स्पोंडिलोसिस क्या है..?

76
स्पोंडिलोसिस क्या है..?
स्पोंडिलोसिस क्या है..?

आयुर्वेदिक डॉ.रोहित गुप्ता

रीढ़ की हड्डी में टूट-फूट के बदलाव को स्पोंडिलोसिस कहा जाता है। उम्र के साथ ज्यादातर लोगों में स्पोंडिलोसिस की समस्या होने लग जाती है। रीढ़ की हड्डी में ये उम्र-संबंधी अंतर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग-अलग होते हैं और आम तौर पर कोई समस्या पैदा नहीं करते। जब स्पोंडिलोसिस के लक्षण पैदा होते हैं, तो आम तौर पर उनमें कभी-कभार दर्द और अकड़न आदि जैसे लक्षण शामिल होते हैं। स्पोंडिलोसिस अगर गर्दन की हड्डी में है तो उसे सर्विकल स्पोंडिलोसिस (cervical spondylosis) कहा जाता है। स्पोंडिलोसिस परिवर्तन रीढ़ की हड्डी के अन्य क्षेत्रों (खंडों) या पीठ के निचले हिस्से में भी देखे जा सकते हैं। उम्र के साथ-साथ लोगों में स्पोंडिलोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। 70 की उम्र के बाद रीढ़ की हड्डी के एक्स-रे में थोड़े बहुत स्पोंडिलोसिस के लक्षण दिख जाते हैं। स्पोंडिलोसिस को रीढ़ की हड्डी में ऑस्टियोआर्थराइटिस के नाम से भी जाना जाता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस एक प्रकार का गठिया है, जो टूट-फूट के कारण होता है, और शरीर के किसी भी जोड़ को प्रभावित कर सकता है। स्पोंडिलोसिस क्या है..?

स्पोंडिलोसिस के लक्षण

स्पोंडिलोसिस के लक्षण क्या हो सकते हैं?

सर्विकल स्पोंडिलोसिस के लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं

गर्दन में दर्द व अकड़न स्पोंडिलोसिस क्या है..?

सिर में दर्द जो गर्दन से शुरू होता है

बाजू और कंधों में दर्द

पूरी तरह से गर्दन को घुमाने या मोड़ने में अक्षमता, कई बार ड्राइविंग करते समय भी यह हस्तक्षेप करता है

गर्दन घुमाने पर पिसने जैसी आवाज या संवेदना महसूस होना

आराम करने से गीव्रा स्पोंडिलोसिस के लक्षणों में सुधार आ जाता है। इसके लक्षण अक्सर सुबह और शाम के समय गंभीर रहते हैं।

यदि सर्विकल स्पोंडिलोसिस रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ने के परिणाम से होता है, तो इस स्थिति को सर्विकल मायलोपैथी (cervical myelopathy) कहा जाता है। मायलोपैथी के साथ सर्विकल स्पोंडिलोसिस के लक्षणों में शामिल हैं

टांग, बाजू, पैर और हाथ में सुन्नता, झुनझुनी और कमजोरी महसूस होना।

समन्वय में कमी और चलने में कठिनाई,

असामान्य रिफ्लेक्सिस (अनैच्छिक क्रिया)

मूत्राशय और आंत्र पर से नियंत्रण खोना

सर्विकल स्पोंडिलोसिस की एक और संभावित जटिलता यह है कि हड्डियों के उभार रीढ़ के अंदर से निकलने वाली नसों पर दबाव ड़ालते हैं। इसका सबसे सामान्य लक्षण एक या दोनो बाजूओं में नीचे की तरफ पीड़ा होना होता है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए

निम्न स्थितियों में डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए, जैसे

अगर दर्द अधिक बदतर होता जा रहा है

समन्वय के कार्यों में कमी, उदाहरण के लिए शर्ट के बटन बंद करने या खोलने में कठिनाई

टांगों और बाजूओं में भारीपन व कमजोरी

दर्द के साथ-साथ सुई चुभने जैसा महसूस होना

चलने में परेशानी

मूत्राशय एवं आंत्र पर नियंत्रण खो देना

ये एक अधिक गंभीर स्थिति के संकेत हो सकते हैं (सर्विकल मायलोपैथी), अगर इसको बिना उपचार किए छोड़ दिया जाए तो यह रीढ़ की हड्डी में स्थायी क्षति पहुंचा सकती है।

स्पोंडिलोसिस के कारण स्पोंडिलोसिस क्या है..?

स्पोंडिलोसिस के कारण क्या हो सकते हैं…?

ज्यादातर मामलों में स्पोंडिलोसिस, रीढ़ की हड्डी में हो रही टूट-फूट के इकट्ठे एक साथ प्रभाव के परिणाम से होता है। वर्टिब्रल डिस्क जिनसे रीढ़ की हड्डी का ढांचा बना होता है, वे निर्जलित (शुष्क) हो जाती हैं तो उनकी उंचाई कम हो जाती है और रीढ़ की हड्डी के लिगामेंट्स लचीलता खो देते हैं, और कठोर बन जाते हैं। इस कारण रीढ़ की हड्डी को स्थित रखने के लिए हड्डियों में उभार (bone spurs) आ जाते हैं। जैसे ही वर्टिब्रल डिस्क निर्जलित होती है और उसका आकार घटने लगता है, तो इनमें आपस की दूरी कम होने लग जाती है, जिस कारण से रीढ़ की हड्डी के अंदर से निकलने वाली नसों के रास्ते कम होने लग जाते हैं। हमारा शरीर हड्डियों में उभार लाकर वर्टिब्रल के घटे हुए आकार को पूरा करने की कोशिश करता है।

ऐसे बहुत सारे जोखिम कारक हैं, जो स्पोंडिलोसिस विकसित करने की संभावना बढ़ा सकते हैं। इन जोखिम कारकों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

अधिक वजन बढ़ना या निष्क्रिय होना

मानसिक बीमारियां जैसे चिंता व अवसाद

मोटापा

काम संबंधी गतिविधियां जैसे वजन आदि उठाना जो गर्दन पर अधिक तनाव डालती हैं

लंबे समय तक गर्दन को किसी बिना आराम वाली अवस्था में रखना या गर्दन को एक ही गति में बार-बार घुमाना या हिलाना (repetitive stress)

धूम्रपान करना भी गर्दन के दर्द से जुड़ा होता है

आनुवंशिक पूर्ववृत्ति

अधिक जोरदार परिश्रम वाले खेलों में भाग लेना

खराब मुद्रा (खड़े या बैठे आदि होने की अवस्था)

आनुवंशिकी (स्पोंडिलोसिस से जुड़ा पारिवारिक इतिहास)

स्पोंडिलोसिस के बचाव के उपाय – Prevention of Spondylosis in Hindi

स्पोंडिलोसिस की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
जैसे कि स्पोंडिलोसिस उम्र संबंधी एक अपक्षयी (degenerative) प्रक्रिया है इसलिए इसको रोक पाना संभव नहीं है। शरीर को बूढ़ा होने से नहीं रोका जा सकता लेकिन रीढ़ की हड्डी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए काफी चीजें की जा सकती हैं।

शराब का अत्यधिक सेवन बंद करें

खूब आराम करें

नियमित रूप से व्यायाम करें (एरोबिक व्यायाम विशेष रूप से अच्छा है)

शरीर का स्वस्थ वजन प्राप्त करें और बनाएं रखें

ठीक तरीके से खड़ें हो या बैठें

ठीक तरीके से वजन आदि उठाना सीखें

स्वास्थ्यवर्धक खाएं (अच्छी तरह संतुलित, कम वसा वाले तथा भरपूर फल व सब्जियों का सेवन करें)

धूम्रपान बंद करें

स्पोंडिलोसिस का निदान स्पोंडिलोसिस क्या है..?

स्पोंडिलोसिस का निदान कैसे किया जाता है?

डॉक्टर स्पोंडिलोसिस का निदान आमतौर पर मरीज को उसके लक्षणों व पिछली मेडिकल जानकारियों के बारे में पूछकर शुरू करते हैं। स्पोंडिलोसिस के लक्षणों के आधार पर ही उसकी पहचान की जाती है, खासकर बूढ़े या ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित लोगों में। इसके बाद शारीरिक परिक्षण किया जाता है, जिसमें मुख्य रूप से कंधे, पीठ और गर्दन पर फोकस किया जाता है। डॉक्टर रिफ्लेक्सिस के टेस्ट करेंगे और बाजूओं तथा हाथों की ताकत की जांच करेंगे। इसके अलावा डॉक्टर संवेदना (सनसनी महसूस करना) और चाल में बदलाव की जांच करेंगे।

शारीरिक परिक्षण

शारीरिक परिक्षण में निम्न शामिल हो सकते हैं

गर्दन के घुमने की गति की सीमा की जांच करना

रीढ़ की हड्डी या रीढ़ की नसों पर दबाव है या नहीं आदि का पता लगाने के लिए,

रिफ्लेक्सिस और मांसपेशियों की ताकत की जांच करना

कुछ निश्चित क्षेत्रों में संवेदना की कमी की जांच करना

हाथों और बाजुओं की ताकत की जांच करना

चला कर देखना ताकि यह जांचा जा सके कि क्या रीढ़ की हड्डी का दबाव आपकी चाल को प्रभावित तो नहीं कर रहा है

नसों के कार्यों का टेस्ट

यह जानने के लिए कि तंत्रिका के संकेत नसों में ठीक से यात्रा कर रहे हैं या नहीं यह निर्धारित करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट करने का सुझाव दे सकते हैं। नसों को कार्यों की जांच करने के लिए निम्न टेस्ट होते हैं:

इलेक्ट्रोमायोग्राफी (Electromyography)

यह टेस्ट तंत्रिकाओं में विद्युत गतिविधि को मापता है। जब मांसपेशियां सिकुड़ी हुई होती हैं और जब आराम कर रही होती है, तब मांसपेशियों में एक संदेश संचारित किया जाता है।

नर्व कंडक्शन स्टडी (Nerve conduction study)

इसमें अध्ययन करने के लिए त्वचा के साथ एक बिजली के तार के छोर (Electrodes) जोड़े जाते हैं। नसों की ताकत और तंत्रिका संकेतों की गति की तीव्रता को मापने के लिए इन तारों की मदद से नसों में हल्का सा शॉक दिया जाता है

अन्य टेस्ट

कुछ अन्य टेस्ट जिनको करने की जरूरत पड़ सकती है, इमेंजिंग टेस्ट समेत निम्न टेस्ट शामिल हो सकते हैं:

रीढ़ की हड्डी का साधारण

एक्स-रे

सीटी स्कैन

एमआरआई, (Magnetic resonance imaging)

एमआरआई ज्यादा जानकारी प्रदान करता है क्योंकि यह रीढ़ की हड्डी और उसकी जड़ों को दर्शाती है।

स्पोंडिलोसिस का उपचार

स्पोंडिलोसिस का उपचार कैसे किया जा सकता है?

कुछ सामान्य तरीके

पहले 3-4 हफ्ते के लिए यह समझ लिया जाना चाहिए कि एक सामान्य गर्दन दर्द है, और इसका समाधान होने की संभावना है।

ऐसे में आपको सक्रिय रहने, सामान्य गतिविधियों को बनाए रखने और सर्वाइकल कॉलर (cervical collar.) का इस्तेमाल ना करने की सलाह दी जाती है।

लंबे समय तक दर्द के चलते काम से अनुपस्थित नहीं रहना चाहिए।

अगर गर्दन के घुमने की गतिविधि कम हो गई है, तो ड्राइविंग ना करने की सलाह दी जाती है।

रात को सिर्फ एक ही सख्त तकिया लेने की सलाह दी जाती है।

चिरकालिकता और विकलांगता के जोखिम को बढ़ाने वाले मनोसामाजिक कारकों का पता लगाने की कोशिश करें। उदाहरण के लिए गर्दन दर्द के अंतर्निहित मामले, उपचार की अवास्तविक उम्मीदें, बीमारी का आचरण न करना, और मनोवस्था संबंधी विकार आदि।

इसी प्रकार, गर्दन के दर्द को विकसित करने वाले जोखिम की जगहों की पहचान करना और उनका पता लगाना। कुछ रोगियों के लिए दैनिक गतिविधियों, काम और उनके शौक आदि को ठीक तरीके से करने संबंधित सलाह प्रदान करना उपयोगी हो सकता है।

अगर लक्षण लंबे समय तक स्थिर रहते हैं, जैसे 4 से 12 हफ्ते तो ऐसे में फिजियोथेरेपिस्टिस (physiotherapistis) को रेफर करने की जरूरत पड़ सकती है।

अगर लक्षण गंभीर होते हैं (12 हफ्ते या उससे कम) तो मनोसामाजिक कारकों की जांच जारी रखी जाती है, पेन क्लिनिक में भेजने पर विचार किया जाता है, सर्जरी के लिए मूल्यांकन करने के लिए विचार किया जाता है।

थेरेपी

गर्दन व कंधों की मांसपेशियों को मजबूत व स्ट्रेच रखने के लिए एक फीजिकल थेरेपिस्ट मरीज को कुछ व्यायाम तकनीक सिखा सकते हैं। सर्विकल स्पोंडिलोसिस के कुछ लोगों को ट्रैक्शन (traction) फायदा मिल जाता है, क्योंकि अगर रीढ़ की हड्डी से निकलने वाली नसें संकुचित हो रखी हैं, तो ट्रैक्शन की मदद से खुली जगह मिल जाती है।

सर्जिकल

सर्जरी के लिए संकेतों में निम्न शामिल हैं

अगर किसी हड्डी या खिसकी हुई डिस्क के कारण कोई नस दब गई है।

प्रगतिशील नसों के कार्यों में अभाव।

अगर डॉक्टर द्वारा सुझाई गई दवाओं के बाद भी लगातार दर्द हो रहा हो।

अगर रीढ़ की हड्डी में किसी प्रकार की समस्या है, (सरवाइकल मायलोपैथी)।

सर्जरी हर बार इसको ठीक नहीं कर पाती लेकिन इसके लक्षणों को गंभीर होने से रोक देती है। जबकि सर्जरी द्वारा न्यूरोलोजिकल अभाव को कम किया जा सकता है, लेकिन बंद हो चुके कार्यों को दोबारा शुरू नहीं किया जा सकता, इसके लक्षण बाद में फिर से वापस आ सकते हैं। सर्जरी का खराब परिणाम रीढ़ की हड्डी को कभी ना ठीक होने वाली क्षति पहुंचा सकता है, या रीढ़ की हड्डी में खून की सप्लाई से समझौता कर सकता है। उपचार ना होने पर, स्पोंडिलोसिस के कारण होने वाले लक्षण कई बार कम हो जाते हैं तो कई बार वैसे के वैसे रह जाते हैं, लेकिन कई बार वे और भी बदतर हो जाते हैं।

आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट स्पोंडिलोसिस क्या है..?

अगर आपको ये समस्या हो तब आप आयुर्वेदिक दवाओं से हमारे शिवाय सेंटर की बिना सर्जरी और सालों साल पेन किलर खाए बिना कुछ महीने में हमेशा के लिए ठीक हो जाते है।इसलिए उचित सही उपचार चुन कर ठीक हो जाए। सभी सुखी और निरोगी रहे। स्पोंडिलोसिस क्या है..?