
भारत के महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है अयोध्या। राम अयोध्या के राजकुमार थे, लेकिन अराध्य वो पूरे देश के हैं। रामजी की प्रेरणा, तपस्या, उनका दिखाया मार्ग हर देशवासी के लिए है। भगवान राम के आदर्शों पर चलना, हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है। इस आदर्श पथ पर चलते हुए अयोध्यावासियों पर दोहरा दायित्व है। वो दिन दूर नहीं, जब विश्व भर से यहां आने वालों की संख्या अनेक गुना बढ़ जाएगी। जहां कण-कण में राम व्याप्त हो, वहां का जन-जन कैसा हो, वहां के लोगों का मन कैसा हो, ये भी उतना ही अहम है। जैसे श्रीराम ने सबको अपनापन दिया, वैसे ही अयोध्यावासियों को यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्वागत अपनत्व से करना है। अयोध्या की पहचान कर्तव्यनगरी के तौर पर भी बननी चाहिए।
अयोध्या सबसे स्वच्छ नगरी हो, यहां के रास्ते चौड़े हों, सुंदरता अप्रतिम हो, इसके लिए योगी सरकार अनेक प्रयास कर रही है। अगर अयोध्यावासियों का साथ मिलेगा तो अयोध्या की दिव्यता और भी निखर जाएगी। ये सारी बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में रविवार को दीपोत्सव कार्यक्रम की शुरुआत से पहले कहीं। इससे पहले उन्होंने भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी किया और राम दरबार में रामलला के दर्शन व पूजन के अलावा राममंदिर निर्माण कार्य का भी निरीक्षण किया।

प्रधानमंत्री ने कहा रज-रज में कण-कण में हैं श्रीराम अपने उद्बोधन की शुरुआत जय सियाराम के साथ की और समापन भी सियावर रामचंद्र की जय से किया। उन्होंने कहा, राम के दर्शन और राजा राम का राज्याभिषेक भगवान राम की कृपा से ही मिलता है। जब राम का अभिषेक होता है तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श और मूल्य और भी दृढ़ हो जाते हैं। राम के अभिषेक के साथ ही उनका दिखाया पथ और प्रदीप्त हो उठता है। अयोध्या के तो रज-रज में कण-कण में उनका दर्शन समाहित है। आज अयोध्या की रामलीलाओं के माध्यम से, सरयू आरती के माध्यम से, दीपोत्सव के माध्यम से और रामायण पर शोध और अनुसंधान के माध्यम से ये दर्शन पूरे संसार में प्रसारित हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा,राम के संकल्प देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे ।इस बार दीपावली ऐसे समय पर आई है जब हमने कुछ समय पहले ही आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। आजादी के इस अमृतकाल में भगवान राम जैसे संकल्प शक्ति देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में, अपने शासन में, अपने प्रशासन में जिन मूल्यों को गढ़ा वो सबका साथ और सबका विकास की प्रेरणा है। सबका विश्वास और सबका प्रयास का आधार भी है। अगले 25 वर्षों में विकसित भारत की आकांक्षा लिए आगे बढ़ रहे हिंदुस्तानियों के लिए श्रीराम के आदर्श उस प्रकाश स्तंभ की तरह हैं जो हमें कठिन से कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का हौसला देंगे।