अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!

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अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!
अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!


एआई के क्षेत्र में अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!भारत के एआई मिशन को कैबिनेट की मंजूरी पिछले साल यानी कि वर्ष 2024 में मार्च में ही मिल चुकी थी और अब इसे 10,370 करोड़ रुपए के बजट के साथ लॉन्च किया गया है। अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!


सुनील कुमार महला

आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का जमाना है। हाल ही में अमेरिका के ‘ओपन एआई’ और चीन के ‘डीपसीक’ की प्रतिस्पर्धा के बीच भारत सरकार ने एक बड़ा ऐलान किया है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि भारत आने वाले दस महीनों में ही देश का पहला स्वदेशी ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल’ तैयार करने जा रहा है। इतना ही नहीं, केंद्रीय मंत्री ने एक एआई सुरक्षा संस्थान स्थापित किए जाने की भी घोषणा की है। गौरतलब है कि इस संबंध में हाल ही में हमारे देश के सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा करते हुए यह बात कही है कि ‘भारत अपने खुद के लार्ज लैंग्वेज मॉडल यानी कि एलएलएम पर काम कर रहा है और इसके लिए देश में 18,000 हाई-एंड जीपीयूज(ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स) की जबरदस्त कंप्यूटिंग फैसिलिटी तैयार की गई है। कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत अब एआई के क्षेत्र में अमरीका और चीन के दबदबे को जबरदस्त चुनौती देने जा रहा है। भारत की स्वदेशी एआई मॉडल की चुनौती निश्चित रूप से दोनों देशों को जबरदस्त टक्कर देगी। वास्तव में यह टक्कर चैटजीपीटी और डीपसीक आर-1 से होगी।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में 30 जनवरी 2025 को ही भारत के केंद्रीय सूचना और प्रौधोगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी दी है कि 10,370 करोड़ रुपए के इंडिया एआइ मिशन के हिस्से के रूप में खुद का बड़ा घरेलू भाषा मॉडल (लॉर्ज लेमोज मॉडल यानी एलएलएम) तैयार किया जाएगा और इसे दस महीने में भारत में लॉन्च कर दिया जाएगा। यहां यह गौरतलब है कि डीपसीक को 2,000 जीपीयूज पर, जबकि चैटजीपीटी को 25,000 जीपीयूज पर ट्रेन किया गया है। अब भारत 15,000 हाई-एंड जीपीयूज के साथ अपने एआई मिशन(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को लॉन्च करने जा रहा है। वास्तव में जो एआई मिशन भारत द्वारा लांच किया जा रहा है वह भारतीय परिदृश्य और भारतीय संस्कृति को समझेगा। इसका तात्पर्य यह है कि भारत में विकसित किया जाने वाला माडल स्थानीय भाषाओं, भारतीय यूजर्स की जरूरतों और संस्कृति के हिसाब से तैयार किया जाएगा। यानी आने वाले समय में हिंदी, तमिल, तेलुगु, मराठी, बंगाली जैसी भाषाओं में चैटजीपीटी जैसे एआई टूल्स मिल सकते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो भारत का एआई चैटबॉट एक अलग और पॉवरफुल मॉडल होगा जिसमें भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक विविधताओं को ध्यान में रखा जाएगा। दूसरे शब्दों में कहें तो एआई मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए भारत-केंद्रित डेटासेट का इस्तेमाल किया जाएगा, जो देश की स्थानीय जरूरतों और समस्याओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा। हाल फिलहाल, सरकार ने एआई स्टार्टअप्स से प्रस्ताव मांगे थे, जिनमें से 6 डेवलपर्स ने मॉडल पर काम शुरू कर दिया है।यह दर्शाता है कि भारत दुनिया का एक ऐसा देश है जो आर्थिक सोच को समावेशी बनाते हुए एआई की दिशा में काम कर रहा है।

अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!
अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!

वास्तव में आज की इस दुनिया में नवाचार ही असली भविष्य है और भारत नित नवीन नवाचारों की दिशा में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक कदम उठा रहा है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि भारत ने एआई मिशन का पहला सबसे बड़ा स्तंभ बनाया है, जो ‘कॉमन कंप्यूट फैसिलिटी’ है। गौरतलब है कि 10000 जीपीयूज के लक्ष्य के मुकाबले, भारत ने 18693 जीपीयूज को पैनल में शामिल किया है। सच तो यह है कि ये जीपीयूज भारत की कम्प्यूटिंग पावर को और अधिक मजबूत करेगा और गति देगा।कहना ग़लत नहीं होगा कि कॉमन कंप्यूट फैसिलिटी के आधार पर, जो स्टार्टअप मूलभूत मॉडल विकसित करना चाहते हैं, उन्हें भारत के अपने मूलभूत मॉडल और उन मॉडलों को विकसित करने का अवसर मिलेगा जो विशेष क्षेत्रों और समस्याओं पर केंद्रित हैं।

बड़ी बात यह है कि सरकार अगले कुछ दिनों में एक ‘कॉमन कंप्यूट’ सुविधा की शुरुआत करने जा रही है, जिसके तहत स्टार्टअप्स और शोधकर्ता आवश्यक कंप्यूटिंग शक्ति का उपयोग कर सकेंगे। इस प्लेटफॉर्म पर उच्च स्तरीय जीपीयू की कीमत 150 रुपये प्रति घंटा होगी जबकि निम्न स्तरीय GPU की दर 115.85 रुपये प्रति घंटा होगी। बताया जा रहा है कि इस सेवा का लाभ उठाने के लिए अंतिम उपयोगकर्ताओं को 40 प्रतिशत सब्सिडी मिलेगी जिससे यह वैश्विक बाजार से काफी सस्ती होगी। हाल फिलहाल,सरकार ने इसके लिए 10 कंपनियों का चयन किया है। इन कंपनियों में हीरानंदानी समर्थित योटा, जियो प्लेटफॉर्म्स, टाटा कम्युनिकेशंस, और ई2ई नेटवर्क जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। गौरतलब है कि योटा ने 9,216 जीपीयू यूनिट्स की आपूर्ति करने का वचन दिया है‌। कुल मिलाकर 18,693 जीपीयू की आपूर्ति की जाएगी, जो इस बड़े मॉडल के विकास में सहायक होंगे।

यह काबिले-तारीफ है कि आज भारत स्टार्टअप्स, शोधकर्ताओं, और प्रोफेसरों के साथ मिलकर इस परियोजना पर काम कर रहा है।जीपीयूज के माध्यम से ही एआई को ट्रेन किया जाता है। वास्तव में ये खासतौर पर एआई और मशीन लर्निंग मॉडल्स को तेजी से प्रोसेस करने के लिए डिजाइन किए गए होते हैं। गौरतलब है कि आज नवीदिया जैसी कंपनियां इसी तकनीक से पूरे मार्केट में बूम पर है। उल्लेखनीय है कि जीपीयूज का इस्तेमाल लार्ज लैंग्वेज माडल्स (एल एल एमज) की ट्रेनिंग में किया जाता है, क्योंकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) मॉडल को अरबों डेटा पॉइंट्स प्रोसेस करने पड़ते हैं। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि अब भारत एआई नवाचार और शोध के क्षेत्र में निरंतर आगे की राह पकड़ रहा है और एआई के क्षेत्र में नवाचार और शोध को गति दी जा रही है ताकि भारत के एआई डेवलपर्स और रिसर्चर यूरोप और अमेरिका जैसे बड़े और विकसित देशों की ओर रूख न करके भारत में ही स्वदेशी एआई तकनीक को और अधिक गति दें। यह अच्छी बात है कि भारत सरकार का ‘इंडिया एआई मिशन’ अब सिर्फ और सिर्फ टेक्नोलॉजी तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हेल्थकेयर, एजुकेशन, एग्रीकल्चर और वेदर फोरकास्टिंग(मौसम भविष्यवाणी)जैसे सेक्टर्स में भी एआई को लागू किया जाएगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इंडिया एआई मिशन के तहत सरकार ने 18 एप्लीकेशन-लेवल एआई सॉल्यूशंस को भी चुना है, जो कृषि, जलवायु परिवर्तन और शैक्षिक अक्षमताओं जैसे क्षेत्रों पर केंद्रित होंगे। इन परियोजनाओं का उद्देश्य एआई के जरिए समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार लाना है।

गौरतलब है कि भारत के एआई मिशन को कैबिनेट की मंजूरी पिछले साल यानी कि वर्ष 2024 में मार्च में ही मिल चुकी थी और अब इसे 10,370 करोड़ रुपए के बजट के साथ लॉन्च किया गया है। भारत द्वारा यह कदम चीन के एक नए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) लैब द्वारा एक कम लागत वाले फाउंडेशनल मॉडल के लॉन्च के बाद उठाया गया है ताकि भारत भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके और अपनी तकनीकी शक्ति को बढ़ा सके। कहना ग़लत नहीं होगा कि अब इंडिया एआई मिशन के तहत भारत के शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और व्यावसायिक क्षेत्र को अत्याधुनिक एआई संसाधन उपलब्ध होंगे और वैश्विक पटल पर भारत चीन और अमेरिका जैसे देशों को शानदार चुनौती देगा।वास्तव में,भारत की इस परियोजना में 1,480 नवीदिया एच-200 जीपीयू, 12,896 नवीदिया एच100 जीपीयू और 742 एमआई325 और एम आई 325 एक्स जीपीयू जैसे दुनिया के सबसे शक्तिशाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)चिप्स शामिल हैं। अमेरिका और चीन को टक्कर देगा भारत..!