KGMU:वीसी का ओएसडी बना इंटर पास कर्मचारी

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KGMU:वीसी का ओएसडी बना इंटर पास कर्मचारी
KGMU:वीसी का ओएसडी बना इंटर पास कर्मचारी

धनंजय सिंह

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शैक्षणिक योग्यताधारी अभ्यर्थियों (Well Qualified Candidates) की अनदेखी की जा रही है या फिर यूं कहा जाए कि विशिष्ट योग्यताधारी युवक युवतियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर नहीं मिल रहा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। वैसे तो केजीएमयू प्रशासन में अनियमितताओं का भंडार है और कमियां छिपाने के लिए शासनादेश को दबाने में महारथ हासिल है। मामला किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज प्रशासन का है जहां पर सैय्यद अख्तर अब्बास वाइस चांसलर के ओएसडी पद पर तैनात हैं। इनकी शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट है। KGMU:वीसी का ओएसडी बना इंटर पास कर्मचारी

वीसी के ओएसडी बने सैयद अख्तर अब्बास की नियुक्ति बिना किसी चयन के कार्यालय आदेश संख्या 05 दिनांक 11 नवंबर 1990 के द्वारा नियमित नियुक्त होने तक तदर्थ रूप से दिनांक 28 दिसंबर 1989 से किया गया तथा आदेश संख्या 71 दिनांक 11 फरवरी 1994 द्वारा दिनांक 1 जनवरी 1990 से स्थायी किया गया जिसे कार्यालय आदेश संख्या 413/ई – 95 दिनांक 22-08-1995 के द्वारा संशोधित करते हुए दिनांक 28 दिसंबर 1992 से स्थायी किया गया जबकि अनंतिम वरिष्ठता सूची में इन्हें 28 दिसंबर 1989 से वरिष्ठता दी गई है जो कि गलत है क्योंकि इन्हें किसी चयन समिति के माध्यम से चयनित नहीं किया गया है और ना ही तदर्थ सेवा का ही विनियमितीकरण किया गया है अतः इनकी नियुक्ति मौलिक नियुक्ति के अंतर्गत नहीं आती है।

किंग जॉर्ज मेडिकल विश्वविद्यालय (KGMU) में विवादास्पद निर्णय लिया गया है, जहां कुलपति (VC) के ओएसडी के पद पर एक इंटर पास कर्मचारी को नियुक्त किया गया है। इस नियुक्ति ने विश्वविद्यालय में चर्चा का विषय बना दिया है क्योंकि सामान्यतः इस तरह के पदों के लिए उच्च शिक्षित और अनुभवी अधिकारियों को चुना जाता है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच इस निर्णय को लेकर असंतोष और सवाल उठ रहे हैं। कई लोग इसे उचित प्रशासनिक प्रक्रिया के खिलाफ मान रहे हैं। इस मामले पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

इस नियुक्ति से यह प्रतीत होता है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में पारंपरिक नियमों की अनदेखी की गई है, जिससे संस्थान के कामकाज में असंतुलन और कर्मचारियों में असंतोष फैल सकता है। इससे विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और कामकाज की विश्वसनीयता प्रभावित हो सकती है। यदि इस निर्णय के पीछे कोई ठोस कारण या विशेष परिस्थितियाँ हैं, तो उन्हें सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करना आवश्यक है ताकि कर्मचारियों और आम जनता का विश्वास बना रहे। अन्यथा, यह नियुक्ति संस्थागत शासन व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती है और भविष्य में प्रशासनिक विवादों को जन्म दे सकती है।

तदर्थ नियुक्ति के विनियमितिकरण न होने के बावजूद सेवानिवृत्त उपरांत पेंशन लाभ ले रहे हैं जोकि शासनादेश का सरासर उल्लंघन है। शासनादेश में स्पष्ट उल्लेख है कि तदर्थ नियुक्ति को विनियमितिकरण के बाद ही मौलिक नियुक्ति माना जाए तदुपरांत ही उस कर्मचारी को वरिष्ठता का लाभ और पेंशन लाभ से आच्छादित किया जाएगा लेकिन यहां सूत्रों के अनुसार ओएसडी महोदय तेरह खाने के रिंच हैं और सिस्टम से जुड़े हुए महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। केजीएमयू प्रशासन से आशीर्वाद प्राप्त ओएसडी जो चाहते हैं वही होता है। वैसे इनके सेवाकाल के दौरान भारी अनियमितताओं की चर्चा अंदरखाने हो रही है जिसके साक्ष्य उपलब्ध होने पर प्रकाशित किया जाएगा। इन्होंने शासनादेश से आंख मिचौली खेलते हुए ब्यवस्थित प्रशासन से वरिष्ठता का लाभ ले लिया और 30 जून 2024 को सेवानिवृत्त हो गए लेकिन बहुमुखी प्रतिभा के धनी सैय्यद अख्तर अब्बास को संविदा में ओएसडी के पद पर आसीन कर दिया गया।इस विषय पर फोन से बातचीत के दौरान ओएसडी सैय्यद अख्तर अब्बास द्वारा स्वीकार किया गया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता इंटरमीडिएट ही है। इनके रग रग में सेवा भाव इतना ज्यादा भरा पड़ा है कि पुनः केजीएमयू के सेवाभाव में लीन हो गए हैं।

हालांकि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र लिखा जिसमें कहा गया था कि केजीएमयू प्रशासन द्वारा बिना विनियमितिकरण किए ही तदर्थ नियुक्तिधारी बैकडोर एंट्री वाले कार्मिकों के तथ्यों को छिपाकर नियमविरुद्ध उच्च पदों पर प्रमोशन करने एवं अवैधानिक तरीके से जीपीएफ खुलवाकर पेंशन जारी कर राजकोषीय क्षति पहुंचाई जा रही है जिसके लिए राज्य मंत्री ने शासन स्तर से जांच समिति का गठन करके निष्पक्ष जांच की सिफारिश की थी। ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य मंत्री का सिफारिशी पत्र भी अनियमितता की अंधेरी कोठरी में गुम हो गया। इनके अतिरिक्त एम एल सी शैलेन्द्र प्रताप सिंह, अक्षय प्रताप सिंह , विधायक सीताराम वर्मा एवं राकेश कुमार सिंह द्वारा विगत दो वर्षों से अनियमितताओं पर कार्यवाही मांग की जा रही है । KGMU:वीसी का ओएसडी बना इंटर पास कर्मचारी