बाज पक्षी है कांग्रेस हाईकमान-सचिन पायलट

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बाज पक्षी है कांग्रेस हाईकमान-सचिन पायलट
बाज पक्षी है कांग्रेस हाईकमान-सचिन पायलट

राजस्थान में पहली बार अशोक गहलोत को सचिन पायलट ने चुनौती दी। दो मंत्रियों सहित 14 विधायकों का मुख्यमंत्री गहलोत के विरुद्ध एकजुट होना बहुत मायने रखता है। सचिन पायलट ने अब कांग्रेस हाईकमान की तुलना बाज पक्षी से की। बाज पक्षी है कांग्रेस हाईकमान-सचिन पायलट

एस.पी.मित्तल

राजस्थान। अशोक गहलोत पिछले 45 वर्षों से राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति कर रहे हैं। मौजूदा समय में भी गहलोत मुख्यमंत्री हैं। गहलोत ने करीब 15 वर्ष मुख्यमंत्री के पद पर काम किया है। कई बार केंद्र में मंत्री रहे हैं तथा संगठन में भी विभिन्न पदों पर रह कर सक्रिय भूमि रही है। राजस्थान की राजनीति में शिवचरण माथुर, परसराम मदेरणा, सीपी जोशी आदि को गहलोत के प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा गया, लेकिन इन नेताओं ने कभी भी गहलोत को सीधे चुनौती नहीं दी, लेकिन यह पहला अवसर है,जब सचिन पायलट, गहलोत को सीधे चुनौती दे रहे हैं। 15 मई को अपनी पांच दिवसीय जनसंघर्ष पद यात्रा के समापन पर जयपुर में आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए पायलट ने स्पष्ट कर दिया कि अब गहलोत के नेतृत्व में काम नहीं करेंगे। यदि कांग्रेस हाईकमान गहलोत को नहीं हटाया तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत नहीं होगी। पायलट ने तीन मांगे भी रखीं। एक युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग किया जाए। दो पेपर लीक से प्रभावित युवाओं को मुआवजा दिया जाए। तीन पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच करवाई जाए।

सचिन पायलट ने कहा कि यदि तीस मई तक इन मांगों को नहीं माना गया तो फिर प्रदेशभर में जन आंदोलन होगा। पायलट के भाषण में अशोक गहलोत ही निशाने पर रहे। शिवचरण माथुर से लेकर सीपी जोशी तक गहलोत के विरोध में तो रहे, लेकिन पदों की लालसा में कांग्रेस से चिपके रहे। लेकिन अब सचिन पायलट ने कांग्रेस से बाहर निकलने का भी मन बना लिया है। इसलिए 15 मई को अपने भाषण में पायलट ने कांग्रेस हाईकमान की तुलना उड़ने वाले पक्षी बाज से कर दी। सचिन पायलट ने कहा कि दिसंबर 2018 में एक बाज आया और गहलोत के गले में मुख्यमंत्री पद की माला डाल गया। जब बाज ने माला पहना दी तो मैं क्या कर सकता था? लेकिन सोचने की बात यह है कि जो माला पहनते हैं, उनके शासन में हर बार कांग्रेस की हार हो जाती है। लेकिन अब मैं बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार हूँ।

मैं राजस्थान की जनता का साथ नहीं छोडूंगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इन दिनों जिलों का दौरा कर अपनी सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन पायलट ने भी स्पष्ट कर दिया है कि गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस को रिपीट नहीं होने दिया जाएगा। पिछले चार सालों से गहलोत ने पायलट के लिए जो अपशब्द कहे उनका बदला भी अब चुन चुन कर पायलट लेंगे। 15 मई की सभा में कांग्रेस के 14 विधायक मौजूद थे, इनमें से दो तो गहलोत के मंत्री हैं। इतने विधायकों की उपस्थिति से गहलोत को अपनी सरकार की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। गहलोत का प्रयास होगा कि पायलट को जल्द से जल्द कांग्रेस से निष्कासित करवाया जाए। लेकिन इससे गहलोत सरकार रिपीट का दावा धरा रह जाएगा। सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा तो पहले कह चुके हैं कि गहलोत की वजह से कांग्रेस को 11 सीटें भी नहीं मिलेंगी।

15 मई की सभा में भी गुढा ने कहा कि अशोक गहलोत को यह बताना चाहिए कि 2020 में कितने करोड़ रुपए में भाजपा विधायकों को खरीदा गया? गहलोत द्वारा भाजपा विधायकों को खरीदने के उनके पास सबूत हैं। गहलोत स्वयं को गांधीवादी मानते हैं, लेकिन एक गांधीवादी मुख्यमंत्री पर इससे बड़ा आरोप नहीं हो सकता। अशोक गहलोत माने या नहीं लेकिन 2018 की जीत में पायलट की बड़ी भूमिका थी, अब यदि पायलट कांग्रेस से अलग होते हैं तो चुनाव में कांग्रेस को भारी नुकसान होगा। पायलट ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। दिसंबर में विधानसभा चुनाव के बाद गहलोत के राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने के रास्ते भी बंद हो गए हैं। क्योंकि गत वर्ष 25 सितंबर को विधायकों की समानांतर बैठक करवा कर गहलोत ने खुली बगावत की थी। तब सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। बाज पक्षी है कांग्रेस हाईकमान-सचिन पायलट