ट्रम्प की जीत पर भारत में खुशी क्यों..?

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ट्रम्प की जीत पर भारत में खुशी क्यों..?
ट्रम्प की जीत पर भारत में खुशी क्यों..?

राजेश कुमार पासी

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर भारत का एक बड़ा वर्ग बहुत खुश दिखाई दे रहा है। इसके विरोध में कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं भारत के नहीं तो ये लोग क्यों खुशी मना रहे हैं। देखा जाए तो उनकी बात सही है क्योंकि अमेरिका का राष्ट्रपति कौन बनता है इससे हमें क्या फर्क पड़ता है। वास्तव में बात इतनी सीधी नहीं है, डोनाल्ड ट्रंप को भारत हितेषी माना जाता है इसलिए उनकी जीत पर खुशी मनाई जा रही है। यह बात भी सही है कि हर नेता के लिए उसका देश सबसे पहले होता है और वो अपने देश के हितों के लिए ही काम करता है। डोनाल्ड ट्रंप की नीति भी अमेरिका फर्स्ट की है जिसकी घोषणा वो कई बार कर चुके हैं । ट्रम्प एक व्यापारी हैं और आर्थिक मामलों में वो अपने देश के हितों से कोई समझौता नहीं करते हैं। अमेरिका-भारत व्यापार में भारत फायदे में है तो उनकी नजरें भारत पर टेड़ी हो सकती हैं। उनके पिछले कार्यकाल का अनुभव बताता है कि उनके कार्यकाल में अमेरिका अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट रहा था। अपने इस नए कार्यकाल में वो अपना पुराना रवैया दोहरा सकते हैं। ट्रम्प की जीत पर भारत में खुशी क्यों..?

अमेरिका विश्व का एकलौता सुपरपावर है, वहां पर सत्ता परिवर्तन  का असर पूरी दुनिया पर पड़ता है। दुनिया के हर देश पर इसका असर पड़ता है क्योंकि अमेरिका विश्व की सबसे बड़ी आर्थिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति है। भारत पर इसका बड़ा असर इसलिए पड़ेगा क्योंकि भारत तेजी से बढ़ती आर्थिक शक्ति है और अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है। भारत अमेरिका का महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार है लेकिन जो बाइडेन के राज में दोनों देशों के रिश्तों में थोड़ी खटास आ गयी है। प्रधानमंत्री मोदी के डोनाल्ड ट्रंप से अच्छे रिश्ते हैं इसलिये उम्मीद की जा सकती है कि उनके आने के बाद दोनों देशों के बीच आई तल्खी कुछ कम होगी। 

    डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर दुनिया को उनसे सबसे ज्यादा उम्मीद युद्ध के मोर्चे पर है। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने घोषणा की है कि वो सत्ता में आने के बाद रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध को तत्काल रुकवा सकते हैं और दुनिया में कोई नया युद्ध शुरू नहीं होने देंगे। देखा जाए तो ये इतना आसान नहीं लगता जितना वो कह रहे हैं लेकिन एक उम्मीद जरूर दिखाई दे रही है। वास्तव में रुस-यूक्रेन युद्ध में अमेरिका खुलकर यूक्रेन की मदद कर रहा है और उसने इस मुद्दे पर रूस से कोई बातचीत नहीं की है। देखा जाए तो दुनिया की दो सबसे बड़ी सैन्य शक्तियों के बीच संवादहीनता होना विश्वशांति के लिए बहुत खतरनाक है। डोनाल्ड ट्रंप के आने से यह उम्मीद पैदा हो गई है कि वो रूस से बात करके युद्ध को खत्म कर सकते हैं और दूसरी तरफ यूक्रेन को सैन्य मदद रोक कर उसे शांति समझौते के लिए मजबूर कर सकते हैं। ट्रम्प ईरान के खिलाफ बड़ी कार्यवाही करके इजराइल-हमास युद्ध को बंद करवा सकते हैं क्योंकि बिना ईरान की मदद के हमास युद्ध नहीं कर सकता।

भारत की तीव्र आर्थिक प्रगति के लिए जरूरी है कि दुनिया में शांति बनी रहे और इसलिए ट्रम्प का आना भारत के लिए एक खुशखबरी है। बाइडेन प्रशासन ने भारत को रूस से तेल खरीदने से रोकने की बड़ी कोशिश की लेकिन भारत ने अमेरिका की बात नहीं मानी और रूस से लगातार तेल खरीदता रहा। इसके कारण अमेरिका और यूरोपीय देश भारत से नाराज रहे। भारत के लिए जरूरी है कि रूस यूक्रेन युद्ध जल्दी से जल्दी खत्म हो जाए। ऐसे ही इजराइल और ईरान के बीच कभी भी सीधे संघर्ष का डर लगातार बना हुआ है। भारत के लिए मुसीबत यह है कि जहां इजराइल भारत का एक अच्छा मित्र है तो दूसरी तरफ ईरान से भी अच्छे रिश्ते हैं। उम्मीद की जा रही है कि डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद ईरान के प्रॉक्सी हमास, हिज़्बुल्लाह और हुतियो के खिलाफ बड़ी कार्यवाही कर सकते हैं जिससे कि ईरान-इजराइल के बीच सीधे युद्ध की संभावना खत्म हो जाये। ट्रम्प ईरान के खिलाफ भी बड़ी कार्यवाही कर सकते हैं जिससे कि युद्ध की संभावना ही खत्म हो जाये । इसके लिए ट्रम्प रूसी राष्ट्रपति पुतिन से भी बात कर सकते हैं क्योंकि ईरान को रूस का समर्थन मिल रहा है । यही कारण है कि भारत में एक बड़ा वर्ग डोनाल्ड ट्रंप की जीत से खुश दिखाई दे रहा है ।

      ट्रम्प रूस के खिलाफ इतने सख्त नहीं हैं जितना जो बाइडेन थे। जो बाइडेन रूस को अमेरिका का सबसे बड़ा शत्रु मानते हैं इसलिए वो रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध में फंसाकर कमजोर कर रहे थे। वैश्विक राजनीति में रूस भारत का सबसे विश्वसनीय दोस्त है और अमेरिका सबसे बड़ा रणनीतिक सहयोगी है। भारत दोनों देशों में से किसी से भी रिश्ते नहीं बिगाड़ सकता इसलिये दोनों के साथ एक संतुलन बनाकर चल रहा था। भारत के लिए दोनों देशों से रिश्तों में संतुलन बनाना दिनोंदिन मुश्किल होता जा रहा था। डोनाल्ड ट्रंप रूस की जगह चीन को अमेरिका का नंबर एक दुश्मन मानते हैं इसलिए उनके आने के बाद भारत पर रूस के साथ संबंधों पर दबाव कम होने वाला है। दूसरी तरफ अगर ट्रम्प चीन पर नए आर्थिक प्रतिबंध लगाते हैं तो अमरीकी कंपनियां चीन से अपना निवेश निकाल कर भारत में निवेश कर सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए यह एक अच्छी खबर है। शायद उनके आगमन को भांपकर ही चीन ने भारत से सीमा पर चल रहे तनाव को खत्म करने की पहल की है।

  राजनीतिक विश्लेषक यह बात समझ नहीं पा रहे हैं कि अचानक चीन ने सीमा पर अपनी सेनाएं पीछे क्यों हटा ली । ट्रम्प की जीत से लग रहा है कि उनके आने की संभावना इसके पीछे बड़ी वजह हो सकती है। चीन नहीं चाहता है कि अमेरिका भारत से उसके टकराव का फायदा उठाकर उसके खिलाफ भारत का इस्तेमाल कर सके । दूसरी बात यह भी है कि चीन को अमेरिका से नए आर्थिक प्रतिबंधों का डर है जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव बन सकता है। चीन चाहता है कि उसके भारत से संबंध बेहतर हो जाये ताकि उसकी अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान न हो। भारत भी चीन से टकराव नहीं चाहता और अपना ध्यान अपने आर्थिक विकास पर लगाना चाहता है। इस तरह देखा जाए तो ट्रम्प के आने से चीन से भारत के संबंधों में तनाव कम होने की उम्मीद पैदा हो गई है। 

      ट्रम्प ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान घोषणा की थी कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है और ये बंद होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से हिंदुओ की बात की जबकि ऐसी हिम्मत तो हमारे देश के विपक्ष का कोई नेता भी नहीं कर सका है। दूसरी तरफ यह भी सच है कि बांग्लादेश में तख्तापलट के पीछे अमेरिका का हाथ है और वर्तमान अमेरिकी सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओ पर हो रहे अत्याचार पर बिल्कुल चुप्पी साध रखी है। डोनाल्ड ट्रंप ने खुलकर हिंदुओं का समर्थन किया है और उनके सत्ता में आने के बाद बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्ता में वापसी की उम्मीद जताई जाने लगी है हालांकि ये इतना आसान होने वाला नहीं है। ट्रम्प के आने के बाद इतना जरूर होने वाला है कि बांग्लादेश की अस्थायी सरकार को अमेरिका का समर्थन बंद हो जाएगा । इससे भारत को बांग्लादेश पर दबाव बनाने का मौका मिल जाएगा और हिंदुओं के उत्पीड़न को रोकने के लिए भारत बांग्लादेश को मजबूर कर सकता है। इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप इस्लामिक आतंकवाद के कट्टर विरोधी हैं और भारत इस्लामिक आतंकवाद का सबसे बड़ा पीड़ित देश है। ट्रम्प के आने से भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में मदद मिल सकती है।

अमेरिका में एक इको सिस्टम है जो भारत के खिलाफ लगातार दुष्प्रचार में लगा रहता है और भारत के दुश्मनों की मदद करता रहता है, ट्रम्प के आने के बाद यह इको सिस्टम कमजोर होगा।  कनाडा से भारत के संबंध बहुत खराब हो गए हैं क्योंकि कनाडा खुलकर खालिस्तानी समर्थकों की मदद कर रहा है और इसमें उसे बाइडेन सरकार का साथ मिल रहा था। ट्रम्प के आने के बाद कनाडा पर लगाम लगने की उम्मीद लगाई जा रही है । इस तरह देखा जाए तो डोनाल्ड ट्रंप के आने से भारत में खुशी बेवजह नहीं है बल्कि इसके पीछे ठोस कारण हैं। बेशक डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति बन रहे हैं लेकिन उनका सत्ता में आना भारत के लिए हितकर साबित होने वाला है। ट्रम्प की जीत पर भारत में खुशी क्यों..?