निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल-सी.पी.राय

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निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल-सी.पी.राय
निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल-सी.पी.राय

लखनऊ।   उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन और पूर्व मंत्री डॉ. सी.पी. राय ने निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि “भारत का निर्वाचन आयोग, जो टी.एन. शेषन के कार्यकाल में लोकतंत्र की निष्पक्षता और पारदर्शिता का प्रतीक था, आज मोदी सरकार की शह पर जनता के विश्वास को तोड़ने का माध्यम बन गया है।”डॉ. राय ने आयोग द्वारा हाल ही में लिए गए उस फैसले की तीव्र आलोचना की जिसमें चुनाव से संबंधित वीडियो, फुटेज और रिकॉर्डिंग को अब केवल 45 दिनों में डिलीट करने का निर्देश दिया गया है, जबकि पहले यह अवधि एक वर्ष थी। उन्होंने इस निर्णय को लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर सीधा हमला बताया और इसे एक सुनियोजित साजिश करार दिया। निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल-सी.पी. राय

जननायक राहुल गांधी ने बार-बार हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में पारदर्शिता की कमी और संदिग्ध अनियमितताओं पर सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र में तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि 2 घंटे में 65 लाख वोट डालने का दावा शारीरिक रूप से असंभव है। इसके बावजूद, निर्वाचन आयोग ने न केवल इन सवालों का संतोषजनक जवाब देना जरूरी नहीं समझा, बल्कि अब सबूतों को ही मिटाने की जल्दबाजी दिखा रहा है। यह नया नियम, जिसमें सीसीटीवी फुटेज और वेबकास्टिंग जैसी महत्वपूर्ण रिकॉर्डिंग को 45 दिन में नष्ट कर दिया जाएगा, सीधे-सीधे “मैच फिक्सिंग” की ओर इशारा करता है।

डॉ0 सी पी राय ने कहा है कि बिहार के आगामी चुनाव के संदर्भ में यह नया नियम और भी खतरनाक संकेत दे रहा है। जेडीयू और बीजेपी गठबंधन इस चुनाव को जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं, ऐसे में वोटरों की गोपनीयता के नाम पर रिकॉर्डिंग को जल्दी डिलीट करने का बहाना संदेह पैदा करता है। क्या यह सुनिश्चित करने की कोशिश है कि बिहार में भी हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह संदिग्ध गतिविधियों पर पर्दा डाला जा सके? क्या निर्वाचन आयोग और मोदी सरकार मिलकर बिहार के मतदाताओं के साथ धोखा करने की योजना बना रहे हैं? यह सवाल हर लोकतंत्र प्रेमी नागरिक के मन में उठ रहा है।

निर्वाचन आयोग का दावा है कि यह कदम वोटर की गोपनीयता की रक्षा और एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है, लेकिन यह तर्क खोखला है। जब सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने पहले पारदर्शिता के लिए वीडियो रिकॉर्डिंग और फॉर्म 17 सी जैसे दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग का समर्थन किया है, तो आयोग का यह कदम संवैधानिक दायित्वों की अवहेलना है। यह स्पष्ट है कि सरकार और आयोग मिलकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपारदर्शी बनाना चाहते हैं ताकि सत्ता पक्ष की मनमानी को कोई चुनौती न दे सके।

उत्तर प्रदेश सरकारी नौकरी खत्म करने और पिछड़े दलित आदिवासी समाज के गरीब बच्चों की शिक्षा छीनने की नीयत से लगभग 5000 सरकारी प्राइमरी स्कूलों को बंद क़र अन्य प्राइमरी स्कूल में विलय का तानाशाही फरमान के खिलाफ सरकारी स्कूल बचाओ पदयात्रा और सरकारी स्कूल बचाओ चौपाल ष् का आयोजन किया जा रहा है। देश का कर्ज बढ़कर 4 गुना हो गया है,हर जनपद में 4-5 करोड़ के फाइव स्टार बीजेपी कार्यालय खुल गए हैं, आरएसएस के शाखाओं की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है! अडाणी को तो कर्ज लेकर दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनने की छूट है! तो फिर सरकारी स्कूल की अच्छी बिल्डिंग,इंग्लिश मीडियम शिक्षा,परिवहन सुविधाओं के लिए पैसा क्यों नहीं है सरकार के पास..? देश का कर्ज किसके लिए लिया जा रहा है…?

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस फैसले की कड़े शब्दों में निंदा करती है और मांग करती है कि निर्वाचन आयोग तत्काल इस नियम को वापस ले। हम यह भी मांग करते हैं कि सभी चुनावी रिकॉर्डिंग्स को कम से कम एक साल तक सुरक्षित रखा जाए और मतदाता सूची को मशीन-पठनीय प्रारूप में सार्वजनिक किया जाए, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही, बिहार चुनाव में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र निगरानी तंत्र स्थापित किया जाए।

डॉ राय ने मोदी सरकार को चेतावनी दिया है कि लोकतंत्र कोई खिलौना नहीं है, जिसे आप अपनी सुविधा के अनुसार तोड़-मरोड़ सकें। जनता और कांग्रेस पार्टी इस साजिश को बेनकाब करने के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष करेगी। हम हर उस कदम का विरोध करेंगे जो लोकतंत्र को कमजोर करता हो। डॉ राय ने बिहार की जनता को आगाह किया कि सतर्क रहें, अपने वोट की ताकत को पहचानें और किसी भी धांधली को बर्दाश्त न करें। लोकतंत्र हमारा है, और इसे बचाने की जिम्मेदारी भी हमारी है। निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल-सी.पी. राय