सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट से भारत निर्माण को मिलेगी गति

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सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट से भारत निर्माण को मिलेगी गति
सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट से भारत निर्माण को मिलेगी गति

आम बजट 2025: सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट से भारत निर्माण को मिलेगी गति। आम बजट विकसित भारत यानी हर क्षेत्र में श्रेष्ठ भारत के निर्माण की दिशा में मोदी सरकार की दूरदर्शिता का ब्लूप्रिंट है, जिसमें किसानों, गरीबों के साथ-साथ मध्यम वर्ग पर भी ध्यान दिया गया है। सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट से भारत निर्माण को मिलेगी गति

कमलेश पांडेय

आम बजट 2025 एक सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट है। यह कई मायने में सर्वव्यापी और सर्वस्पर्शी भी है। खासकर ताजा बजट प्रस्तावों के माध्यम से मध्यम वर्ग को जो भारी कर राहत प्रदान किया गया है और आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर 12 लाख रुपया तक कर दिया गया है, उससे अर्थव्यवस्था को विभिन्न कोणों से मजबूती मिलने के आसार प्रबल हैं। कुल मिलाकर यह आम आदमी का बजट है, जो गरीबों, युवाओं, अन्नदाता किसानों और नारी शक्ति को आर्थिक मजबूती प्रदान करता है। 

सच कहा जाए तो यह आम बजट विकसित भारत यानी हर क्षेत्र में श्रेष्ठ भारत के निर्माण की दिशा में मोदी सरकार की दूरदर्शिता का ब्लूप्रिंट है, जिसमें किसानों, गरीबों के साथ-साथ मध्यम वर्ग पर भी ध्यान दिया गया है। वहीं, महिला और बच्चों की शिक्षा, उनके पोषण व स्वास्थ्य पर भी फोकस किया गया है। इस बजट में स्टार्टअप, इनोवेशन और इन्वेस्टमेंट तक, यानी कि अर्थव्यवस्था की समुन्नति के हर क्षेत्र को समाहित किया गया है। इस प्रकार यह बजट मोदी सरकार के आत्मनिर्भर भारत का व्यापक रोडमैप है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुताबिक, यह बजट भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का बजट है। यह हर भारतीय के सपनों को पूरा करने वाला बजट है। इसके माध्यम से उन्होंने युवाओं के लिए कई क्षेत्र खोले हैं। जिससे आम नागरिक विकसित भारत के मिशन को आगे बढ़ाने जा रहा है। यह बजट एक फोर्स मल्टीप्लायर है, जो बचत, निवेश, खपत और विकास को तेजी से बढ़ाएगा।

आमतौर पर बजट का फोकस इस बात पर होता है कि सरकारी खजाना कैसे भरा जाएगा, लेकिन यह बजट उसके ठीक उलट है। यह बजट देश के नागरिकों की जेब कैसे भरेगी, देश के नागरिकों की बचत कैसे बढ़ेगी और देश के नागरिक विकास में कैसे भागीदार बनेंगे…इस बात की चिंता करता है। इस बजट में सुधार हेतु कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं। विशेष कर यह बजट देश के विकास में सिविल न्यूक्लियर एनर्जी का बड़ा योगदान सुनिश्चित करेगा।

यूँ तो बजट में हर तरह से रोजगार के सभी क्षेत्रों को प्राथमिकता दी गई है, फिर भी मैं उन सुधारों की चर्चा करना उचित समझता हूं जो आने वाले समय में बड़ा बदलाव लाने वाले हैं। खासकर इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा देने से भारत में बड़े जहाजों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। हम सभी जानते हैं कि शिप बिल्डिंग निर्माण सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। वहीं, देश में पर्यटन विकास की बहुत संभावनाएं हैं। इसलिए पहली बार होटलों को इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में लाकर 50 महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर होटल बनाए जाएंगे। इससे आतिथ्य क्षेत्र को ऊर्जा मिलेगी, जो रोजगार का बहुत बड़ा क्षेत्र है।

वहीं, इस बजट में एक करोड़ पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए ‘ज्ञान भारत मिशन’ शुरू किया गया है। इसके तहत भारतीय ज्ञान परंपरा से प्रेरित एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपोजिटरी बनाई जाएगी, यानी तकनीक का भरपूर उपयोग किया जाएगा। वहीं, इस बजट में किसानों के लिए की गई घोषणा कृषि क्षेत्र और पूरी ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक नई क्रांति का आधार बनेगी। किसान क्रेडिट कार्ड’ की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जाएगी जिससे उन्हें और मदद मिलेगी।

बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1 फरवरी, 2025, दिन शनिवार को संसद में बजट पेश किया, जो उनका लगातार 8वां बजट था। यह बजट आर्थिक सर्वेक्षण के अनुरूप रहा क्योंकि उन्होंने मिडिल क्लास को राहत देते हुए न्यू टैक्स रिजीम के तहत 12 लाख रुपये सालाना तक की इनकम को आयकर के दायरे से बाहर रखने का ऐलान किया। इससे नौकरीपेशा वर्ग के करोड़ों लोगों को फायदा होगा।  सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट से भारत निर्माण को मिलेगी गति

वहीं, उन्होंने किसान और महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा कि देश तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हम दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं। स्वास्थ्य और रोजगार पर हमारा खास ध्यान है। युवाओं को रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता है। इस बजट में प्रस्तावित विकास उपाय 10 व्यापक क्षेत्रों में हैं, जिनमें गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

केंद्रीय वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ रही है। पिछले 10 सालों के हमारे विकास ट्रैक रिकॉर्ड और संरचनात्मक सुधारों ने दुनियाभर का ध्यान आकर्षित किया है। इस दौरान भारत की क्षमता को लेकर विश्वास बढ़ा है। इसी कड़ी में अब बिहार में मखाना बोर्ड का गठन किया जाएगा। मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन को बेहतर बनाने के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना की जाएगी। इस कार्य में लगे लोगों को एफपीओ के रूप में संगठित किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा, स्टार्टअप के लिए लोन गारंटी शुल्क कम करेंगे। एमएसएमई के लिए लोन 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ कर दिया गया है। किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 लाख से 5 लाख की गई है। डेयरी और फिशरी के लिए अब पांच लाख तक का लोन दिया जाएगा। इससे इस वर्ष का बजट मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाने, एमएसएमई को समर्थन देने, रोजगार आधारित विकास को सक्षम करने, लोगों की अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश करने, ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित करने पर केंद्रित है। यह बजट सरकार की राजस्व और व्यय रणनीति के लिए एक सामान्य रोड मैप प्रदान करता है। बजट 2025 युवाओं, महिलाओं और किसानों पर केंद्रित है। 

वित्त मंत्री ने उल्लेख किया कि यह बजट सरकारी प्रयासों को जारी रखता है- विकास में तेजी लाने के लिए, सुरक्षित समावेशी विकास के लिए, निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए, घरेलू भावनाओं को ऊपर उठाने के लिए,  भारत के बढ़ते मध्यम वर्ग की खर्च करने की शक्ति को बढ़ाने के लिए। आम बजट में जिन विषयों पर फोकस किया गया, उनमें  मेक इन इंडिया को आगे बढ़ाना, एमएसएमई को समर्थन रोजगार आधारित विकास को सक्षम बनाना प्रमुख हैं। 

वहीं, लोगों की अर्थव्यवस्था और नवाचार में निवेश करना, ऊर्जा आपूर्ति सुरक्षित करना और निर्यात का समर्थन करना भी शामिल हैं। इस बजट में नवप्रवर्तन का पोषण व पीएम धन्य-धान योजना की घोषणा की गई है। वहीं, स्टार्टअप की सीमा 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ की गई। इस बजट में 5 नए परमाणु रियक्टर बनाने की घोषणा क्रांतिकारी कदम है। वहीं, मुद्रा योजना में होम स्टे के लिए योजना, सभी वित्तीय और गैर-वित्तीय परिसंपत्तियों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर को 10% से बढ़ाकर 12.5% कर दिये जाने का सबको लाभ मिलेगा। 

वहीं, कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों पर पूंजीगत लाभ पर छूट की सीमा बढ़ाकर ₹1.25 लाख प्रति वर्ष कर दी गई जबकि कुछ वित्तीय परिसंपत्तियों पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर को 15% से बढ़ाकर 20% कर दिया गया। वहीं,

वायदा और विकल्प पर प्रतिभूति लेनदेन कर बढ़ा दिया गया। इसके अलावा, पांच वर्षों में एक करोड़ युवाओं को 500 शीर्ष कंपनियों में इंटर्नशिप के अवसर प्रदान करने के लिए एक योजना की घोषणा की गई जिसकी हर कोई सराहना कर रहा है। 

इस बजट में प्रत्येक प्रशिक्षु को 12 महीनों के लिए वास्तविक जीवन के कारोबारी माहौल से परिचित कराया जाएगा और उन्हें ₹5,000 का भत्ता और ₹6,000 की एकमुश्त सहायता मिलेगी। वहीं, श्रमिकों, महिलाओं और निम्न आय वर्ग के लिए किफायती आवास यानी सरकार ने लोगों के सिर पर छत सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। वहीं, औद्योगिक श्रमिकों के लिए, व्यवहार्यता अंतर निधि और प्रमुख उद्योगों की प्रतिबद्धता के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से छात्रावास-प्रकार के आवास के साथ किराये के आवास की सुविधा दी जाएगी।

कार्यबल में अधिक महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, उद्योग के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के छात्रावास स्थापित किए जाएंगे। सरकार क्षेत्रीय और मंत्रिस्तरीय लक्ष्यों के साथ निर्यात सहायता मिशन शुरू करेगी। मिशन को वाणिज्य, एमएसएमई और वित्त मंत्रालय संयुक्त रूप से संचालित करेंगे। निर्यात सहायता मिशन विदेशी बाजारों में गैर-टैरिफ उपायों से निपटने के लिए निर्यात ऋण, सीमा पार फैक्टरिंग समर्थन और एमएसएमई को समर्थन तक आसान पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा।

कुल मिलाकर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेता जहां इस बजट की तारीफ कर रहे हैं और इसे लोक कल्याणकारी बता रहे हैं, वहीं विपक्ष के नेता इसकी आलोचना कर रहे हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बजट पर तंज कसते हुए कहा कि, वित्त मंत्री ने 4 इंजनों की बात की। वे हैं- कृषि, एमएसएमई, निवेश और निर्यात। ये इतने सारे इंजन हैं कि बजट पूरी तरह से पटरी से उतर गया है। उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा लगता है कि बजट में बिहार को घोषणाओं का खजाना मिल गया है। यह स्वाभाविक है क्योंकि साल के अंत में वहां चुनाव होने हैं। लेकिन एनडीए के दूसरे स्तंभ यानी आंध्र प्रदेश की इतनी बेरहमी से अनदेखी क्यों की गई?’ 

वहीं, कांग्रेस सांसद और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने कहा, ‘हमें यह देखने की जरूरत है कि जो वादे पहले के बजट में किये गये थे क्या वे पूरे हुए? स्पष्ट तस्वीर पाने के लिए बजट को पढ़ने की जरूरत है। बिहार को लेकर हुई घोषणाएं स्वाभाविक थीं। यह राजनीति है।’

जबकि कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘मैं यह नहीं समझ पा रहा हूं कि यह भारत सरकार का बजट था या बिहार सरकार का? क्या आपने केंद्रीय वित्त मंत्री के पूरे बजटीय भाषण में बिहार के अलावा किसी अन्य राज्य का नाम सुना?’ उधर, शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा, ‘राज्यों के नाम देखिए- बिहार, जहां चुनाव होने वाले हैं। केवल बिहार, बिहार, बिहार। पंजाब का कोई जिक्र नहीं था। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसान पिछले 4 साल से विरोध में बैठे हैं। उन्होंने किसानों के लिए क्या घोषणा की, यह किसान विरोधी बजट था, जो किसान अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, उनकी बात नहीं सुनी गई, यह दुखद है।’

राजद नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यह बजट पिछले बजट का नकल है। गांव और गरीब विरोधी बजट है। बिहार को ना कुछ मिला है और ना केंद्र की मोदी सरकार बिहार को कुछ देना चाहती है। बजट के बहाने तेजस्वी ने एक बार फिर विशेष पैकेज का मुद्दा उठाया। उन्होंने सवाल किया कि बिहार के स्पेशल पैकेज का पैसा कहां गया? तेजस्वी ने कहा, ‘चंद्रबाबू नायडू 2 लाख करोड़ का पैकेज लेकर चले गए और बिहार को नीतीश कुमार कुछ नहीं दिला पाए। नीतीश अचेत अवस्था में हैं।

वहीं, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने केंद्रीय बजट पर कहा कि, ‘देश में महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी की जबरदस्त मार है। इसके साथ ही सड़क, पानी, शिक्षा, सुख-शान्ति आदि की जरूरी बुनियादी सुविधाओं के अभाव हैं। इसके कारण लगभग 140 करोड़ की भारी जनसंख्या वाले भारत में लोगों का जीवन काफी त्रस्त है, जिसका केन्द्रीय बजट के माध्यम से भी निवारण होना जरूरी है। किन्तु वर्तमान भाजपा सरकार का भी बजट, कांग्रेस की ही तरह, राजनीतिक स्वार्थ का अधिक व जन एवं देशहित का कम लगता है। अगर ऐसा नहीं है तो इस सरकार में भी लोगों का जीवन लगातार तंग, बदहाल व दुखी क्यों है? विकसित भारत का सपना बहुजनों के हित का भी होना जरूरी है।’

वहीं, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा, ‘बजट नहीं…पर महाकुंभ में मरने वालों के आंकड़े ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। हम इनका कोई आंकड़ा क्यों मानें, जो लोग मरने वालों के ही आंकड़े नहीं दे सकते।’ वहीं, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, ‘देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा चंद अमीर अरबपतियों के कर्जे माफ करने में चला जाता है। मैंने मांग की थी कि बजट में ये ऐलान किया जाए कि आगे से किसी अरबपति के कर्ज माफ नहीं किए जाएंगे। इससे बचने वाले पैसे से मिडल क्लास के होम लोन और व्हीकल लोन में छूट दी जाए; किसानों के कर्जे माफ किए जाएं। इनकम टैक्स और जीएसटी की टैक्स दरें आधी की जाएं। मुझे दुख है कि ये नहीं किया गया।’ सर्वसमावेशी और दूरदर्शी बजट से भारत निर्माण को मिलेगी गति