी खाँसी अथवा फेंफड़ों संबंधी अन्य कोई बीमारी हो, उनको यह आसन करना चाहिए। इस आसन से पित्ताशय की क्रियाशीलता बढ़ती है और पाचन-प्रणाली की कोमल पेशियाँ मजबूत बनती है। इससे पेट की चर्बी घटाने में भी मदद मिलती है। भुजंगासन से कब्ज दूर होता है तथा बवाशीर मे भी लाभ देता है।

किडनी के लिए फायदेमंद :- नियमित भुजंगासन करने से हमारे शरीर की संकुचित रेहती हैं, जिससे वहा खुन का ठेेेहराव होता हैं, इससेे किडनी का कार्य अच्छा रहता हैं, इसके आलावा यह फेेेफडों को भी ठिक रहता हैं, जिससे सांस लेने में दिक्कत नहीं आती हैं। फेफड़ों और हार्ट की नसों के ब्लॉकेज खोलने में भी मदद मिल सकती है।

सायटिका में फायदेमंद :- सायटिका एक बिमारी होती हैं, जो तंत्रिका जो रीढ के पिछे होती है, जो हमारे पीठ से निकलकर निंतबो से होते हुऐ, पैैरों तक जाती हैं, उसमें तेेेज दर्द होता हैंं, रोजाना भुजंगासन करने से सायटिका में काफी मदत मिलती हैं, क्योंकि इसमें रीढ की हड्डी लचीली बनती हैं। साइटिका और अस्थमा की बीमारी में भी राहत मिल सकती है।

पाचन में फायदेमंद :- भुजंगासन करनेे वाले व्यक्ति का पाचन अच्छा रहता हैं, और उन्हें कब्ज ,एसीडिटी की समस्या नहीं होती ,इसके आलावा उस व्यक्ति को मल त्याग ने में भी परेशानी नहीं होती और पेट भी साफ रहता हैं। पाचन तंत्र, मूत्र मार्ग की समस्याएं दूर होती हैं और यौन शक्ति बढ़ सकती है। मेटाबॉलिज्म सुधरता है और वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ

तनाव दूर करें :- यह आसन तनाव को कम करनेवाले एडरनल ग्रंथी को प्रभावित करता हैं, और इस के स्त्राव में भी मदत करता हैंं, जिससे तनाव, चिंता, डिप्रेशन को कम करने में यह आसन उपयोगी होता हैं।

हड्डियों को लचीला बनाता हैं :- भुजंगासन करनेेवाले व्यक्ति की रीढ की हड्डी मजबूत बनती हैं और यह लचीली भी होती हैंं, इसके आलावा यह छाती, कंधे, भुजाओं और पेट की मांंसपेशीयो को मजबूत करने में फायदेमंद होता हैं। रीढ़ की हड्डी में मजबूती और लचीलापन बढ़ सकता है।

मधुमेह में फायदेमंद:- भुजंगासन मधुुुमेह को कम करने में भी फायदेमंद होता, इसे नियमित करने से इंंन्सुलिन मात्रा सही बनी रेहती है और यह रक्तपरिसंचरण भी अच्छा बना रहता हैं।

पीठ दर्द दूर करें :- भुजंंगासन करने से पीठ दर्द में भी राहत मिलती हैं, क्योकि इससे रीढ की हड्डी लचीली और मजबूत बनती है। टेंशन दूर रहती है। डिप्रेशन में भी इससे फायदा मिल सकता है।

रक्तपरिसंचरण सुधारें:- भुजंगासन करने से रक्त का प्रवाह अच्छा होता हैं, और इससे उनका मन भी शांंत रहता हैं, चिडचिडेेपण और गुस्सा भी कम आता हैं।

अस्थमा में फायदेमंद:- यह आसन अस्थमा रोगीयों के लिए बहोतही लाभकारी होता हैं, और इससे फैफड़ों में खिचाव आता हैं, और उसमें ऑक्सीजन भी अंदर बहोत जाती हैं, जिसवजह सें सांस की सारी समस्या खत्म होती हैं।

स्लीप डीक्स में फायदेमंद:- यह आसन नियमित करने से स्लीप डिक्स की समस्या भी धीरे धीरे कम होती हैं।

थायराइड में फायदेमंद:- यह आसन थायराइड और पैैैराथायराइड ग्रंथी को सक्रिय करता हैं, रोज 5 मिनट का भुजंगासन थायरााइड को कम करने में मदत करता हैं।

महिलाओं की माहावारी चक्र में फायदेमंद :- भुजंगासन महिलाओं के लिए भी फायदेमंद होता हैं, खासतौर पर महिलाओं के मासिकधर्म में यह उन्हें बहोत ही राहत देता हैं।

भुजंगासन के पीछे का विज्ञान

भुजंगासन योग विज्ञान के सबसे विविधतापूर्ण आसनों में से एक है। यह योग मुद्रा इतनी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके ढेर सारे फायदे हैं। यह हमारी पीठ को मजबूत और रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है। इसके अलावा, यह हमारे पाचन और प्रजनन तंत्र को भी मजबूत करता है। भुजंगासन हमारे चक्रों को खोलने में भी अहम भूमिका निभाता है। उदाहरण के तौर पर, भुजंगासन के अभ्यास से हमारे शरीर के सात में से चार चक्रों को खोलने में मदद मिलती है। ये चार चक्र हैं: विशुद्धि चक्र,अनाहत चक्र,मणिपूर चक्र और स्वाधिष्ठान चक्र। यदि इस आसन का अभ्यास करते समय आंखों को खुला रखा जाए, तो यह आंखों की नसों को सक्रिय करता है और दृष्टि को बढ़ाने में मदद करता है। जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ

नोट:- इस आसन को करने से पहले निम्नलिखित बातों को हमेशा याद रखें। इस योगासन को पीठ के गंभीर चोट, हर्निया, पेट की सर्जरी, प्रेगनेंसी एवं माइग्रेन आदि जैसी स्थितियों में नहीं करना चाहिए। जानें भुजंगासन करने की विधि एवं लाभ