
कमीशन के खेल में एचओडी फेल, प्रोफेसर पर लगा गंभीर आरोप। केजीएमयू मेडिकल कॉलेज की साख पर आई आंच, कमीशनखोरी का विरोध करने पर डाक्टर के चरित्र पर निराधार लांछन। KGMU कमीशन के खेल में एचओडी फेल
धनंजय सिंह
लखनऊ। लखनऊ का किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज सबसे प्रतिष्ठित अस्पताल है और इस संस्थान का लंबा इतिहास है। हाल ही में मेडिकल कॉलेज के पैथालॉजी विभाग में नई मशीन की खरीदारी को लेकर बवंडर खड़ा हो गया। पैथालॉजी के एचओडी ने उस मशीन को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया जिसे खरीदने के लिए कालेज प्रशासन उपयोगी बताते हुए पैथालॉजी विभाग के अन्य शिक्षकों से प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कराकर बैठक बुला ली। बैठक में विभागाध्यक्ष की अनुपस्थिति कुलपति को नागवार लगी इस पर कुलपति ने एचओडी को नोटिस जारी कर दिया । इसी बीच विभागाध्यक्ष मेडिकल लीव लेकर छुट्टी पर चले गए।
केजीएमयू मेडिकल कॉलेज को उत्तर प्रदेश सरकार ने 1843 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया था जिसमें से 300 करोड़ रुपए मशीन उपकरण खरीद के लिए था। इस बजट में से पैथालॉजी लिक्विड बेस्ड साइंटोलॉजी मशीन आनी थी। प्रस्तावित नई मशीन में कुछ तकनीकी बिन्दु ऐसे थे जिनसे विभागाध्यक्ष असंतुष्ट थे और जिनके जवाब केजीएमयू प्रशासन के पास भी नहीं थे। क्योंकि उस नई मशीन की कीमत करोड़ों की थी तो सरकारी खजाने का दुरुपयोग न हो इसके लिए विभागाध्यक्ष नई मशीन खरीद के लिए राजी नहीं हुए। यही बात केजीएमयू प्रशासन को नागवार लगी और साजिशन विभागाध्यक्ष के चरित्र पर निराधार आरोप लगा दिया गया। आरोपों के बावत विभागाध्यक्ष डॉ यू एस सिंह ने बताया कि डॉ. प्रीति अग्रवाल, आईसीएसएचडब्लू और केजीएमयू द्वारा मेरी प्रतिष्ठा धूमिल करने के लिए षड्यंत्र रचा गया। जिसमें जो पत्र दिया गया वह लिफाफा सील नहीं था और उस लिफाफे में शिकायती पत्र नहीं था। पहला आईसीएसएचडब्लू पत्र संख्या 128/आईसीएसएचडब्लू/केजीएमयू, दिनांक 28 मार्च, 2025, जिसमें 18 मार्च, 2025 की शिकायत का संदर्भ था, बिना सील के और वादा किए गए संलग्न शिकायत प्रति के बिना वितरित किया गया।

प्रोफेसर सुरेश बाबू (कार्यवाहक) विभागाध्यक्ष, पैथोलॉजी विभाग, केजीएमयू लखनऊ द्वारा मुझे भेजा गया पत्र संख्या 128/आईसीएसएचडब्लू/केजीएमयू /दिनांक 28.03.2025 एक खुला पत्र था, जो बिना सील और लिफाफे के था और इसमें शिकायत की कोई संलग्न प्रति नहीं था। दूसरा आईसीएसएचडब्लू पत्र संख्या 130/आईसीएसएचडब्लू/केजीएमयू, दिनांक 3 अप्रैल, 2025, हालांकि सील किया हुआ था, इसमें भी संलग्न शिकायत नहीं थी, जिसका संदर्भ 8 मार्च, 2025 के रूप में दिया गया था। शिकायत तिथियों में विरोधाभासी तिथियाँ (18 मार्च और 8 मार्च) शिकायतों की वैधता पर गंभीर संदेह पैदा करती हैं और निर्माण का संकेत देती हैं। समय से पहले समाचार रिपोर्ट। 29 मार्च, 2025 को अमर उजाला और हिंदुस्तान में प्रकाशित समाचार रिपोर्टों में आईसीएसएचडब्लू समिति के गठन का विवरण दिया गया, इससे पहले कि मुझे आधिकारिक पत्र मिला, जो संभावित रिसाव का संकेत देता है। सूचना रिसाव का निराधार आरोप। दूसरे पत्र में मुझ पर आईसीएसएचडब्लू जानकारी लीक करने का झूठा आरोप लगाया गया है, जबकि समाचार रिपोर्ट मेरे द्वारा प्रारंभिक पत्र प्राप्त करने से पहले की हैं।
आईसीएसएचडब्लू अध्यक्ष का बिना सबूत के सूचना रिसाव का आरोप, डॉ. प्रीति अग्रवाल के प्रति संभावित पक्षपात और निष्पक्षता की कमी को दर्शाता है। बैठक की अधिसूचना मुझे 29 मार्च, 2025 को दोपहर 12:29 बजे प्रोक्टर डॉ. क्षितिज श्रीवास्तव के एक टेलीफोन कॉल के माध्यम से आईसीएसएचडब्लू बैठक की प्रारंभिक सूचना मिली। शिकायत की प्रति प्रदान करने में विफलता मैंने आईसीएसएचडब्लू अध्यक्ष से 18 मार्च की डॉ. प्रीति अग्रवाल के द्वारा माननीय कुलपति को प्रेषित शिकायत पत्र की प्रति के लिए लिखा और अनुरोध किया, लेकिन मुझे आज तक डॉ. प्रीति अग्रवाल के शिकायत पत्र की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। आईसीएसएचडब्लू समिति के संचालन में पारदर्शिता की कमी, प्रक्रियात्मक अनियमितताओं और निराधार आरोपों द्वारा चिह्नित किया गया है, जो मेरे खिलाफ एक नियोजित और दुर्भावनापूर्ण षड्यंत्र का संकेत देता है। यह घटना केजीएमयू संकाय के भीतर पेशेवर अखंडता में एक गहरी चिंताजनक गिरावट को दर्शाती है। KGMU कमीशन के खेल में एचओडी फेल